बकरी पालन (Goat farming)


क्या होता है बकरी पालन :-
भारत के सभी किसान परिवार अपने घरो में गाँय , भैंस ,आदि कोई न कोई पशु जरूर पालते हैं। इसी प्रकार होता है बकरी पालन जिसमे बहुत सारी बकरियां पालना उन्हें सही समय पर चारा -आहार खिलाना और समय आने पर उचित दामों पर बेच देना जिससे लोगो को काफी मुनाफा होता है। बकरी पालन का एक लाभकारी पहलू यह भी है कि इसे बच्चे व महिलाएं आसानी से पाल सकते हैं। वर्तमान में बकरी व्यवसाय की लोकप्रियता तथा सफलता की अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के विभिन्न प्रान्तों में इसका व्यवसायीकरण हो रहा है। औद्यौगिक घराने और व्यवसायी बकरी पालन पर प्रशिक्षण कर रहे हैं और बड़े-बड़े बकरी फार्म सफलतापूर्वक चल रहे हैं।
जंगली और सूखे इलाको के लिए वरदान है बकरी पालन :-
जंगल एवं बीहड़ के किनारे बसे गाँवों के लिए यह एक उपयुक्त एवं आसानी से हो सकने वाली आजीविका है, क्योंकि जंगलों में चराकर ही इनको पाला जा सकता है और गरीब परिवारों की रोजी-रोटी आसानी से चल सकती है। इस प्रकार बकरी पालन सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए एक मुफीद स्रोत है।
पंजाब की मशहूर नस्ल बीटल की असली पहचान :-
बीटल नस्ल की सबसे बड़ी पहचान होती है इसकी सफ़ेद आँखे और इस नस्ल के बकरो या बकरियों के कान बहुत बड़े होते हैं।
बरबरी नस्ल की पहचान :-
इस नस्ल की बकरियों की सबसे मुख्य पहचान होती है इनके कान,बरबरी बकरियों सतर्क होते हैं , और इस नस्ल की बकरी का पेट थोड़ा भारी होता है जिससे देखने में ये हस्ट पुष्ट नजर आती हैं।
बकरियों के आहार प्रबंधन का रखें विशेष ध्यान:-
ज्यादातर किसान बकरियों के आहार प्रंबधन पर ध्यान नहीं देते हैं। वह उन्हें चरा कर बांध देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। बकरियों को चराने के बाद उन्हें उचित चारा देना चाहिए, जिससे उनके मांस और दूध में वृद्धि हो सके। सबसे पहले बकरी का बच्चा पैदा होने के बाद उसे खीस (पहला दूध) जरूर पिलाएं। नवजात बच्चे को खीस पिलाने से कई रोगों का निदान हो जाता है। बच्चे का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है जिससे मृत्युदर में कमी आती है।
बकरी पालन में आने वाली समस्याएं और उनके समाधान :-
समस्याएं :-
बकरी पालन में सबसे बड़ी समस्या आती है बिमारी, जिसकी वजह से या तो बकरी मर जातीं हैं या फिर सही से पल नहीं पाती हैं। बीमारयों की
अधिकतर समस्याएँ बरसात और सर्दियों के मौसम में होती हैं।
समाधान:-
बकरी पालन करते समय सबसे मुख्य और ध्यान रखने योग्य बात है बकरियों की समय पर डी वार्मिंग (पेट के कीड़े मारने की दवा ) और दूसरा
सबसे जरुरी है वैक्सीनेशन। वैक्सीनेशन का सबसे सही तरीका होता है सबसे पहले ppr होती है, 21 दिन बाद आप ET लगाएं और फिर 15 दिन बाद ET
का बूस्टर लगाएं उसके 21 दिन बाद टिरयोविक लगवाएं जिसमे 3 वैक्सीन आती है। यदि आप इन सब बातो का ध्यान रखोगे तो आपको बकरी पालन में
कोई परेशानी नहीं आऐगी।
निष्कर्ष:- कम लागत और सामान्य रख-रखाव में बकरी पालन व्यवसाय गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए आय का एक अच्छा साधन बनता जा रहा है। जो किसान भाई ज्यादा गाँय या भैस का पालन नहीं कर सकते उनके लिए बकरी पालन एक बहुत ही खिफायती और मुनाफे का स्रोत है,इन्ही सब बातो को ध्यान में रखते हुए हमने आपके लिए ये वीडियो बनायीं है, सीधा उन लोगो के पास जाके जो सालों से बकरी पालन कर रहें है, ओर लाखो का मुनाफा कमा रहें है। बकरी पालन के बारे में सभी जानकारी लेने के लिए निचे दी गयी विडिओ के लिंक पर क्लिक करके जरूर देखें।
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