अमेरिका का टैरिफ और इथेनॉल का खेल: भारतीय किसानों पर बड़ा खतरा


दुनिया का व्यापार अब सिर्फ़ माल खरीदने-बेचने का खेल नहीं रहा, बल्कि यह राजनीति और दबाव की जंग बन चुका है। अमेरिका जैसे ताक़तवर देश हमेशा अपने हित साधने के लिए टैरिफ (आयात शुल्क) और बाज़ार खोलने की नीति का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में भारत भी इसी दबाव का सामना कर रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत न केवल उसका इथेनॉल खरीदे, बल्कि अपने पूरे कृषि और ऊर्जा बाज़ार को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोल दे। यह भारतीय किसानों और घरेलू उद्योगों के लिए बड़ा खतरा है।

इथेनॉल क्यों अहम है?
भारत ने पिछले वर्षों में पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है। इससे तीन बड़े फायदे होते हैं: पेट्रोल पर निर्भरता कम होगी, प्रदूषण घटेगा, गन्ना, मक्का और गेंहूँ जैसी फसलें बेचकर किसान अच्छी आमदनी पाएंगे यानी इथेनॉल भारतीय किसानों के लिए सुनहरा अवसर है। लेकिन यही मौका अमेरिका के लिए बाज़ार हथियाने का रास्ता भी है।
अमेरिका की चाल: केवल इथेनॉल नहीं, पूरा कृषि बाज़ार
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा मक्का, सोयाबीन और इथेनॉल उत्पादक है। लेकिन उसकी घरेलू खपत सीमित है। इसलिए वह नए बाज़ार तलाशता है।
भारत उसके लिए सबसे बड़ा टारगेट है क्योंकि – यहाँ बड़ी आबादी है। ऊर्जा की ज़रूरत लगातार बढ़ रही है। और कृषि उत्पादों की भारी खपत है
इथेनॉल के बहाने अमेरिका चाहता है कि भारत अपने टैरिफ कम करे और उसका पूरा कृषि और ऊर्जा बाज़ार विदेशी कंपनियों के लिए खोल दे। इससे केवल इथेनॉल ही नहीं, बल्कि मक्का, सोयाबीन तेल, गेहूँ, डेयरी प्रोडक्ट्स और अन्य कृषि उत्पाद भी अमेरिका से आने लगेंगे।

भारतीय किसानों और उद्योगों पर खतरे
अगर भारत अमेरिकी दबाव में आकर बाज़ार खोल देता है, तो इसके गहरे असर होंगे:
1. देशी इथेनॉल और फसलों का दाम गिरेगा : अभी सरकार किसानों से गन्ना व मक्का लेकर इथेनॉल बनाती है और दाम तय करती है। लेकिन अमेरिकी इथेनॉल अगर सस्ते दामों पर आने लगा, तो देशी इथेनॉल की क़ीमत गिर जाएगी। किसानों की मेहनत बेकार जाएगी।
2. आयात पर निर्भरता : भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है। लेकिन विदेशी इथेनॉल और कृषि उत्पाद आने लगे तो हम फिर आयात पर निर्भर हो जाएंगे।
3. लाखों रोज़गार पर संकट : भारत में शुगर मिलें, बायोफ्यूल यूनिट्स और खाद्य उद्योग लाखों लोगों को रोज़गार देते हैं। अगर अमेरिकी उत्पाद हावी हो गए तो ये उद्योग धीरे-धीरे बंद हो जाएंगे।
4. कृषि आत्मनिर्भरता पर चोट: “आत्मनिर्भर भारत” का सपना तब पूरा होगा जब किसान और घरेलू उद्योग मजबूत रहेंगे। लेकिन अमेरिकी उत्पाद आने से किसान बाज़ार पर नियंत्रण खो देंगे।
क्यों करता है अमेरिका टैरिफ की राजनीति?
अमेरिका अपने किसानों और उद्योगों को भारी सब्सिडी देता है। इससे उसके उत्पाद बेहद सस्ते हो जाते हैं। फिर वह विकासशील देशों पर दबाव डालता है कि वे टैरिफ कम करें और बाज़ार खोलें। भारत में भी यही खेल हो रहा है। अमेरिका चाहता है कि – भारत विदेशी इथेनॉल और कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करे, घरेलू किसान और उद्योग अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले टिक न पाएँ, भारतीय बाज़ार पूरी तरह विदेशी उत्पादों के लिए खुल जाए

भारत के सामने बड़ी चुनौती
भारत सरकार के सामने इस समय दोहरी चुनौती है: 1. किसानों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बचाना 2. अमेरिका जैसे बड़े देशों के दबाव से निकलना,अगर भारत झुक गया तो हमारे किसानों की आमदनी और कृषि उद्योग बर्बाद हो जाएंगे। लेकिन अगर भारत अपनी नीतियों पर अडिग रहा, तो भविष्य में न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि इथेनॉल और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यातक भी बन सकता है।
समाधान और रास्ते
टैरिफ सुरक्षा बनाए रखना: भारत को आयात शुल्क घटाने से बचना चाहिए ताकि विदेशी उत्पाद सस्ते दामों पर न आ सकें। घरेलू उत्पादन बढ़ाना: इथेनॉल उत्पादन में और निवेश करना चाहिए, ताकि भारत की ज़रूरत भारत के किसान ही पूरी करें। किसानों को सीधा समर्थन: गन्ना, मक्का और सोयाबीन किसानों से सीधा जुड़ाव बढ़ाना होगा। निर्यात की दिशा में कदम: भारत को धीरे-धीरे इथेनॉल और कृषि उत्पादों का निर्यातक देश बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
अमेरिका का खेल केवल इथेनॉल तक सीमित नहीं है। उसका असली लक्ष्य है भारत का पूरा कृषि और ऊर्जा बाज़ार। अगर यह बाज़ार अमेरिकी कंपनियों के लिए खुल गया, तो भारतीय किसान और उद्योग गहरे संकट में आ जाएंगे। इसलिए भारत को अपने किसानों, घरेलू उद्योगों और आत्मनिर्भरता की रक्षा करनी होगी। विदेशी दबाव मानना आसान रास्ता हो सकता है, लेकिन यह भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है। मजबूत नीति और किसानों के साथ सीधा जुड़ाव ही भारत को सुरक्षित रख सकता है। अगर हमारे किसान मजबूत रहेंगे, तो हमारा देश भी मजबूत रहेगा। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
Comment
Also Read

पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा
खेती किसानी में अक्सर किसान भाई यह

बकरी के दूध से बने प्रोडक्ट्स – पनीर, साबुन और पाउडर
भारत में बकरी पालन (Goat Farming)

एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं
भारत सिर्फ़ अपने विशाल कृषि उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया क

एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ
आज के समय में खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही है। बदलत

Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन
खेती सिर्फ हल चलाने का काम नहीं, ये एक कला है और इस कला में विज्ञा
Related Posts
Short Details About