आलू उगने का हाईटेक तरीका


सब्जियों में सबसे ज्यादा खपत होने वाली फसल आलू की है। भारत में आलू की खेती रबी के मौसम यानी शरद ऋतु में होती है। किसान वृहत् रूप से आलू की फसल उगाकार व्यावसायिक लाभ कमा रहे हैं; परंतु अधिक पैदावार वही किसान कर पा रहे हैं, जिनको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी और सही मार्गदर्शन प्राप्त है। आये जानते हैं आलू उत्पादन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।

आलू उत्पादन के लिए उपयुक्त समय:
आलू की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है क्योंकि इसमें अनुकूल तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस चाहिए होता है। आलू की खेती के लिए लंबी रातें और छोटे दिन फायदेमंद होते हैं। यह भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश सहित लगभग सभी राज्यों में उत्पादित की जाती है।
बुवाई का हाईटेक तरीका:
पहले तो बैलों के माध्यम से जुताई कर डोलिया बनाकर उसमें आलू के बीज की रोपाई की जाती थी; परंतु 250 एकड़ जैसे बड़े क्षेत्रफल पर खेती करने के लिए हाईटेक इंपोर्टेड मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वत: ही नालियां बनती है और उसमें उन्नत किस्म के बीज की रोपाई करती है। आलू की खेती लगभग 3.5 फीट चौड़ाई की क्यारियां बनाकर ही की जानी चाहिए, जिससे उनमें पानी भरने पर रुका रहता है और अच्छी पैदावार होती है। आलू के बीज की रोपाई एक दूसरे से कम से कम 9 इंच की दूरी पर करें तथा एक खूढ या नाली कम से कम 32 या 48 इंच की हो, जिससे उसमें उत्पादित आलू को फूलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

अच्छी पैदावार कैसे लें:
आलू की फसल का अच्छी मात्रा में उत्पादन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बीज की वैरायटी होती है। इसलिए उन्नत किस्म के बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए और डीएपी अर्थात् डाई अमोनियम फास्फेट का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से बचना चाहिए, यह आलू की फसल के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसके बदले गन्ने से निकलने वाली मैल्ली का प्रयोग करें तो उसका ज्यादा अच्छा रिजल्ट देखने को मिला है। इसके अलावा न्यूट्रीशन देने के लिए NPK का स्प्रे भी करना चाहिए।
आलू की प्रमुख वैरायटियां:
इसकी प्रमुख किस्म में कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी कुबेर, कुफरी ज्योति, अलंकार, कुफरी चमत्कार आदि है। तथा अच्छी क्वालिटी के चिप्स बनाने के लिए fc3, fc5 या 1533 वैरायटी अधिक उन्नत मानी जाती है।

प्रमुख सावधानियां:
आलू की फसल करते समय सबसे पहले तो बीज की गुणवत्ता का ध्यान रखें, भूमि को अच्छे से तैयार करें तथा वहां की जलवायु का अच्छे से विश्लेषण करना चाहिए। इसी के साथ समय पर कटाई और रोग एवं कीटों से बचने की जानकारी भी पर्याप्त मात्रा में होनी आवश्यक है। इसकी पहली सिंचाई दो से तीन सप्ताह बाद होती है तथा बाद में भी आलू के खेत में नमी बनाए रखना जरूरी है।
होने वाले रोग:
जैसे-जैसे आलू का पौधा बड़ा होता है तो उस पर सुंडी अर्थात् छोटे-छोटे कीड़ों का प्रकोप हो जाता है, जो उसके पत्तों को खाते हैं। उसके लिए फंगीसाइड बूर्सिना आदि का स्प्रे करना चाहिए। इसके अलावा छोटी-छोटी मकड़ियों के लिए मिटीगेट नमक स्प्रे फायदेमंद माना जाता है।
आलू के भंडारण की विधि:
किसान बड़ी मात्रा में आलू का उत्पादन कर लेते हैं तथा फिर उसे लंबे समय तक स्टोर रखना भी अपने आप में एक चुनौती भरा कार्य होता है। अधिकतर किसान आलू उत्पादित करते हैं और बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेच देते हैं, क्योंकि उनके पास स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोर नहीं होते। जिनमें 6 से 7 महीने तक आलू को सुरक्षित रखा जा सकता है। दोस्तों कैसी लगी आपको आलू उत्पादन करने की जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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