कांग्रेस घास, जिसे गाजर घास भी कहा जाता है, भारत में बहुत तेजी से फैलने वाला खरपतवार है। हर साल भारत को इससे करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है, क्योंकि यह खेतों में फसलों को खराब कर देता है, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कम कर देता है और इंसानों में एलर्जी और बीमारियाँ फैलाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Parthenium hysterophorus है। यह ना सिर्फ खेती और पशुओं के लिए खतरनाक है, बल्कि इंसानों की सेहत पर भी बुरा असर डालता है।
1960 के दशक में भारत में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे देश में भोजन की भारी कमी हो गई। तब अमेरिका से लाल गेहूं मंगवाया गया। लेकिन इस गेहूं में कांग्रेस घास के बीज भी मिले हुए थे। जब यह गेहूं खेतों में बोया गया, तो यह खरपतवार भी भारत में फैल गया।
"कांग्रेस घास" नाम कैसे पड़ा?
1. कांग्रेस सरकार के समय यह भारत में आई, इसलिए इसे कांग्रेस घास कहा गया।
2. इस घास के सफेद फूल कांग्रेस नेताओं की सफेद टोपी जैसे दिखते हैं, इसलिए भी इसे यह नाम मिला।

1 - कांग्रेस घास की विशेषताएँ
- यह एक झाड़ीदार पौधा होता है, जिसकी ऊँचाई 1 से 1.5 मीटर तक हो सकती है।
- इसके पत्ते गाजर के पत्तों जैसे दिखते हैं, इसलिए इसे गाजर घास भी कहते हैं।
- इसके फूल छोटे सफेद रंग के होते हैं, जो झुंड में उगते हैं।
- यह एक साल में 5 से 6 बार फूल और बीज बना सकता है।
- एक पौधा 30,000 से ज्यादा बीज छोड़ सकता है, जो हवा, पानी, जानवरों और गाड़ियों के जरिए बहुत दूर-दूर तक फैलते हैं।
- इसकी बीजों की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि वे 10-20 साल तक ज़मीन में दबे रहकर भी उग सकते हैं।
2 - तेजी से फैलने की क्षमता
- यह सड़कों, रेलवे ट्रैक्स, खाली ज़मीन, बाग-बगीचों और खेतों में आसानी से उग जाता है।
- हवा और पानी के जरिए इसके बीज सैकड़ों किलोमीटर दूर तक जा सकते हैं।
- एक बार उगने के बाद इसे हटाना बहुत मुश्किल होता है।
कांग्रेस घास के प्रमुख नुकसान
1. खेती को भारी नुकसान
- यह फसलों को बढ़ने नहीं देती, जिससे पैदावार बहुत कम हो जाती है।
- इसकी जड़ें ज़हरीले रसायन (एलिलोपैथिक केमिकल्स) छोड़ती हैं, जो मिट्टी को खराब कर देती हैं।
- यह गेहूं, चावल, मक्का, दालें, सब्जियाँ और गन्ने जैसी प्रमुख फसलों को बर्बाद कर सकती है।
- इस खरपतवार की वजह से खेती करने में ज्यादा मेहनत और लागत लगती है।
2. पशुओं के लिए ज़हरीली
- गाय-भैंस और दूसरे पशु इसे नहीं खाते, क्योंकि यह पार्थेनिन (Parthenin) नाम का ज़हरीला रसायन छोड़ती है।
- अगर कोई पशु गलती से इसे खा ले, तो उसके पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है और दूध की मात्रा 40% तक कम हो सकती है।
- यह पशुओं की त्वचा पर घाव, खुजली और अन्य बीमारियाँ पैदा कर सकती है।
3. इंसानों के लिए खतरनाक
- त्वचा पर लगने से खुजली, जलन और एलर्जी हो सकती है।
- इसकी पराग (पोलिन) हवा में मिलकर अस्थमा, सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों की बीमारियाँ पैदा कर सकती है।
- खेतों में काम करने वाले किसानों और खुले में रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।

4. पर्यावरण को नुकसान
- यह मिट्टी की उर्वरता कम कर देती है, जिससे दूसरी फसलें और पेड़-पौधे नहीं उग पाते।
- जंगलों में यह घास प्राकृतिक पेड़ पौधे को खत्म कर देती है
- यह मधुमक्खियों और तितलियों को खत्म कर देती है, जिससे जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) पर असर पड़ता है।
- भारत में कांग्रेस घास कहाँ-कहाँ फैली है?
यह खरपतवार लगभग पूरे भारत में फैल चुकी है, लेकिन यह खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में अधिक पाई जाती है।
यह सड़कों के किनारे, रेलवे ट्रैक, खाली मैदान, नदी-तालाबों के किनारे, बाग-बगीचों और खेतों में बहुत ज्यादा उगती है।
कांग्रेस घास से कैसे छुटकारा पाया जाए?
1. इसे जड़ से उखाड़कर नष्ट करना
- इसे जड़ से उखाड़कर जलाना या मिट्टी में दबा देना सबसे अच्छा तरीका है।
- इसे बारिश से पहले उखाड़ना जरूरी होता है, क्योंकि बारिश में इसके बीज और ज्यादा फैल जाते हैं।
2. जैविक खाद बनाना
इससे जैविक खाद (कंपोस्ट) बनाई जा सकती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
3. इसे बायोगैस और कागज बनाने में इस्तेमाल करना
- इसके सूखे पौधों को बायोगैस बनाने में भी मिलाया जा सकता है।
- इसकी लकड़ी जैसी संरचना से कागज भी बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
कांग्रेस घास भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह खेती, पशुपालन और इंसानों की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। इसे समय रहते नष्ट करना बहुत जरूरी है। अगर सही तरीकों से इसका उपयोग किया जाए, तो इसे खाद, कागज और बायोगैस बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस घास को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि भारत को इस खतरनाक खरपतवार से बचाया जा सके।
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