दुनिया की सबसे छोटी गायें, जिन्हें गोदी में भी उठा लें


वर्तमान में जहां नए-नए पालतू पशुओं को पालने का ट्रेंड चला है, वहीं सबसे शानदार और फायदेमंद विकल्प है पुंगनूर नस्ल की गाय, जो देखने में बहुत ही सुंदर और मासूम तो प्रतीत होती ही है साथ में दूध भी देती है। इनका वजन इतना की आप इन्हें गोदी में भी आराम से उठा लें। ये घर के ड्राइंग रूम, कमरों आदि में ऐसे ही घूमती रहती है। इनकी सुंदरता और पवित्रता के कारण लोग इन्हें बहुत अधिक पसंद कर रहे हैं। आये जानते हैं इन गाय की विशेषता और इनसे जुड़ी संपूर्ण जानकारी।यह गायें अपनी छोटी कद-काठी के लिए प्रसिद्ध है और इन्हें खास तौर पर बागवानी फॉर्म और कैंपिंग के लिए पालतू जानवर के रूप में भी रखा जाता है। इन गायों का रंग अलग-अलग हो सकता है, जिसमें काले, भूरे, सफेद, ग्रे रंग और रंगीन धब्बों वाली गाय भी शामिल है।
आकार और कद:
पुंगनूर या पार्लर गायें की ऊंचाई सामान्यतः 20 से 30 इंच के बीच होती है, जिससे यह अन्य गायों की नस्ल से काफी छोटी है। व्यस्क गायों का वजन लगभग 20 से 30 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि मादा गायें थोड़ी भारी होती है।
निवास स्थान और देखभाल:
पुंगनूर गाय आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपपोषण कटिबंधीय क्षेत्र में पाई जाती है। यह गायें विशेष रूप से शुष्क और गर्म जलवायु को सहन कर सकती है। लेकिन अत्यधिक ठंड और आद्रता से बचाव की आवश्यकता है। पहले ये गायें दक्षिण भारत महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल तथा तमिलनाडु आदि राज्यों में देखने को मिलती थी; परंतु अब यह संपूर्ण भारत में पायी जा सकती है। इनको पालने की किसानों तथा अन्य लोगों में होड लगी रहती है, क्योंकि छोटे कद-काठी और अपनी सुंदरता के कारण यह चर्चा का विषय बनी रहती है।
आहार और दूध उत्पादन:
इन गायों को आहार की जरूरत अन्य नस्ल की गायों के मुकाबले कम होती है। इन्हें घास, हरा चारा और पूरक घरेलू खाद्य पदार्थ आदि दिए जाते हैं। इनका आहार हल्का और पौष्टिक होता है, जिससे वे स्वस्थ रह सकें।दूध उत्पादन की बात करें तो दूध भी अन्य नस्ल की गायों के मुकाबले कम ही होता है। 1 दिन में 2 से 3 लीटर दूध ही दे पाती है, हालांकि इनका दूध भी पौष्टिक होता है और ये छोटे पैमाने पर दूध उत्पादन करने वालों के लिए आदर्श हो सकती है।

दूध के लाभ:
पुंगनूर गायों का दूध प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन्स से भरपूर तो होता ही है, साथ में यह हड्डी और दांतों को मजबूत करने में मदद करता है तथा शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य में भी योगदान देता है। इनका दूध हृदय और त्वचा समस्याओं के लिए भी लाभदायक है।
मूल्य और उपलब्धता:
इनकी कीमत उम्र, स्वास्थ्य और नस्ल के आधार पर भिन्न हो सकती है। सामान्यतः 30 से 50 हजार तक ये गायें उपलब्ध हो सकती है; हालांकि यह बाजार की मांग और आपूर्ति पर भी निर्भर करता है।इन्हें आंध्र प्रदेश या महाराष्ट्र के स्थानीय पशु बाजार मेलों से भी खरीदा जा सकता है तथा इनके लिए विशेष नस्ल के विकास के लिए भी कुछ कृषि अनुसंधान केंद्र भी कम कर रहे हैं, वहां से भी प्राप्त की जा सकती है।

तो दोस्तों पुंगनेरू गायें अपनी दूध उत्पादन क्षमता मजबूत शारीरिक विशेषताओं और स्थानीय अनुकूलता के लिए मशहूर है। यह गायें न केवल स्थानीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दूध के पोषक गुणों के कारण भी बेहद उपयोगी है। यदि आप एक विश्वसनीय और उत्पादक गाय की नस्ल की तलाश में हैं तो पुंगनेरू गायें एक आदर्श विकल्प हो सकती है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक किस्सों के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ॥ जय हिंद, जय किसान॥
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