इसके ब्लेड की बनावट आधे चाँद आकार में होती है। इसमें एक हैंडल लगा होता है जिससे दबाव दे कर गन्ने की कटाई एक कली के रूप में होती है। आप इससे अपनी जरूरत पर ब्लेड का आकार छोटा या बड़ा भी कर सकते है। इसकी बनावट इस प्रकार से करी गई है कि सालों साल तक इस्तेमाल हो सकती है और इसमें कोई दिक्कत नहीं महसूस  होती है। 

अब हम इसमें आपको बताते हैं कि गन्ने की कटाई करने में क्या फर्क पड़ता है और बड कट्टर से इसमें क्या फर्क है।

एक गन्ने को बड कट्टर से काटने में आपको कम से कम 17 कली प्राप्त होती है। अगर आप एक गन्ने से 17 कली निकालेंगे तो आपको ढाई किलो गन्ना बचेगा, जिससे आपको साढ़े सात रुपये की बचत होती है। इससे गन्ने के बीच से टुकड़े नहीं होते हैं।

सबसे मुख्य फायदा यह है कि जो बचा हुआ गन्ना है उसकी बंधाई करके गन्ने की मील पर डाल सकते है। मतलब है कि कुछ व्यर्थ नहीं होगा और न कोई नुकसान। 

दुसरा, जब आप आपनी पौध के लिए गन्ने को बड कट्टर से  काटेंगे तो उससे आपको लाल-धारी की बीमारी का पता चला जाता है। और आप यहाँ से गुणवत्ता का परीक्षण कर सकते है। मतलब लाल-धारी से ग्रस्त पौध हटा सकते है। 

तीसरा, यह मशीन बहुत सालों तक चलती है और यह इस प्रकार से बनाई गई है कि आपको हैंडल दबाने में कोई जोर नहीं पड़ता है।

आप इसकी कली को सीडलिंग ट्रे में लगा सकते है, जिससे छोटी सी जगह में भी ज्यादा पौध उगा सकते है।

अब जानते है कि नुकसान क्या होते हैं।

पहला नुकसान है कि शुरुआत में इससे गन्ने की कली की कटाई करने में परेशानी होगी क्योंकि आपको थोड़ा सीखना पड़ेगा कि कैसे उपयोग करते हैं। 

दुसरा, आप एक घंटे में मात्र 300 पौध की कटाई कर सकते है, इससे अधिक नहीं कर सकेंगे और पांच घंटे में केवल 1500 पौध ही बना सकते है। 

तीसरा,  इससे गन्ने की एक छोटी सी कली कटती है। जिसमें गन्ने का रस थोड़ी मात्रा में ही मिलता है। गन्ने का रस पौध के लिए पोषक तत्व की तरह काम करता है जब तक इसमें जड़े नहीं निकल जाती है। इसलिए इसमें गन्ने की सामग्री कम होने के कारण पौध कमजोर हो जाती है।