बटेर फार्मिंग का कमाल, लाखों का मुनाफा


आज हम जानेंगे एक ऐसी मोटा मुनाफा देने वाली कृषि के बारे में, जिसे बहुत ही कम जगह में तथा कम पूंजी से शुरू किया जा सकता है। वह है बटेर पालन। इसका रख-रखाव बहुत आसान तथा यह 35 दिन में अंडे भी देना शुरू कर देता है, जिन्हें बेचकर अच्छा पैसा कमाया जाता है। आये इनके पालन की संपूर्ण जानकारी लेते हैं मोहम्मद अलीम जी से, जो इस कार्य को 15 साल से कर रहे हैं।

बटेर पालन का परिचय:
- दरअसल बटेर पक्षी मुर्गी से बहुत छोटे आकार का है, जिसका वजन लगभग 200 से 250 ग्राम होता है। बटेर के अंडे और मांस में अमीनो अम्ल, विटामिन, वसा और खनिज लवण की प्रचुर मात्रा पायी जाती है।
- अलीम जी बताते हैं कि वह 15 साल से बटेर पालन इस 1000 स्क्वायर फीट के क्षेत्रफल पर शेडिंग डालकर कर रहें हैं, जिसमें उनके पास करीब 50,000 की संख्या में बटेर मौजूद है।
- एक बटेर 35 दिन में तैयार हो जाता है तथा 42 से 45 दिन के बीच अंडा आना शुरू हो जाता है। एक बटेर 1 साल में लगभग 300 तक अंडे दे देती है। इसका अंडा तथा मांस दोनों खाने योग्य होता है।

बटेर पालने की विधि:
बटेर पालन आमतौर पर दो तरीके से किया जाता है इसमें पहला तरीका लीटर अर्थात् ग्राउंड पर रखकर ही पालन होता है तथा दूसरा तारिक केस सिस्टम कहा जाता है, इसमें बटेर को रखने के लिए जालीदार छोटे-छोटे खाने बनाए जाते हैं जिसमें एक पोर्शन में 15 से 20 बटेर रहती है। इसका फायदा यह है कि इसमें एक तरफ खान तथा दूसरी तरफ पीने का पानी आदि लगे होते हैं। जिससे बटेर स्वयं ही खा-पी लेती है और अंडा भी खुद ही बाहर आ जाता है।

खाने के लिए सर्वश्रेष्ठ फीडिंग:
बटेर को खाने के लिए सबसे बेहतरीन फीड वह हैं, जिसमें प्रोटीन की मात्रा 25% हो। इसमें मुख्य रूप से सोया,मक्का, चावल आदि की कणी है तथा खल आदि का एक निश्चित अनुपात बनाकर दे सकते हैं। चूजे को पहले स्टार्टर फीड दिया जाता है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा 24 परसेंट तथा 2 हफ्ते बाद प्रोटीन की मात्रा 22% रखनी चाहिए। इसका खाना फार्मर खुद भी तैयार कर सकता है तथा बाजार में भी बहुत सारी कंपनी के अवेलेबल है।

खर्च चर्चा:
यदि खर्च की बात करें तो एक बटेर की प्रतिदिन डायट 30 ग्राम तथा तैयार होने तक लगभग 500 से 600 ग्राम तक दाना खा लेती है। अर्थात् 5 हफ्तों में ₹20 का फूड तथा 10-11 रुपए का चूजा होता है। अतः एक बटेर 30-32 रुपए के खर्चे में तैयार हो जाता है और यह मार्केट में आराम से 60-65 रूपए का बिक जाता है। इस प्रकार अलीम जी 1000 स्क्वायर फीट के क्षेत्रफल में 50000 बेटर से मात्र 35 दिन में लगभग 3.5 लाख रुपए तक कमा रहे हैं।

वैरायटी:
बटेर की बहुत सारी वैरायटी आती है इनमें प्रमुख रूप से कैरी उत्तम, कैरी उज्जवल, कैरी श्वेत, कैरी प्रबल आदि है। इसमें बिजनेस प्वाइंट आफ व्यू से कैरी उत्तम सर्वश्रेष्ठ नस्ल मानी जाती है।

ध्यान देने योग्य बातें:
जब बच्चे को पाला जाता है तो एक हफ्ते के टाइम पीरियड को ब्रूडिंग पीरियड कहते हैं। इस समय बटेर रखे गए स्थान का टेंपरेचर 90 से 95 डिग्री फारेनहाइट तक होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो बच्चों के मरने के चांसेस रहते हैं।टेंपरेचर मेंटेन करने के लिए पालन स्थल पर ही एक बंद अलाव जैसा ड्रम रखा जाता है, जिसमें आग जलाई जाती है और उसका धुआं एक पाइप के माध्यम से बाहर निकल जाता है।

बटेर का मार्केट:
इसके मार्केट की बात करें तो अब यह काफी डिमांड में रहती है, लगभग सभी मुर्गी बेचने वाले बटेर भी बेचते हैं। दिल्ली गाजीपुर में इसका बहुत बड़ा हब है जहां बड़े पैमाने पर बटेर की बिक्री होती है। दोस्तों आपने देखा बटेर पालन एक ऐसा बिजनेस है जो बहुत ही कम जगह में तथा कम लागत लगाकर शुरू किया जा सकता है और सबसे मजे की बात यह कि बहुत ही जल्दी फल भी देने लगता है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसी और अन्य जानकारी लेने के लिए जुड़े रहे हेलो किसान के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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