एक पीएचडी छात्रा का अनोखा कदम – खेती में नया प्रयोग


आज के समय में जब अधिकतर युवा नौकरी, बिजनेस या विदेश जाने की सोचते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पारंपरिक तरीकों को आधुनिक तकनीक के साथ अपनाकर नई मिसाल कायम कर रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी है मिस साधिया की, जो पीएचडी की पढ़ाई के साथ-साथ खेती भी कर रही हैं। वह न केवल खेती कर रही हैं, बल्कि इसमें नए-नए प्रयोग भी कर रही हैं। उनकी यह पहल कई युवाओं को प्रेरित कर सकती है कि खेती भी एक सफल करियर हो सकता है।

गेंदे की खेती से की शुरुआत
मैम ने खेती के लिए गेंदे के फूलों को चुना, क्योंकि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। गेंदा एक रबी फसल है, जिसे अक्टूबर में लगाया जाता है और मार्च-अप्रैल तक यह पूरी तरह तैयार हो जाता है। उन्होंने तीन बीघे में खेती की शुरुआत की, जिसमें करीब 4000 पौधे लगाए गए। एक बार फसल तैयार होने पर, 4000 पौधों से लगभग एक कुंतल फूल मिलते हैं। एक बार पौधे लगाने के बाद आप 3 बार फ्लावर्स ले सकते हो 2 महीने में ही फ्लावर्स आने शुरू हो जाते है।
खेती की प्रक्रिया में सबसे पहले खेत को तैयार किया जाता है। इसके बाद खाद डाली जाती है और सिंचाई की उचित व्यवस्था की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में एक बीघे में खेती करने का खर्च लगभग 8,000 से 10,000 रुपये तक आता है। नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया का भी उपयोग किया जाता है।
बीज की बजाय पौधों से खेती
इन्होने गेंदे की खेती के लिए बीज की बजाय सीधे पौधों को लगाया। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बीज को पक्षी खा सकते हैं, जिससे नुकसान हो सकता है, जबकि पौधों को कोई नहीं खाता। इससे फसल सुरक्षित रहती है और बेहतर उत्पादन होता है।

गेंदे के फूलों का उपयोग मुख्य रूप से पूजा-पाठ, माला बनाने और सजावट में किया जाता है। इसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।
मल्टीक्रॉपिंग का अपनाया तरीका
सिर्फ गेंदा ही नहीं, बल्कि मिस साधिया ने अपने खेत में मल्टीक्रॉपिंग तकनीक अपनाई है। उन्होंने शलजम, मूली, पालक, बीटरूट, बंद गोभी और फूलगोभी जैसी कई सब्जियों की भी खेती की है। इससे उन्हें अलग-अलग फसलों से मुनाफा होता है और जमीन का पूरा उपयोग हो पाता है।
खेती में उन्होंने हर जगह का सही इस्तेमाल किया है। खेत की मेड़ों पर भी उन्होंने सब्जियां उगाई हैं। सब्जियों को उगाने के लिए सही समय पर पानी देना और बीजों की देखभाल करना जरूरी होता है।
नयी सोच, नये प्रयोग
मिस साधिया की कहानी यह दिखाती है कि अगर सही तकनीक और मेहनत का इस्तेमाल किया जाए, तो खेती से भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। उनकी यह पहल उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो खेती को सिर्फ परंपरागत काम समझते हैं।

खेती में नए प्रयोग करके, मल्टीक्रॉपिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके और सही फसलों का चुनाव करके कोई भी इस क्षेत्र में सफल हो सकता है। साधिया की यह पहल दिखाती है कि खेती में भी करियर बनाया जा सकता है, बस जरूरत है सही सोच और मेहनत की।
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