18 साल की लड़की ने की खेती में कमाल


आजकल लोग शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर प्राकृतिक वातावरण में रहना पसंद कर रहे हैं। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए 18 साल की निहारिका ने एक ऐसा 30 एकड़ का फार्म तैयार किया है, जिसने एग्रोटूरिज्म (Agro-Tourism) को एक नई पहचान दी है। इस फार्म पर 50 तरह के फलों और कई प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है, और इसका संपूर्ण संचालन गोबर से बायोगैस सिस्टम के जरिए किया जाता है। इस फार्म की सबसे खास बात यह है कि यहाँ रहने, खाने और खेती करने का अनुभव पूरी तरह से प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से जुड़ा हुआ है।

फार्म का अनोखा डिज़ाइन और वैज्ञानिक संरचना
फार्म की शुरुआत एक ईगल के आकार के क्षेत्र से होती है, जो विशेष वैज्ञानिक कारणों से डिज़ाइन किया गया है। यहाँ एक खूबसूरत झरना भी है, जो प्राकृतिक ऊर्जा को बढ़ाने का काम करता है। पूरे फार्म को तीन मुख्य हिस्सों में विभाजित किया गया है:
- हॉस्पिटैलिटी – इसे निहारिका खुद देखती हैं।
- फूड प्रोसेसिंग – इस भाग को निहारिका की माता सुशीला संभालती हैं।
- गौ-वंश एवं गुड़ सवारी – निहारिका के पिता कानसिंह इस भाग का संचालन करते हैं।
- रहने के लिए अनोखे कक्ष (कमरे)
यहाँ के गेस्ट रूम्स को पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के आधार पर बनाया गया है, जहाँ दीवारें कच्ची ईंटों और गोबर से तैयार की गई हैं। सभी कमरों के नाम किसी न किसी इतिहास से जुड़े हुए हैं:

मुकुल जी कक्ष
यह कमरा कच्ची ईंटों और गोबर से लिपा हुआ है। इसमें एक ओपन वॉशरूम है, ताकि नहाने के दौरान सूरज की रोशनी सीधे शरीर पर पड़े और स्वास्थ्य को लाभ मिले।
करणी माता कक्ष
यह कक्ष पूरी तरह से गोबर और मिट्टी से तैयार किया गया है। छत पर बाँस का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह 15 सालों से मजबूती से टिका हुआ है।
गोग्गा जी चौहान कक्ष
यहाँ की सभी छतें बिना लोहे के बनी हैं और पूरी तरह से गोबर से लीपी गई हैं।
अदृश्य कार्ड सिद्धेश्वर स्वामी कक्ष
इस कक्ष को देखकर ऐसा लगता है मानो आप एक ही कमरे में स्वर्ग का नज़ारा देख रहे हों। यह सबसे सुंदर कक्ष है।
परिवार जैसा माहौल
इस फार्म का सबसे खूबसूरत पहलू यह है कि यहाँ रहने वाले लोग होटल के बजाय एक परिवार की तरह रहते हैं। यहाँ गेस्ट किचन में भी जा सकते हैं और खुद से खाना बनाने का आनंद ले सकते हैं।
सुशीला जी: नारी शक्ति की मिसाल
निहारिका की माता सुशीला जी इस फार्म का एक अहम हिस्सा हैं। उनकी कहानी भी बहुत प्रेरणादायक है। शादी के समय उन्होंने सिर्फ नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी, लेकिन अपने बेटे के साथ दसवीं की परीक्षा पास की और अब आगे भी पढ़ाई करने का इरादा रखती हैं। उनका मानना है कि "नारी दो परिवारों को पाल सकती है - पीहर और ससुराल।"
सुशीला जी ने न केवल हॉर्स राइडिंग और ट्रैक्टर चलाना सीखा, बल्कि वह खुद खेती भी संभालती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक महिला हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है। सुशीला जी ने जो रूम बनवाया है, वह ऊपर है और सबसे अलग है। सारा रूम लकड़ी से बना हुआ है और बहुत सुंदर दृश्य दिखता है।

