बंजार पहाड़ों को बना दिया उपजाऊ, कर डाली बेहतरीन खेती


कुछ भी कार्य करने के लिए चाहिए होती है मजबूत इच्छा शक्ति, जिसके बल पर व्यक्ति बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर लेता है। इसी की मिसाल कायम की है एक ऐसे शख्स ने जिन्होंने हल्दीघाटी के ऊंचे बंजारा पहाड़ों पर सैकड़ो वैरायटी के पेड़ लगाकर खेती आरंभ की और वहां वाटर हार्वेस्टिंग कर पानी की टंकी का भी निर्माण किया। आये जानते हैं आगे के लेख में इस कमाल के किसान के अद्भुत विचारों और उसके रोचक कार्य को।

पहाड़ पर खेती की वैरायटी:
बद्रीनाथ की यात्रा करते दौरान इन्होंने विभिन्न स्थानों पर खेती के पहाड़ी तरीके को होते देखा, जिससे इन्हें प्रेरणा मिली कि इस प्रकार खेती को किसी भी पहाड़ पर की जा सकता है। तभी इन्होंने राजस्थान में हल्दीघाटी के पहाडी पर खेती करने का निश्चय कर लिया।
सबसे पहले पहाड़ की जमीनी मिट्टी की निलाई करते हुए, वहां 25-30 चीकू के पेड़ लगाये, जो बारहमासी फल देते हैं।

2019 में आंवले के लगभग 1000 पौधे लगाए, जिनमें से 700 पौधे आज भी फल दे रहे हैं।
आम की बादाम वैरायटी, जो खाने में एकदम बादाम जैसा स्वाद देती है। इसके भी काफी वृक्ष इन्होंने इस पहाड़ पर उगा रखे हैं।

आंध्र प्रदेश से मंगाए गए नींबू के 300 पौधे इस पहाड़ के चारों तरफ लगाए थे, जो आज भारी मात्रा में फलों का उत्पादन करते हैं।

हिरण वैरायटी के कपास के पौधे भी उगाये हुए हैं। इस पेड़ की विशेषता है, कि यदि इसे एक बार लगा दें तो 50 साल तक फल का उत्पादन करता है।
मेहताब नाम के नींबू की वैरायटी मौसमी जितने बड़े-बड़े नींबू का उत्पादन करती है। जिनका वजन करीब आधा किलो होता है।
बादाम के पेड़ भी इस पहाड़ी क्षेत्र पर बहुतायत में उगे हुए हैं। इन्होंने यहां पर पपीते के पेड़ भी लगाए थे; परंतु वे ज्यादा विकसित नहीं हो पाये।

सिंचाई हेतु जल प्रणाली:
इन वृक्षों की सिंचाई हेतु इन्होंने यहां तीन बड़ी-बड़ी होद बना रखी है। इन होद के एक बार भर जाने पर सभी वृक्षों को करीब 10 दिन तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है। इन टैंक को भरने के लिए इन्होंने 12 प्लेट का सोलर पैनल लगाया हुआ है। जो दिन में करीब 7 घंटे बिजली का उत्पादन करते हैं, जिससे मोटर द्वारा टैंकों को भर लिया जाता है तथा बरसात के सीजन में पानी को इन टैंक में इकट्ठा करने की तकनीक भी डेवलप की हुई है।

इन तीनों होद में निकासी के लिए पाइप लगाए हुए हैं तथा खेती के पूरे क्षेत्र में उन पाइपों को फैलाया हुआ है। जिस एरिया में पानी चाहिए होता है, उस दिशा का वॉल खोलकर पानी को आवश्यक स्थान तक पहुंचाया जाता है। इस प्रकार सभी वृक्षों की सिंचाई सुचारू रूप से की जाती है। पानी के टैंक काफी बड़े होने के कारण उनको सफाई करने की भी आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए इन्होंने बीच में एक मैनहोल बना रखा है। जिसमें सारा कूड़ा इकट्ठा होता है और एक बार मैनहोल खोलना मात्र से ही अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाता है।

छोटे पौधों की रखवाली के लिए इन्होंने यहां पर एक मचान जैसा लोहे का जालीदार तंबू भी बनाया हुआ है, जिसमें रहकर यहां आने वाली नीलगाय जैसे पशुओं से फसल खराब होने से रक्षा करते हैं। इसी के साथ इन्होंने पूरे खेत में कहीं-कहीं लाइट भी लगा रखी है।
इस विशेष खेती के साथ-साथ इन्होंने गिर गायें की देशी नस्ल का पशुपालन भी कर रखा है।

तो दोस्तों आपने देखा एक किसान भाई ने कैसे पहाड़ों पर फल उगाए, सब्जी उगाई तथा पानी पहुंचने जैसा कठिन कार्य किया। इनके अंदर के इस जज्बे से अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रकृति सेवा के साथ-साथ इससे मुनाफा भी अच्छी मात्रा में कमाया जा रहा है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥
Comment
Also Read

पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा
खेती किसानी में अक्सर किसान भाई यह

बकरी के दूध से बने प्रोडक्ट्स – पनीर, साबुन और पाउडर
भारत में बकरी पालन (Goat Farming)

एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं
भारत सिर्फ़ अपने विशाल कृषि उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया क

एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ
आज के समय में खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही है। बदलत

Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन
खेती सिर्फ हल चलाने का काम नहीं, ये एक कला है और इस कला में विज्ञा
Related Posts
Short Details About