क्या आपने कभी सोचा है कि पेड़ भी आपस में बातें कर सकते हैं? यह कोई कल्पना नहीं बल्कि सच है वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि पेड़ एक-दूसरे से अपनी जड़ों के जरिए संपर्क करते हैं। वे पोषक तत्व बाटते हैं, एक-दूसरे को खतरे की चेतावनी देते हैं और कमजोर पौधों की मदद भी करते हैं।


अब सवाल यह है कि पेड़ बात कैसे करते हैं? 

1. पेड़ों की छुपी हुई भाषा

पेड़ इंसानों की तरह आवाज़ में बात नहीं करते, लेकिन उनकी जड़ें एक-दूसरे से संकेत भेजती हैं। यह संचार एक खास तरह की फंगस की मदद से होता है जिसे माइकोराइज़ल फंगस कहा जाता है।यह फंगस जड़ों से जुड़कर एक भूमिगत नेटवर्क बनाता है जिसे वैज्ञानिक वुड वाइड वेब (Wood Wide Web) कहते हैं। यह नेटवर्क कंप्यूटर के इंटरनेट की तरह काम करता है जिससे पेड़ आपस में सूचना और पोषक तत्वों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

2. पेड़ खतरे की चेतावनी कैसे देते हैं?

जब कोई पेड़ किसी खतरे में होता है जैसे कि कोई कीड़ा उसकी पत्तियां खा रहा हो या उसे कोई बीमारी लग गई हो तो वह अपने आसपास के पेड़ों को जड़ों के जरिए संकेत भेजता है। अगर किसी पेड़ पर दीमक हमला कर रहे हैं, तो वह अपने पड़ोसी पेड़ों को सावधान करने वाले रसायन भेजता है। यह संकेत मिलने के बाद, बाकी पेड़ रक्षा तंत्र विकसित कर लेते हैंजै से कि पत्तियों में कड़वा रस बना लेते हैं ताकि कीड़े उन्हें नुकसान न पहुंचा सकें। इस तरह, पेड़ एक-दूसरे को पहले से ही खतरे के बारे में सूचित कर देते हैं।

3. बड़े पेड़ छोटे पौधों की मदद कैसे करते हैं?

पेड़ों के बीच सिर्फ कंपटीशन नहीं होती, बल्कि वे एक-दूसरे की मदद भी करते हैं। खासतौर पर बड़े और बूढ़े पेड़ छोटे और कमजोर पौधों को पोषक तत्व देकर उनकी देखभाल करते है अगर कोई छोटा पौधा छायादार जगह पर हो और उसे धूप कम मिल रही हो, तो आसपास के बड़े पेड़ उसे अपने जड़ों के नेटवर्क के जरिए भोजन भेज सकते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे कोई मां अपने बच्चे को खाना खिलाती है इसलिए वैज्ञानिक इन बड़े पेड़ों को मदर ट्री भी कहते हैं। यह प्रक्रिया जंगलों में नए पौधों को पनपने में मदद करती है और पूरे इकोसिस्टम को संतुलित बनाए रखती है।

4. मृत्यु के बाद भी योगदान

जब कोई पुराना पेड़ मरने लगता है तो वह अपने पोषक तत्व मिट्टी में छोड़ देता है जिससे बाकी पेड़ उसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. विज्ञान इस बारे में क्या कहता है?

कनाडा की वैज्ञानिक सूज़न सिमार्ड (Suzanne Simard) ने इस विषय पर गहरा शोध किया है। उनके अनुसार: पेड़ खतरे के संकेत भेजते हैं ताकि बाकी पेड़ सतर्क हो सकें। वे छोटे पौधों को पोषक तत्व देकर मदद करते हैं। जंगलों में यह नेटवर्क पूरे पर्यावरण को संतुलित बनाए रखता है। उनका शोध साबित करता है कि पेड़ सिर्फ अकेले खड़े नहीं होते, बल्कि वे एक विशाल परिवार की तरह रहते हैं।

6. इस जानकारी का क्या लाभ है?

अगर हम समझ जाएं कि पेड़ एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो हम जंगलों को बचाने और फिर से उगाने में मदद कर सकते हैं। पेड़ों को ज्यादा काटने से जंगल का संतुलन बिगड़ जाता है। खासतौर पर अगर "मदर ट्री" काट दी जाए तो छोटे पौधों की वृद्धि रुक सकती है अगर हमें जंगलों को पुनर्जीवित करना है तो हमें बड़े पेड़ों को संरक्षित करना होगा। कृषि में भी यह ज्ञान उपयोगी हो सकता है। किसान कुछ विशेष फसलें पास-पास लगाकर उनकी जड़ों के संपर्क का फायदा उठा सकते हैं।


निष्कर्ष

पेड़ सच में आपस में बात करते हैं वे अपनी जड़ों के जरिए पोषक तत्व साझा करते हैं, एक-दूसरे को खतरे से बचाने में मदद करते हैं और जंगलों का संतुलन बनाए रखते हैं। यह संचार प्रणाली प्रकृति के गहरे रहस्यों में से एक है।

तो अगली बार जब आप किसी जंगल में जाएं, तो सोचिए – हो सकता है कि वहां के पेड़ एक-दूसरे से कोई गुप्त संदेश भेज रहे हों।

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