मइक्रोग्रेस की खेती


आजकल हर कोई अपनी सेहत को लेकर सतर्क है। लोग सलाद, हरी सब्ज़ियां और सुपरफूड्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं। इसी बढ़ती जागरूकता के बीच "माइक्रोग्रीन्स" की मांग तेजी से बढ़ी है। यह न सिर्फ सेहतमंद भोजन का हिस्सा हैं, बल्कि शहरी क्षेत्रों में एक सफल कमाई का जरिया भी बन चुके हैं। खास बात यह है कि इसकी खेती किसी खेत, ट्रैक्टर या बहुत बड़ी ज़मीन की मोहताज नहीं है। आप घर की छत, बालकनी या किसी छोटे कमरे में भी माइक्रोग्रीन्स की खेती कर सकते हैं और हर महीने ₹25,000 से ₹50,000 तक की कमाई कर सकते हैं।

माइक्रोग्रीन्स क्या हैं और क्यों खास हैं?
माइक्रोग्रीन्स वे छोटे-छोटे पौधे होते हैं जो बीज अंकुरण के 7 से 10 दिन बाद ही काटे जाते हैं। इन्हें पौधों का शुरुआती रूप कह सकते हैं – न पूरी तरह अंकुर, न पूरी तरह पौधा। लेकिन इसी अवस्था में इनमें सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। विटामिन A, C, E, K, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स इनमें भरपूर होते हैं। इनका स्वाद तेज़, रंग गहरा और पोषण उच्चतम स्तर पर होता है। यही वजह है कि होटल, रेस्टोरेंट, डाइटिशियन, और हेल्थ-कॉन्शियस लोग इन्हें सलाद, सूप, बर्गर, पिज़्ज़ा और डेकोरेशन में इस्तेमाल करते हैं। सबसे प्रसिद्ध माइक्रोग्रीन्स में सूरजमुखी, मूली, मेथी, ब्रोकोली, पालक, सरसों, चुकंदर, मटर, ब्रसेल्स स्प्राउट और कोरिएंडर (धनिया) आते हैं।
कम जगह में कम लागत से खेती कैसे करें?
इस खेती की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे आप किसी बंद कमरे, बालकनी या छत पर भी शुरू कर सकते हैं। जरूरत है सिर्फ कुछ ट्रे, बीज, एक साफ वातावरण और थोड़ा समय। इसमें मिट्टी की भी आवश्यकता नहीं होती – कोकोपीट या वर्मी कम्पोस्ट पर आप इसकी खेती कर सकते हैं। शुरुआत में 50 से 100 ट्रे पर्याप्त होती हैं। प्रत्येक ट्रे 10x12 इंच की होती है और उसमें लगभग 20-30 ग्राम बीज डाले जाते हैं। बीजों को रातभर भिगोकर अगले दिन ट्रे में कोकोपीट पर बिखेर दें और हल्के हाथ से दबा दें। पहले दो दिन अंधेरे में रखें ताकि अंकुरण अच्छा हो, फिर इन्हें रोशनी में शिफ्ट करें – चाहे सूरज की रौशनी हो या LED ग्रो लाइट्स । हर दिन हल्का पानी छिड़कना जरूरी है लेकिन ध्यान रखें कि पानी ज्यादा न हो वरना फफूंद लग सकती है। 7–10 दिन में तैयार – बार-बार बोआई, बार-बार कमाई हर ट्रे से 200–300 ग्राम माइक्रोग्रीन मिलते हैं। यानी 100 ट्रे से हफ्ते में लगभग 20–25 किलो उत्पादन। माइक्रोग्रीन्स की बाजार में कीमत ₹300 से ₹600 प्रति किलो है। इस हिसाब से आपकी हफ्ते की आमदनी ₹6,000 से ₹15,000 हो सकती है। और चूंकि फसल हर 7–10 दिन में तैयार हो जाती है, आप महीने में 3 से 4 बार कटाई कर सकते हैं। इसका मतलब है महीने की कमाई ₹25,000 से ₹50,000 तक, और अगर आप इसे ब्रांड बनाकर बेचें, होम डिलीवरी या सब्सक्रिप्शन मॉडल जोड़ें, तो यह ₹1 लाख तक भी जा सकती है।
कहां और कैसे बेचे?
माइक्रोग्रीन्स सीधे घर-घर बेचना संभव नहीं होता, इसलिए स्मार्ट मार्केटिंग जरूरी है। हाउसिंग सोसायटी ग्रुप्स में सब्सक्रिप्शन मॉडल चलाइए – हफ्ते में दो बार डिलीवरी। जिम, योगा सेंटर, डाइटिशियन और कैफे से संपर्क करें – ये हेल्थ फ्रेंडली चीजें अपनाते हैं। Instagram और WhatsApp पर ब्रांड बनाएं – लोगों को जानकारी दें, लाइव वीडियो शेयर करें। रिटेल स्टोर और ऑर्गेनिक शॉप्स में डीलरशिप दें।

लागत और मुनाफा – एक नजर में
खर्च का नाम अनुमानित राशि
100 ट्रे और स्टैंड ₹4,000 – ₹5,000
बीज (प्रति माह) ₹3,000 – ₹4,000
कोकोपीट और खाद ₹1,000 – ₹1,500
पानी, स्प्रे, अन्य खर्च ₹1,000
कुल शुरुआती लागत ₹10,000 – ₹12,000
अब अगर हर महीने 80–100 किलो माइक्रोग्रीन बेचते हैं तो कमाई ₹30,000 – ₹60,000 के बीच आसानी से हो सकती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
1. बीज हमेशा ऑर्गेनिक और untreated लें। 2. ट्रे और हाथों की सफाई बहुत जरूरी है। 3. ज्यादा नमी से फफूंदी और रोग लगते हैं – संतुलित पानी दें। 4. तापमान 20°C – 28°C के बीच रखें – बहुत गर्म या ठंडा मौसम असर डाल सकता है। 5. कटाई के बाद तुरंत पैक करें – zip lock बैग या eco-packaging का इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष – नया ज़माना, नई खेती
माइक्रोग्रीन्स की खेती आज के युवा, महिलाएं, स्टार्टअप चाहने वाले और शहरों में रहने वालों के लिए एक शानदार विकल्प है। इसमें खेती भी है, व्यवसाय भी, और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इस मॉडल की सबसे बड़ी ताकत है – "कम लागत, कम जगह, कम समय और ज्यादा मुनाफा"। यदि आप नौकरी से थक चुके हैं, कुछ नया और टिकाऊ करना चाहते हैं, तो माइक्रोग्रीन्स आपके लिए अगला कदम हो सकता है। ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।।जय हिन्द जय भारत ।।
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