काला गन्ना: किसानों के लिए मिठास और मुनाफे का संगम

भारत में गन्ने की खेती सदियों से होती आ रही है। गाँव की चौपाल पर गन्ने का रस हो या शादी-ब्याह में गुड़ और खांड, गन्ने का महत्व हर जगह नजर आता है। गन्ने की कई किस्में होती हैं, लेकिन इनमें से एक किस्म ऐसी है जो अपने रंग, स्वाद और खासियत की वजह से सबसे अलग पहचान रखती है – और वह है काला गन्ना।
इस गन्ने का रंग गहरा काला-बैंगनी होता है और इसका स्वाद साधारण गन्ने से कहीं ज्यादा मीठा व गाढ़ा माना जाता है। यही वजह है कि काला गन्ना बाजार में जल्दी बिकता है और अच्छा दाम भी दिलाता है। किसान भाई अगर सही तरीके से इसकी खेती करें तो कम जमीन पर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

काला गन्ना क्या है?
काला गन्ना दरअसल गन्ने की एक खास किस्म है जिसकी डंडियां मोटी और चमकदार काले रंग की होती हैं। इसमें रस की मात्रा ज्यादा होती है और स्वाद भी लाजवाब होता है।
गाँवों में लोग इसे ताकत बढ़ाने वाला गन्ना मानते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक इसका रस पाचन सुधारने, शरीर की गर्मी कम करने और खून की कमी पूरी करने में मदद करता है। गर्मियों में ठंडक देने के लिए यह रस किसी औषधि से कम नहीं माना जाता।
कहाँ उगता है काला गन्ना?
काला गन्ना मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार और मध्य प्रदेश में बोया जाता है। गर्म और नमी वाली जगहें इसकी खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। सामान्य गन्ने की तुलना में यह किस्म थोड़ी मजबूत होती है और स्वाद में ज्यादा अच्छी होती है, इसलिए इसकी कीमत भी ज्यादा मिलती है।
खेती करने का तरीका
1. मिट्टी और जलवायु : दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया होती है। मिट्टी का pH 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। धूप और नमी इस फसल की जान हैं।
2. खेत की तैयारी : खेत की गहरी जुताई करें और समतल बना दें। बुआई से पहले खेत में 8–10 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।
3. बुआई : बुआई के लिए तीन आँखों वाली कलमें इस्तेमाल करनी चाहिए। एक हेक्टेयर खेत में 35–40 क्विंटल कलमें लगती हैं। बुआई का सही समय फरवरी से अप्रैल या फिर सितंबर–अक्टूबर होता है। कतार से कतार की दूरी 90 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 20–25 सेंटीमीटर रखी जाती है।
4. खाद और उर्वरक : जैविक खाद डालना सबसे जरूरी है। रासायनिक खादों में प्रति हेक्टेयर 150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश पर्याप्त होता है। यूरिया की टॉप ड्रेसिंग समय-समय पर करनी चाहिए।
5. सिंचाई : पहली सिंचाई बुआई के 5–7 दिन बाद करें। गर्मियों में हर 10–12 दिन पर और सर्दियों में 20–25 दिन पर सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है और पैदावार भी बढ़ती है।
6. देखभाल : खरपतवार को समय-समय पर निकालते रहें। 40–45 दिन बाद पहली गुड़ाई करें। दीमक और तना छेदक जैसे कीटों से बचाव के लिए नीम तेल या जैविक दवा का प्रयोग करें।
7. कटाई : काला गन्ना लगभग 10–12 महीने में तैयार हो जाता है। जब पत्तियाँ सूखने लगें और डंडी में पूरा रस आ जाए, तभी कटाई करें।कटाई नीचे से करनी चाहिए ताकि अगले साल पौधे फिर से निकल सकें।

पैदावार और मुनाफा
सामान्यत: काला गन्ना प्रति हेक्टेयर 800–1000 क्विंटल तक उपज दे सकता है। अच्छी देखभाल और सही तकनीक अपनाने पर पैदावार और बढ़ सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह गन्ना बाजार में साधारण गन्ने से ज्यादा दाम पर बिकता है।
फायदे
1. आर्थिक लाभ : काला गन्ना हमेशा अधिक कीमत पर बिकता है। जूस बेचने वाले इसे प्राथमिकता से खरीदते हैं। किसानों को औसतन दोगुना लाभ मिल सकता है।
2. स्वास्थ्य लाभ : खून की कमी दूर करता है। पाचन शक्ति सुधारता है। शरीर को ठंडक देता है। थकान और कमजोरी दूर करने में मदद करता है।
3. अन्य उपयोग : इससे गुड़, खांड और सिरका बनाया जाता है। इसके पत्ते पशुओं के चारे में और बचे हिस्से खाद बनाने में काम आते हैं। खास बातें जो किसानों को जाननी चाहिए खेत में पानी का जमाव बिल्कुल न होने दें। हमेशा रोगमुक्त और स्वस्थ कलमें ही लगाएँ। समय पर खाद और सिंचाई करना जरूरी है। अगर मंडी न भी जाएँ तो व्यापारी खुद गाँव में आकर इसे खरीद लेते हैं।
निष्कर्ष
काला गन्ना एक ऐसी फसल है जो किसानों को मिठास के साथ मुनाफा भी देती है। इसकी खेती साधारण गन्ने जैसी ही है, बस थोड़ी ज्यादा देखभाल करनी होती है। सही समय पर बुआई, खाद, सिंचाई और कटाई करके किसान भाई अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। आने वाले समय में काला गन्ना गाँव की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आएगा। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
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