सफेद सोने की खेती


गाय और भैंस का डेरी फार्म तो परंपरागत रूप से चलता ही आ रहा है परंतु अब बकरी के दूध ने भी अपनी गुणवत्ता के कारण बाजार में अपनी पकड़ बना ली है। न सिर्फ बीमारी से इज़ात पाने के लिए बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी लोगों ने बकरी के दूध का सेवन शुरू कर दिया है। जिस कारण इसकी डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज हम आपको बताते हैं एक ऐसी महिला के बारे में जो सिर्फ आधे एकड़ जमीन में 200 बकरियां का एक डेरी फार्म चल रही है और कमा रही है मोटा पैसा। एक महिला भी कृषि को इतने बेहतरीन ढंग से कर सकती है यह उन्होंने साबित कर दिखाया है। वह महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण है। उनके लिए यह दूध सोने से कम नहीं इसलिए उन्होंने इसे सफेद सोने की खेती का नाम दिया है। आईए जानते हैं शैलजा जी से वे किस तरह चला रही है यह कमाल का बकरी डेरी फार्म
शैलजा जी के इस आधा एकड़ के फार्म में करीब 200 सानेंन किस्म की बकरियां है। ये मुख्य रूप से नीदरलैंड की प्रजाति है, जो काफी दुधारू मानी जाती है। इनके पास 200 में 100 बकरियां हर समय दूध देने के लिए तैयार रहती है तथा बाकी और बच्चे देने की तैयारी में रहती है। एक बकरी पूरे दिन में दो लीटर तक दूध दे देती है। जिसको ये दूध, पनीर, चीज़ आदि के रूप में बेचते हैं। दूध का 175 से ₹200 प्रति किलोग्राम तक आसानी से बिकने के लिए सप्लाई हो जाता है। इनका यह दूध चेन्नई, मुंबई, गोवा आदि तक में सप्लाई हो रहा है। वहीं पनीर की कीमत ₹1000 प्रति किलो तथा घी ₹3000 प्रति किलो तक बिक रहा है। शैलजा जी बताती है की अगर बकरियों की खाने पीने में अच्छे से टहल की जाए तो इनसे तीन से चार लीटर दूध तक भी प्राप्त किया जा सकता है।
चारा:
इनको खाने में मुख्य रूप से सूखा चारा, हरा चारा तथा अनाज भी देते हैं। सुखे चारे में अरहर, चना, सोयाबीन का भूसा आदि रहता है। हरे चारे में मक्का, मेथी घास आदि काटकर देते है। और इसी के साथ मूंगफली तथा सूरजमुखी की खल आदि खिलाते हैं।
बकरियों के रहने का प्रबंध:
इन दुधारू बकरियों के रहने की बात की जाए तो इन्होंने अपने इस फॉर्म में तीन-चार शेड डालकर कंपार्टमेंट बना रखे हैं। इनका एक कंपार्टमेंट 18 फीट लंबा तथा 11 फीट चौड़ा है। जिसमें कम से कम 8 से 10 बकरियां रहती है। बकरियों को रहने के लिए लोहे के पाइपों से एक प्रकार की खांचे बनाए जाते हैं। जिनमें बकरियां आसानी से फिट हो जाती है और वहीं पर उनका दूध भी मशीनों या हाथों द्वारा आसानी से निकाला जाता है। हर कंपार्टमेंट में एक जैसी उम्र की बकरियों को साथ रखने की कोशिश की जाती है।
बकरी के दूध क्यों है डिमांड में?
लोगों में जागरूकता बढ़ाने के कारण वे बकरी के दूध के फायदों से भी परिचित हुए हैं। बकरी का दूध कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस से भरपूर होता है। जो हड्डियों को मजबूत करता है तथा इसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद वसा बहुत ही आसानी से पच जाती है। इसके दूध में सेलेनियम होता है जो ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में बहुत मदद करता है इसलिए इसका सेवन डेंगू आदि जैसे ज्वार में जरूरी हो जाता है। इसका दूध कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को भी बेहतर करता है तथा डॉक्टर अस्थमा के मरीज तथा पाचन की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं। बकरी के दूध को त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसी के साथ इसके घी का प्रयोग बहुत सारी देशी औषधीयों में भी किया जाता है। इसी कारण आज के समय में इसके दूध की मांग काफी बढ़ रही है।
10 बकरियों की लागत:
ऐसे फॉर्म को 10 बकरियों से शुरुआत करने की बात करें, तो इसकी आर्थिक जानकारी देते हुए शैलजा जी बताती है की एक मादा बकरी को ₹30,000 में तथा नर बकरे को 25,000 रुपए में खरीदा जाता है। इस प्रकार 10 बकरी और एक बकरे की कीमत 3 लाख 25 हज़ार रुपए हो गई। इसके अलावा 1.5 से 2 लाख टीन शेड तथा उनके रहने के लिए बैरियर वगैरा बनाने में खर्च हो जाते हैं और डेली का खाना खर्चा मेंटेनेंस भी होता है। कुल मिलाकर मोटा-मोटा 10 बकरियों का डेरी फार्म उद्योग लगभग 6-7 लाख रुपए तक के निवेश से शुरू किया जा सकता है।
10 बकरियों से कमाई:
दस बकरी दिन में कम से कम औसतन 10 लीटर दूध तो देती ही है। जिससे 175 रुपए प्रति किलो के हिसाब से प्रतिदिन 1750 रुपए की कमाई होती है। अब यदि 1750 रुपए के हिसाब से 2 साल की इनकम निकले तो 1750×365×2= 12,77,500 रुपए केवल दूध से कमाए जाते हैं। इसके अलावा 2 साल में एक बकरी 5 से 6 बच्चे उत्पादित करती है। 10 बकरी 2 साल में 50 से 60 बच्चे कर देंगी। और अब यदि इन 50 बच्चों को बेचने के उद्देश्य से भी देखें तो ये 14-15 लाख रुपए तक के हो जाते हैं। इस प्रकार यदि सही तरीके से और तजुर्बा लेकर यह कार्य किया जाए तो 2 साल में लगभग 27 लाख रुपए मात्र 10 बकरियां के माध्यम से कमाए जा सकते हैं।
सावधानियां:
बकरियां पर मौसम का प्रभाव भी बहुत पड़ता है जैसे दिसंबर के महीने में ज्यादा ठंड होने पर इनको सर्दी-जुकाम, निमोनिया जैसी समस्याएं अक्सर देखने को मिलती है जिसमें इनसे उत्पादन घट भी जाता है।
शैलजा जी इस उद्योग की तारीफ करते हुए कहती है कि यह एक ऐसा व्यवसाय है कि जिसमें हर दिन पैसा आता है। ऐसा नहीं की किसी विशेष दिन पर ही ज्यादा बिक्री हो। उन्होंने डेरी के उद्योग को बकरे-बकरियों के मीट से भी ज्यादा मुनाफे वाला बताया है।
वास्तव में शैलजाजी नारी सशक्तिकरण की मिसाल है उन्होंने इस गोट फॉर्म का नाम अपनी माता को समर्पित कर आई गोट फॉर्म रखा हुआ है। जिसको इनके और उनकी मां द्वारा ही संचालित किया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति इनमें से जुड़ना चाहे तो इनके नंबर 9422425294 या 9225547703 पर संपर्क कर सकते है।
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