देसी मुर्गी पालन - जो है चलती-फिरती नोटों की गड्डी


प्रत्येक किसान जीवन में आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन जरूरत है सही रास्ते और जानकारी की। आज हम बताते हैं आपको एक ऐसी कृषि के बारे में जिससे छोटी-सी लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता हैं। और वह है देसी मुर्गी की कृषि; जो है चलती-फिरती नोटों की गड्डी। देसी मुर्गी का पालन किस तरह से किया जाता है, जानेंगे 23 वर्षीय सौरभ से, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में इस बिजनेस से करोड़ों रुपए कमा लिये। सौरभ जो कभी अपने पिता के साथ वडा-पाव का ठैला लगाते थे; आज वह सभी साधनों से युक्त, करोड़ों के मालिक है। आये जानते हैं विस्तृत रूप से ये किस प्रकार करते हैं मुर्गी पालन-
हालांकि मुर्गी पालन की शुरुआत करना एक बहुत ही आसान काम है; परंतु इसे बड़े व्यवसाय के स्तर पर ले जाने के लिए वैज्ञानिक विधि के तहत मुर्गी पालन की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे उत्पादकता अधिकतम हो सके। जिस प्रकार सौरभ जी इस 1 एकड़ के फार्म पर 6000 मुर्गियां का पालन कर रहे हैं, जिनमें 5000 फीमेल तथा 1000 मेल मुर्गी है। सभी मुर्गियां प्योर देसी ब्रीड की है। इस फॉर्म को इन्होंने चार हिस्सों में बांट रखा है, जो निम्नवत है -

मुर्गियों का फर्टाइल अंडा वाला भाग:
यह प्रथम पोर्शन 150 फीट लंबा तथा 25 फीट चौड़ा है। जिसको नेट द्वारा तीन तरफ से कवर किया गया है तथा गर्मी के मौसम में इसमें तेज प्रेशर वाला स्प्रिंकल लगा है, जो पानी की फुहार मुर्गियों पर करता रहता है। इस पोर्शन में मुख्य रूप से मुर्गे-मुर्गी साथ रहते हैं, जहां फर्टाइल अंडा होता है। इसके लिए इन्होंने 6000 मुर्गियों पर 1000 मुर्गे छोड़ रखें हैं।

अंडे देने वाला पोर्शन:
इस पोर्शन की डाइमेंशन 25 फीट चौडी तथा 50 फुट लंबी है। जो तीन तरफ शेडिंग तथा जाली के माध्यम से ढका हुआ है तथा हवा का आदान-प्रदान भी अच्छे से हो जाता है। मुख्य रूप से मुर्गियां इस पोर्शन में अंडे देती है। अंडे देने के लिए मुर्गियों को शुरू से ही ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए इन्होंने दीवार पर टीन के कनस्तर टांगें हुए हैं तथा उसमें आर्टिफिशियल अंडा डाल देते हैं जिससे मुर्गियां स्वाभाविक रूप से सीख जाती है कि अंडा इस टीन में देना है। अतः वह बाद में कहीं भी इधर-उधर अंडा नहीं देती, जिसे बहुत सुविधा हो जाती है। आमतौर पर मुर्गियां अपना पहला अंडा 4 से 5 महीने की उम्र में देना शुरू करती है। इसके बाद एक मुर्गी को अंडा पैदा करने के लिए 24 से 26 घंटे की आवश्यकता होती है और अंडा देने के बाद यह प्रक्रिया लगभग 30 मिनट बाद फिर से शुरू हो जाती है। मुर्गियां ट्रेंड होने के कारण अंडे को टीन में ही देती है, इसके उपरांत उन्हें हैचिंग के लिए दूसरे पोर्शन में ले जाते हैं।

हैचिंग वाला पोर्शन:
अंडे देने वाले पोर्शन के बराबर में ही हैचिंग (अंडे सेकना) के लिए एक हवादार हॉल बना रखा है। मुर्गी द्वारा दिए गए अंडों को टीन/कनस्तर में रख देते हैं तथा मुर्गियों को उस हाल में छोड़ देते हैं। यह मुर्गियों का स्वाभाविक व्यवहार है कि उनमें अंडे सेकने की चेष्टा रहती है, अत: वे खुद ही अंडों पर जाकर बैठ जाती है। एक मुर्गी 15-16 अंडों की हैचिंग कर सकती है। क्योंकि उन्हें टीन में बैठने की आदत शुरू से ही डाल दी थी, इसलिए वह स्वयं अपनी मर्जी से ही अंडों को सेकने के लिए उन पर बैठ जाती है। अंडे हैचिंग करने के लगभग 21 दिन बाद चूजा निकलता है। मुर्गी एक अंडे को चार-पांच दिन सेकती है। फिर रेस्ट करने के लिए डस्ट बाथ करती है, इसके लिए उन्होंने एक बड़े से गड्ढे में मिट्टी भरी है। रेस्ट करने के बाद फिर सेकने लग जाती है क्योंकि मुर्गी का स्वभाव होता है कि जब तक चूजा बाहर नहीं आएगा, वह वहां से नहीं हटेगी।
ब्रूडिंग रूम:
इस हॉल में 10 फीट चौड़े तथा 20 फीट लंबे, तीन-तीन फुट दीवार से 3 पार्टीशन किए हुए हैं, जिनमें समान उम्र के चूजे अलग-अलग सेक्शन में छोड़ रखे हैं। इस प्रकार इनमें 5 से 6 हजार चूजें हैं। जिनकी खाने-दाने में विशेष देखभाल की जाती है। इन चूजों को अलग-अलग मूल्य पर बेचा जाता है, जिनकी कीमत ₹60 से लेकर 150 रुपए तक होती है। जालीदार डब्बे में पैक करके चूजों की सप्लाई की जाती है। इस पूरे पोर्शन की लंबाई 250 फीट तथा चौड़ाई 30 फीट है, जिसमें अलग-अलग पार्टीशन किए हुए हैं।

