रंगीन शिमला मिर्च की खेती से किसानों को मुनाफा

12 Oct 2025 | NA
रंगीन शिमला मिर्च की खेती से किसानों को मुनाफा

भारत में खेती को लेकर अब सोच बदल रही है। पहले किसान सिर्फ पारंपरिक गेहूँ, धान या दालों पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब वे ऐसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं जिनकी बाजार में अधिक कीमत मिलती है। इन्हीं फसलों में से एक है रंगीन शिमला मिर्च।

हरी शिमला मिर्च तो हर घर की रसोई में इस्तेमाल होती है, लेकिन लाल, पीली और नारंगी रंग की शिमला मिर्च अब बड़े शहरों से निकलकर छोटे कस्बों और गांवों तक अपनी पहचान बना रही है। खाने में इसका स्वाद मीठा होता है और दिखने में भी आकर्षक लगती है। यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और किसान इसे उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

Cultivation of Colored Capsicums

रंगीन शिमला मिर्च क्यों खास है?

यह साधारण शिमला मिर्च की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। इसमें विटामिन A और C भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसका इस्तेमाल सलाद, पिज्जा, पास्ता, चाइनीज़ व्यंजन और होटल इंडस्ट्री में खूब होता है। सेहत को लेकर जागरूक लोग इसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं, इसलिए इसकी खपत लगातार बढ़ रही है।

खेती के लिए उपयुक्त वातावरण

रंगीन शिमला मिर्च की खेती खुले खेत में भी हो सकती है, लेकिन सबसे अच्छा उत्पादन ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में मिलता है। तापमान: 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तक आदर्श रहता है। मिट्टी: दोमट मिट्टी जिसमें अच्छी नमी और जलनिकास हो। सिंचाई: ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाने से पानी की बचत होती है और पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं।

खेती की प्रक्रिया

1. बीज का चुनाव: किसानों को हाइब्रिड और रोग प्रतिरोधी बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।

2. नर्सरी: बीजों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है और 30-35 दिन बाद पौधों की रोपाई पॉलीहाउस में की जाती है।

3. रोपाई: पौधों को 45 सेमी की दूरी पर लगाना बेहतर रहता है।

4. खाद प्रबंधन: जैविक खाद और संतुलित रासायनिक खाद दोनों का प्रयोग करना चाहिए।

5. फसल देखभाल: खरपतवार हटाना, पौधों को सहारा देने के लिए जाल या रस्सी का उपयोग, रोग व कीट नियंत्रण के लिए समय-समय पर छिड़काव

6. तोड़ाई: जब शिमला मिर्च पूरी तरह लाल, पीली या नारंगी हो जाए, तभी तोड़ाई करनी चाहिए।

पैदावार- एक पौधे से औसतन 2 से 3 किलो तक उत्पादन होता है। पॉलीहाउस में एक एकड़ से लगभग 35–40 टन तक शिमला मिर्च निकल सकती है।

लागत और मुनाफा

पॉलीहाउस बनाने और ड्रिप सिस्टम लगाने पर लगभग 7–8 लाख रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है। सरकार इस पर 50–70% तक सब्सिडी देती है, जिससे लागत काफी कम हो जाती है। रंगीन शिमला मिर्च की कीमत 80 रुपये से लेकर 200 रुपये प्रति किलो तक आसानी से मिलती है। एक एकड़ में किसान 20–25 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं और शुद्ध मुनाफा लगभग 12–15 लाख रुपये तक बच जाता है।

बाजार और बिक्री

बड़े शहरों के होटल, रेस्टोरेंट और सुपरमार्केट इसकी सबसे बड़ी मार्केट हैं। ऑनलाइन ग्रोसरी प्लेटफॉर्म पर भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत से रंगीन शिमला मिर्च का निर्यात भी दुबई, मलेशिया और यूरोप जैसे देशों में होता है।

Profits from Capsicums

किसानों के फायदे

1. साधारण सब्जियों की तुलना में 3 से 4 गुना ज्यादा दाम। 2. सरकारी योजनाओं से पॉलीहाउस पर सब्सिडी। 3. निर्यात का अवसर, जिससे अतिरिक्त आमदनी। 4. एक बार पौधा लगाने के बाद 6–7 महीने तक लगातार तोड़ाई।

चुनौतियाँ

शुरुआती निवेश ज्यादा होना, पौधों को रोग और कीट से बचाना, सही बाजार तक पहुंच और दाम मिलना लेकिन अगर किसान तकनीक, जानकारी और योजना के साथ खेती करें तो ये चुनौतियाँ बड़ी नहीं लगतीं।

निष्कर्ष

रंगीन शिमला मिर्च की खेती उन किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं। थोड़े निवेश और मेहनत के बाद यह फसल कई गुना फायदा देती है। होटल इंडस्ट्री, शहरों और विदेशों में इसकी लगातार बढ़ती मांग किसानों के लिए इसे सोने की फसल बना रही है। अगर किसान समय रहते इस अवसर का लाभ उठाते हैं तो आने वाले वर्षों में शिमला मिर्च उनकी आर्थिक हालत बदल सकती है। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।।जय हिन्द जय भारत ।

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