100% प्राकृतिक भोजन और जैविक खेती
इस फार्म में उगाई जाने वाली सब्जियाँ, फल, मसाले, दालें और घी पूरी तरह से ऑर्गेनिक (जैविक) तरीके से तैयार किए जाते हैं। यहाँ तक कि मसालों को पीसने के लिए लकड़ी की चक्की का उपयोग किया जाता है, जिससे स्वाद और पोषण बना रहता है।
यहाँ की प्रोसेसिंग यूनिट में तिल, मूंगफली और सरसों का तेल पारंपरिक मशीनों से निकाला जाता है। इन मशीनों की गति इतनी धीमी होती है कि यदि कोई तेल निकालने के बाद उसे छूए, तो वह ठंडा ही मिलेगा।
बायोगैस प्लांट: पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत
फार्म में दो प्रकार के बायोगैस प्लांट हैं। इसमें गोबर और पानी मिलाकर गैस बनाई जाती है, जिससे किचन में चार लोगों का खाना आसानी से बन सकता है। इस पूरे सेटअप में केवल 35,000 रुपये की लागत आई है, लेकिन यह लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करेगा।

गाय और घोड़े: भक्ति और शक्ति का प्रतीक
निहारिका के पिता, कानसिंह जी, गौ-भक्ति और घुड़सवारी में विशेष रुचि रखते हैं। उनके पास 25-26 गायें हैं, जिनमें राठी नस्ल की गायें भी शामिल हैं। राठी गायें कम चारे में भी स्वस्थ रहती हैं और मीठा दूध देती हैं।
- इसके अलावा, यहाँ एक 30 साल पुरानी मारवाड़ी नस्ल की घोड़ी भी है, जो शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
- प्राकृतिक जंगल और मेडिसिनल प्लांट्स
- फार्म के एक हिस्से में प्राकृतिक जंगल तैयार किया गया है, जहाँ छायादार पेड़, फलदार पेड़ और औषधीय पौधे लगाए गए हैं। यहाँ का माहौल पूरी तरह से स्वस्थ और शुद्ध है।
- इस फार्म पर एक आर्गेनिक रेस्टोरेंट भी है, जहाँ मेहमानों को खाना खाने के लिए नीचे बैठाया जाता है, क्योंकि यह पाचन के लिए लाभदायक होता है।

आने वाले प्रोजेक्ट: इको-फ्रेंडली कॉटेज और स्विमिंग पूल
फार्म का विस्तार करते हुए यहाँ ईंटों से कॉटेज बनाए जा रहे हैं, जिनकी दीवारें गाय के गोबर से लीपी जाएँगी। इसके अलावा, एक गार्डन, किचन और स्विमिंग पूल भी बनाया जाएगा, ताकि यहाँ आकर लोग और अधिक आनंद उठा सकें।
निष्कर्ष
निहारिका का यह फार्म सिर्फ एक खेती की जगह नहीं, बल्कि एक अलग तरह की जिंदगी जीने का तरीका है। यहाँ आने वाले लोग न सिर्फ प्राकृतिक माहौल में रहते हैं, बल्कि शुद्ध और जैविक भोजन का स्वाद भी लेते हैं। यह फार्म हमें बताता है कि कैसे हम पुराने तरीकों को अपनाकर भी एक बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। इस फार्म की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हर चीज़ प्राकृतिक और देसी तरीके से बनाई गई है। मिट्टी के घर, गोबर से बनी दीवारें, बायोगैस से चलने वाला किचन और खेतों से ताज़ी सब्ज़ियाँ, यह सब मिलकर इसे खास बनाते हैं।
अगर आप भी शहर की भागदौड़ से दूर शांति और सुकून भरे माहौल में समय बिताना चाहते हैं, तो यह फार्म आपके लिए एक बेहतरीन जगह हो सकती है। यहाँ आकर आप न सिर्फ आराम करेंगे, बल्कि एक नई और प्राकृतिक जीवनशैली को भी करीब से समझ पाएंगे।
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