100 मुर्गियों का पालन करने हेतु आर्थिक निवेश:
सौरभ जी बताते हैं कि यदि कोई किसान 100-150 मुर्गियों से इस पालन की शुरुआत करनी चाहे तो मात्र एक लाख रुपए के खर्च में यह कृषि सुचारू रूप से कर सकता है। और मुनाफे की बात करें तो सौरव जी कहते हैं की अंडे ना बेचकर यदि चूजे बेचें तो ज्यादा मुनाफा होता है। 100 मुर्गियों से 1 साल में करीब 1000 चूजें प्राप्त किये जा सकते हैं और उन्हें बडा करके बेचा जाए तो एक मुर्गा ₹700 अर्थात् 1000 मुर्गे 7 लाख रुपए के बिकेंगे। और वहीं यदि अंडों की बात करें तो 100 मुर्गियां दिन में औसतन 40 अंडे, 10 रुपए प्रति अंडा अर्थात् ₹400 प्रतिदिन और महीने के 12 हजार रुपए तक कमा सकता है। इसी के साथ मैं सभी किसान भाईयों को बताना चाहूंगा की लागत और मुनाफे सभी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं, क्योंकि यह बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है। अत: इसके लिए बहुत सी सावधानियां रखनी जरूरी है।

निषेचित और अनिषेचित अंडे में अंतर:
फर्टाइल अंडे से चूजे निकलते हैं जबकि अनफर्टाइल अंडे से नहीं निकालते। यदि मुर्गा -मुर्गी साथ है और मुर्गी एक अंडा देती है तो उस अंडे को फर्टाइल किया जाता है और यदि मुर्गी ने साथ नहीं किया और वह तब अंडा दे तो वह अंडा अधूरा अर्थात् अनफर्टाइल अंडा है।
मुर्गियों का खाना-दाना:
इनके दाने की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि इससे मुर्गियों का वजन तेजी से बढ़ता है और अंडे देने की क्षमता भी विकसित होती है। वैसे तो मुर्गियों को आहार में टूटे हुए चावल, गेहूं ,चिड़िया बादाम की खली, पीली मक्का, सरसों की खली, मछली का चूरा आदि का मिश्रण करके खिलाया जाता है; परंतु कम खर्चे में होटल-रेस्टोरेंट आदि से बचने वाली हरी-सब्जियों आदि की वेस्टेज को साफ पानी से धोकर भी खिला सकते हैं। या अन्य घरेलू दाना भी तैयार किया जा सकता है।

मुर्गियों में होने वाली बीमारियां:
मुर्गी पालन के दौरान किसान भाइयों को मुर्गी में होने वाली बीमारियों से बचाव हेतू उपचार आने भी जरूरी है। चूकीं इनमें मुख्य रूप से रानीखेत रोग, टाइफाइड और एवियन इनफ्लुएंजा आदि जैसी बीमारियां मुर्गी पलकों के सामने चुनौती बनकर आ सकती है, लेकिन सही वैज्ञानिक विधि से उन रोगों को आसानी से दूर भी किया जा सकता है।
सावधानियां:
मुर्गी पालन करने के लिए बहुत सी सावधानियों का ध्यान रखना भी जरूरी है इन्हीं के आधार पर यह कृषि सफल रूप से की जा सकती है। इनमें मुख्य रूप से…
-मुर्गी का घर थोड़ा ऊंची जगह पर हों, ताकि जमीन पर नमी ना रहे चूंकी नमी से बीमारियां फैलती है। इसके लिए जमीन पर चावल या अन्य भूसी डाल देनी चाहिए।
-बिजली एवं स्वच्छ पानी का प्रबंध मुर्गी फार्म में अवश्य होना चाहिए क्योंकि इसमें साफ-सफाई का बड़ा ही महत्व है।
-किसी बहारी व्यक्ति को सेनीटाइज करके ही अंदर आने देना चाहिए, जिससे अन्य विषाणुओं से सुरक्षा की जा सके।
-मुर्गियों को होने वाला वैक्सीनेशन भी समय पर कर देना चाहिए। जिससे उनकी इम्युनिटी पावर बढ़ी रहे। इसी के साथ किसी भी प्रकार के व्यवसाय के दौरान सही दिशा में काम करने वाली मार्केटिंग स्ट्रेटजी का आना भी जरूरी है। जिससे किसी भी व्यवसाय में सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं।
वास्तव में इतनी छोटी उम्र में सौरभ जी का यह सफर कमाल का है, क्योंकि उन्होंने जमीन से उठकर यह बड़ा मुकाम हासिल किया। इसलिए वह किसान भाइयों के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं। तो दोस्तों! आज आपने इस लेख के माध्यम से मुर्गी पालन की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की, आशा है आपको यह पसंद आई होगी। इससे संबंधित और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥
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