लहसुन बनाने की फैक्ट्री -मिनटों में कुंतलों लहसुन


एक ऐसी कमाल की मशीन जिसने इस कठिन कार्य को बेहद आसान कर दिया। लहसुन एक ऐसा मसाला हैं, जिसका प्रयोग न सिर्फ घरों में बल्कि बाहर भी, व्यंजनों तथा औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में बड़ी मात्रा में किया जाता है। लहसुन एक संशोधित भूमिगत तना है, जिसे बल्ब के रूप में जाना जाता है। अब से पहले इस बल्ब से लहसुन की कलियों को प्राप्त करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन इस शानदार मशीन ने इस कार्य को बहुत ही आसान कर दिया है। आये जानते हैं गौरव जी से वे किस प्रकार इस चुनौती भरे कार्य को कुछ ही मिनट में पूर्ण कर देते हैं।

सबसे पहले लहसुन के बल्ब को गार्लिक ब्रेकर मशीन में डाला जाता है, जिसमें बल्ब का छिलका एक तरफ और लहसुन की सिंगल कलियां एक अलग ट्रे में इकट्ठी हो जाती है। यह गार्लिक ब्रेकर मशीन 1 घंटे में करीब 150 किलोग्राम बल्ब को सिंगल कलियों में बदल देती है। इसके बाद इन कलियों को एक ट्रे में रख कर ड्रायर मशीन में ले जाया जाता है। यह ड्रायर मशीन 10 से 15 मिनट में इनका मॉइश्चर दूर कर कलियों को सुखा देती है। कलियों का छिलका छूटाने के लिए इस लहसुन को 100 किलोग्राम क्षमता वाली पीलिंग मशीन में ले जाते हैं, जो कंप्रेसर द्वारा हवा के प्रेशर से कलियों के छिलके को अलग कर देती है। और फिर तैयार होकर आता है फाइनल गार्लिक।

इस तैयार होकर आए छिले हुए लहसुन को पैक करके बाजार में ऐसे ही बेच देते हैं या फिर इसका अतिरिक्त प्रक्रियाओं द्वारा पेस्ट बनाकर पैक कर लेते हैं। जिसकी मार्केट में बड़ी डिमांड है और इस पेस्ट को काफी दिनों तक स्टोर करके भी रख सकते हैं। इस मशीन का सबसे बड़ा फायदा है कि हम लहसुन को बड़ी मात्रा में जल्दी प्राप्त कर सकते हैं। जिसका प्रयोग बड़े रेस्टोरेंट, शादी-ब्याह में कैटर्स द्वारा किया जाता है। गौरव जी इन मशीनों की मैन्युफैक्चरिंग भी करते हैं। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनका मोबाइल नंबर Contact है।
कैक्टस के फल का गुणकारी जूस :
कैक्टस एक कांटेदार पेड़ है तथा इस पर एक गुलाबी रंग का फल लगता है, जिसे नोपल या नाशपाती कैक्टस कहते हैं। इसमें बहुत सारे पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद है। यह विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत माना जाता है, जिसमें विटामिन-सी, मैग्निशियम, कैलशियम और पोटेशियम आदि शामिल है।

रस बनाने की रेसिपी:
ये फल आमतौर से बरसात के दिनों में लगता है, जिसे तोड़कर इसके ऊपर की परत को छीलकर अंदर से निकले पल्प को एक जगह इकट्ठा कर लेते हैं और उसे मिक्सी में ग्राइंड करते हैं तथा इससे जो रस निकलता है उसे छान लेते हैं। अब इस रस को गर्म किया जाता है। क्योंकि इसमें मीठा नहीं होता इसलिए अलग से शक्कर या चीनी भी डाल लेते है। पकाने के बाद अब यह पीने के लिए तैयार है।

डॉक्टर्स इस रस को वजन घटाने, पाचन बढ़ाने, मधुमेह, मोतियाबिंद, रक्तचाप, सूजन, मासिक धर्म में ऐंठन तथा तनाव आदि के उपचार में सेवन करने की सलाह देते हैं।
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