आलू की खेती से करोड़ों की कमाई


भारत में अगर कोई फसल हर घर की जरूरत है, तो वो है आलू। यह वो सब्जी है जो गरीब से अमीर, हर किसी की थाली में मिल जाती है। शायद यही वजह है कि आलू की खेती को लोग “हमेशा चलने वाला कारोबार” कहते हैं। आज बहुत से किसान इसी फसल से अपनी जिंदगी बदल चुके हैं कोई नए ट्रैक्टर का मालिक बन गया, कोई अपना कोल्ड स्टोरेज चला रहा है।

खेती की शुरुआत – सोच और समझ से
अक्सर लोग मानते हैं कि खेती किस्मत का खेल है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। आलू की खेती मेहनत के साथ-साथ समझदारी भी मांगती है।
अगर किसान सही समय पर बीज बोए, मिट्टी की तैयारी अच्छे से करे और बाजार की चाल समझे, तो ये फसल सिर्फ आमदनी नहीं, किसान की पहचान बना देती है।
सही मौसम और मिट्टी का चुनाव
आलू को ठंडा मौसम पसंद है, इसलिए इसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच करनी चाहिए। कटाई आम तौर पर फरवरी से अप्रैल तक होती है। मिट्टी हल्की दोमट या बलुई दोमट सबसे अच्छी रहती है। बस एक बात ध्यान रखना खेत में पानी कभी नहीं रुकना चाहिए। आलू नमी चाहता है, लेकिन पानी में डूबा नहीं रह सकता।
बीज की किस्में और बुवाई का तरीका
बीज वही अच्छा जो भरोसेमंद हो। देशभर में ये किस्में सबसे लोकप्रिय हैं: कुफरी ज्योति – जल्दी तैयार होने वाली कुफरी बहार – ज्यादा उत्पादन देने वाली कुफरी पुखराज – बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली बीज आलू के छोटे टुकड़े बनाकर लगाए जाते हैं जिनमें कम से कम एक “आंख” यानी अंकुर जरूर हो। कतार से कतार की दूरी करीब 60 सेंटीमीटर, और पौधों की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

खेत की तैयारी और खाद
खेत को दो-तीन बार जोतकर नरम बना लें। प्रति एकड़ करीब 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, इससे मिट्टी की ताकत बढ़ती है। अगर रासायनिक खाद डालनी है तो ये अनुपात ठीक रहेगा — नाइट्रोजन: 150 किलो, फास्फोरस: 75 किलो, पोटाश: 100 किलो खाद दो बार में डालें — आधी बुवाई के समय और आधी 30 दिन बाद।
सिंचाई और देखभाल
पहली सिंचाई बुवाई के 10 दिन बाद करें। इसके बाद हर 8–10 दिन में हल्की सिंचाई करते रहें। बहुत ज्यादा पानी देने से कंद सड़ सकता है।
रोग और कीट से बचाव के लिए जैविक उपाय अपनाएं — नीम का तेल या बोर्डो मिक्स का छिड़काव काफी असरदार रहता है। फसल की निराई-गुड़ाई समय-समय पर करते रहें ताकि खरपतवार फसल को कमजोर न करें।
खर्च और कमाई का असली हिसाब
अब बात करते हैं मुनाफे की, जो हर किसान जानना चाहता है। एक एकड़ खेत में आलू की खेती पर औसतन ₹80,000 से ₹1,00,000 का खर्च आता है (बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी सब मिलाकर)। अगर खेती सही ढंग से की जाए तो उत्पादन 250 से 300 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकता है। बाजार में एक क्विंटल आलू की कीमत औसतन ₹1000 मान लें तो कुल आमदनी ₹3 लाख के आसपास होती है। खर्च निकालने के बाद एक किसान को ₹2 लाख तक शुद्ध मुनाफा मिल जाता है। अब सोचो, अगर 10 एकड़ में खेती हो, तो साल में ₹20 लाख तक की कमाई संभव है।
स्टोरेज और स्मार्ट बिक्री
आलू की कीमत हर महीने बदलती रहती है। कटाई के वक्त दाम गिरते हैं, लेकिन कुछ महीने बाद वही आलू दोगुने दाम में बिकता है। कई किसान आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखकर सही समय पर बेचते हैं और मुनाफा दोगुना कर लेते हैं। आज तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी हैं —
Hello Kisaan, जहां किसान सीधे खरीदार से जुड़ सकते हैं। इससे बिचौलियों पर निर्भरता खत्म हो जाती है।

प्रोसेसिंग से तीन गुना मुनाफा
आलू बेचने के बजाय अगर किसान उसे चिप्स, फ्रेंच फ्राइज या स्टार्च के रूप में तैयार करें, तो मुनाफा तीन से चार गुना तक बढ़ जाता है सरकार की PMFME योजना के तहत छोटे प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 50% तक सब्सिडी मिलती है। यानि खेती के साथ-साथ बिजनेस का रास्ता भी खुल जाता है।
एक प्रेरणादायक उदाहरण
उत्तर प्रदेश के किसान संदीप यादव ने सिर्फ 4 एकड़ से शुरुआत की थी। उन्होंने ड्रिप सिंचाई लगाई, गोबर खाद का उपयोग किया और आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखा। जब बाजार में दाम बढ़े, तब उन्होंने बिक्री की और पहले ही साल ₹12 लाख का मुनाफा कमाया। आज उनके पास अपनी छोटी प्रोसेसिंग यूनिट है और 15 लोगों को रोजगार मिला है। संदीप कहते हैं – “खेती में भी करोड़ों हैं, बस देखने की नजर बदलनी चाहिए।”
आलू की खेती कोई साधारण काम नहीं, ये सोच, समय और समझ का खेल है। अगर किसान धैर्य रखे, खेत को समझे और बाज़ार की चाल पहचाने, तो यही आलू उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा बन सकता है। कहने को ये एक सब्ज़ी है, लेकिन सही मेहनत से यही किसान के लिए सोने की फसल साबित होती है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
Comment
Also Read

किसानों के लिए नया मुनाफे का धंधा
भारत में खेती और पशुपालन हमेशा से किसानों की रीढ़ रही है। समय बदल

Hello Kisaan – खेती को बदलने वाली एक सच्ची किसान सेवा
भारत में किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं

श्रिम्प और प्रॉन फार्मिंग में अंतर और पूरी खेती की गाइड
भारत की खेती-बाड़ी आज बदलते दौर से

हाइब्रिड सब्ज़ी और फल: अच्छे हैं या बुरे?
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में फल औ

काजू की खेती: किसानों के लिए सोने की तरह मुनाफा
काजू केवल एक स्वादिष्ट मेवा नहीं ह
Related Posts
Short Details About