खेती में चूने का उपयोग कर रहा सभी उर्वरकों की छुट्टी


खेती में चूने (लाइम) का प्रयोग मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए एक प्रभावी तकनीक है। यह न केवल मिट्टी का पीएच संतुलित करता है, बल्कि पौधों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करता है। चूना खेती के लिए एक आवश्यक सुधारक है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल की उत्पादकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिसकी थोड़ी मात्रा ही बड़े क्षेत्रफल के भूमि की मिट्टी को उपजाऊ कर समृद्ध कर देती है।
चूने का उपयोग खेती में कैसे किया जाता है?
इसका मुख्य उपयोग मिट्टी के अम्लीयपन (एसिडिटी) को कम करना है। अम्लीय मिट्टी में पीएच 6 से कम होता है, जो फसल उत्पादन में बाधा उत्पन्न करता है अतः चूना डालने से पीएच 6.5-7.5 के बीच लाया जाता है, जो फसलों के लिए आदर्श स्थिति होती है और इसमें फसल समृद्ध रूप से विकसित हो पाती है।

मिट्टी की संरचना में सुधार:
चूना मिट्टी के कणों को आपस में जोड़ता है, जिससे मिट्टी भुरभुरी और हवादार हो जाती है। यह जल निकासी और जड़ों के फैलाव को आसान बनाता है।
मात्रा और उपयोग का समय:
चूना डालने से पहले मिट्टी का परीक्षण कराना अनिवार्य है। अम्लीय मिट्टी में प्रति हेक्टेयर 200-500 किलोग्राम चूना डाला जाता है। चूना बुवाई से 1-2 महीने पहले खेत में डालें ताकि यह मिट्टी में अच्छी तरह मिल सके।
फैलाने का तरीका:
चूना खेत में समान रूप से फैलाया जाता है और जुताई करते समय मिट्टी में मिलाया जाता है। इसके बाद सिंचाई करें ताकि यह मिट्टी में घुलकर प्रभावी हो सके।
खेती में चूने के लाभ:
अम्लीय मिट्टी में फसलों की जड़ें पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पातीं। चूने के उपयोग से मिट्टी का अम्लीयपन कम होता है, जिससे पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद मिलती है। साथ ही ये मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करता है। जैसे कैल्शियम (Ca) जड़ों की वृद्धि में मदद करता है, पौधों की कोशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है। वहीं इसमें उपस्थित मैग्नीशियम (Mg) प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) में सहायक है और पौधों को हरा रंग (क्लोरोफिल) देने के लिए भी आवश्यक है। अम्लीय मिट्टी में एल्युमिनियम और मैंगनीज जैसे तत्व सक्रिय हो जाते हैं, जो पौधों के लिए हानिकारक होते हैं। चूना इन तत्वों को निष्क्रिय करता है और मिट्टी को स्वस्थ बनाता है।
जैविक गतिविधि में वृद्धि:
चूना लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाता है, जो मिट्टी में पोषक तत्वों का चक्रण करते हैं। यह जैविक उर्वरता को बनाए रखने में सहायक है। चूना मिट्टी के कणों को आपस में जोड़ता है, जिससे मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है। अधिक पानी या सूखे की स्थिति में फसलों को नुकसान से बचाता है। चूने के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, जिससे फसल की पैदावार में 10-20% तक वृद्धि हो सकती है।
चूने के प्रकार और उनके उपयोग:
- कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃): धीमे असर करता है, लेकिन लंबे समय तक प्रभावी रहता है। सामान्य फसलों के लिए उपयुक्त।
- डोलोमाइट (CaMg(CO₃)₂): कैल्शियम के साथ-साथ मैग्नीशियम भी प्रदान करता है। मैग्नीशियम की कमी वाली मिट्टी के लिए आदर्श।
- क्विक लाइम (CaO): तेज़ी से असर करता है, लेकिन सावधानीपूर्वक उपयोग की आवश्यकता होती है।
- स्लैक्ड लाइम (Ca(OH)₂): पानी में घुलनशील, त्वरित उपयोग के लिए तैयार।

किन फसलों के लिए चूना लाभकारी है?
चूने युक्त मिट्टी में गेहूं, धान, मक्का, बाजरा तथा दलहनी फसलों में चना, मूंग, उड़द, मसूर और फल व सब्जियों की खेती में टमाटर, आलू, प्याज, मिर्च, खट्टे फल, अंगूर, सेब, गन्ना, अदरक, हल्दी आदि फसलें इस प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है।
आर्थिक लाभ:
चूने का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ने के कारण फसलों की पैदावार में 15-25% तक की वृद्धि हो सकती है। यह खाद और उर्वरकों के उपयोग की लागत को कम करता है। चूना अन्य उर्वरकों जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश की प्रभावशीलता को बढ़ाता है। किसानों को उर्वरकों पर होने वाले खर्च में बचत होती है।
मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता:
चूने का उपयोग मिट्टी की संरचना को स्थायी रूप से सुधारता है, जिससे फसल उत्पादन के लिए मिट्टी लंबे समय तक उपयुक्त बनी रहती है।
खेती में चूने का उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और फसल उत्पादन बढ़ाने का एक वैज्ञानिक और किफायती तरीका है। यह न केवल मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि इसके अम्लीयपन को कम करके फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि करता है। चूने का नियमित उपयोग किसानों को अधिक उपज और बेहतर मुनाफा सुनिश्चित करता है। यदि वैज्ञानिक विधियों से इसका सही समय और मात्रा में उपयोग किया जाए, तो यह खेती को लंबे समय तक टिकाऊ और लाभदायक बना सकता है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट करो अवश्य बताएं तथा ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
Comment
Also Read

पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा
खेती किसानी में अक्सर किसान भाई यह

बकरी के दूध से बने प्रोडक्ट्स – पनीर, साबुन और पाउडर
भारत में बकरी पालन (Goat Farming)

एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं
भारत सिर्फ़ अपने विशाल कृषि उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया क

एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ
आज के समय में खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही है। बदलत

Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन
खेती सिर्फ हल चलाने का काम नहीं, ये एक कला है और इस कला में विज्ञा
Related Posts
Short Details About