क्रैब्स फार्मिंग (Crab Farming): किसानों के लिए नया सुनहरा मौका

भारत की मिट्टी में खेती केवल गेहूँ, धान या सब्ज़ी उगाने तक सीमित नहीं रही। अब किसान धीरे-धीरे अपनी आय बढ़ाने के लिए नए-नए रास्ते अपना रहे हैं। मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन और मशरूम खेती जैसे विकल्प पहले से ही लोकप्रिय हो चुके हैं। इसी कड़ी में अब एक नया और मुनाफ़ेदार विकल्प तेजी से सामने आ रहा है – क्रैब्स फार्मिंग (Crab Farming) यानी केकड़ा पालन।
समुद्री इलाकों में रहने वाले लोग तो लंबे समय से केकड़े पकड़कर बेचते रहे हैं, लेकिन आज तकनीक और बढ़ती मांग की वजह से यह व्यवसाय गाँवों और कस्बों तक पहुँच रहा है। केकड़े का मांस स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन से भरपूर माना जाता है। यही वजह है कि होटल, रेस्टोरेंट और निर्यात कंपनियाँ इसकी बड़ी मात्रा में खरीद करती हैं। किसान अगर सही ढंग से इसकी शुरुआत करें तो कम समय में अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं।

क्रैब्स फार्मिंग क्या है?
क्रैब्स फार्मिंग का मतलब है तालाब, झील, नदी या कृत्रिम टैंक में केकड़ों को पालना और बड़े होने पर उन्हें बाजार में बेचना। यह दो तरीकों से किया जा सकता है –
1. फैटेनिंग (Crab Fattening): इसमें अधपके या कम वजन वाले केकड़े पकड़े जाते हैं और कुछ हफ्तों तक इन्हें खुराक देकर मोटा किया जाता है। इसके बाद इन्हें बाजार में ऊँचे दामों पर बेचा जाता है।
2. कल्चर फार्मिंग (Culture Farming): इसमें छोटे-छोटे केकड़े (Juvenile Crabs) खरीदे जाते हैं और उन्हें तालाब या टैंक में डालकर पूरी तरह से बड़ा किया जाता है। यह तरीका थोड़ा लंबा होता है लेकिन ज्यादा मुनाफ़ा देता है।
क्रैब्स फार्मिंग शुरू करने के लिए ज़रूरी बातें
1. स्थान का चुनाव: तटीय क्षेत्र या खारे पानी के पास यह पालन सबसे अच्छा होता है। लेकिन अब टैंक और बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से इसे कहीं भी किया जा सकता है।
2. तालाब या टैंक की तैयारी: 0.1 हेक्टेयर से लेकर बड़े पैमाने तक तालाब तैयार किया जा सकता है। गहराई 1 से 1.5 मीटर ठीक रहती है पानी का pH 7.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए।
3. खुराक (Feed): केकड़े सर्वाहारी होते हैं। इन्हें मछली के टुकड़े, झींगा, सीप और अनाज की भूसी दी जा सकती है। इनके वजन का लगभग 5-10% खाना रोज़ाना देना चाहिए।
4. देखभाल: पानी की गुणवत्ता सही रखनी बहुत ज़रूरी है। तालाब में शैवाल की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। केकड़े आपस में लड़ते हैं, इसलिए ज्यादा भीड़ नहीं करनी चाहिए।
लागत और निवेश
अगर आपके पास पहले से तालाब है तो छोटे स्तर पर 50,000 से 1 लाख रुपये में शुरुआत हो सकती है। टैंक आधारित पालन में खर्च थोड़ा ज्यादा आता है, लगभग 2 से 3 लाख रुपये। मुख्य खर्चा बीज (Juvenile Crabs), खुराक और पानी की देखभाल में होता है।
मुनाफा
एक तालाब में 1000 से 2000 केकड़े डाले जा सकते हैं। 4-6 महीने में इनका वजन 400 से 800 ग्राम तक पहुँच जाता है। मार्केट में जिंदा केकड़े 400 से 800 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। अगर कोई किसान 1 हेक्टेयर तालाब में खेती करे तो 3 - 4 लाख रुपये लगभग की आमदनी संभव है। सबसे बड़ी बात – चीन, जापान, सिंगापुर और अमेरिका जैसे देशों में भारतीय केकड़ों की खूब मांग है, जिससे निर्यात का भी बड़ा मौका है।
क्रैब्स फार्मिंग क्यों है खास?
1. कम समय में ज्यादा मुनाफ़ा। 2. देश के साथ-साथ विदेशों में भी जबरदस्त डिमांड। 3. छोटे तालाब या टैंक से भी शुरुआत संभव। 4. पोषक तत्वों से भरपूर मांस – प्रोटीन, ओमेगा-3 और विटामिन। 5. गाँव के युवाओं के लिए नया रोजगार।
चुनौतियाँ : पानी की गुणवत्ता बिगड़ने पर नुकसान हो सकता है। बीमारियाँ और परजीवी का खतरा रहता है। निर्यात और मार्केट तक पहुँच बनाने में मेहनत लगती है। ज्यादा घनत्व में रखने से केकड़े आपस में लड़ते हैं और नुकसान होता है।

सरकार और ट्रेनिंग
भारत में MPEDA (Marine Products Export Development Authority) और ICAR-CIBA जैसे संस्थान किसानों को क्रैब्स फार्मिंग की ट्रेनिंग और तकनीकी मदद देते हैं। कई राज्य सरकारें मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और लोन भी देती हैं।
स्टेप बाय स्टेप गाइड
1. सही जगह या टैंक का चयन करें। 2. तालाब की गहराई और पानी की गुणवत्ता जाँचें। 3. Juvenile Crabs (बीज) खरीदकर डालें। 4. रोज़ाना सही मात्रा में खुराक दें। 5. पानी का pH और खारापन नियमित जाँचते रहें। 6. घनत्व नियंत्रित रखें ताकि लड़ाई न हो। 7. 4-6 महीने बाद केकड़ों को बाजार में बेचें।
निष्कर्ष
आज के समय में खेती का मतलब केवल खेत की फसल नहीं रह गया है। किसान भाई अगर नई दिशा में कदम बढ़ाएँ तो उनकी आमदनी दोगुनी-तीन गुनी तक हो सकती है। क्रैब्स फार्मिंग एक ऐसा ही विकल्प है जिसमें कम ज़मीन, कम समय और उचित लागत में अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। भारत में समुद्र तटीय इलाकों के साथ-साथ अब इनलैंड टैंक में भी इसकी शुरुआत हो रही है। आने वाले समय में जब इसकी मांग और निर्यात बढ़ेगा तो यह खेती किसानों के लिए सोने की खान साबित हो सकती है। ऐसी अमेजिंग जानकरी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
Comment
Also Read

काजू की खेती: किसानों के लिए सोने की तरह मुनाफा
काजू केवल एक स्वादिष्ट मेवा नहीं ह

भारत के आयुर्वेदिक पौधे बनाम चीन के औषधीय पौधे
दुनिया में अगर कोई देश प्राकृतिक औ

बिचौलिया हटाओ अभियान – Hello Kisaan क्या कर रहा है?
भारत के खेतों में हर दिन सूरज से प

काला गन्ना: किसानों के लिए मिठास और मुनाफे का संगम
भारत में गन्ने की खेती सदियों से ह

दुनिया का सबसे बड़ा मेवा
मेवों की दुनिया बेहद रोचक है। हमार
Related Posts
Short Details About