झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार

22 Sep 2024 | NA
झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार

संसाधनों की कमी को ताकत में कैसे बदला जाता है, यह राजस्थान के किसानों से सीखना चाहिए, जो प्राकृतिक रूप से खारा पानी होते हुए भी उसका सदुपयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां के किसान करते हैं झींगा मछली का पालन, जिसकी देश के कोने-कोने में मांग रहती है। दरअसल राजस्थान या अन्य ऐसे राज्य जहां पर खारा पानी देखने को मिलता है। वहां के किसानों को अन्य फसल लगाने में बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए वहां पर झींगा मछली का पालन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आये संपूर्ण जानकारी लेते हैं राजस्थान के राजकुमार जी से जो करीब 9 एकड़ में बड़े-बड़े तालाब बनाकर झींगा मछली का पालन कर रहे हैं।

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


झींगा उत्पादन का परिचय:

झींगा मछली एक लोकप्रिय समुद्री खाद्य पदार्थ है, जो न केवल स्वादिष्ट बल्कि इसके पोषक तत्व भी उच्च स्तर पर होते हैं। यदि सही तरीके से एक्वाकल्चर में झींगा मछली का पालन किया जाए तो यह एक लाभकारी कृषि हो सकती है। वैसे तो इसका पालन तटीय क्षेत्र महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में होता है; परंतु इन्होंने राजस्थान जैसे राज्य में भी इसे सफल रूप से कर दिखाया है।

शुरुआती स्ट्रक्चर: 

इस पालन की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले 6 से 7 फीट गहरे तालाब, जिसकी लंबाई-चौड़ाई 200 फीट के लगभग होती है। फिर उसके अंदर मोटी पन्नी का त्रिपाल बिछाया जाता है। उसके बाद 5 फीट तक पानी भर के उसमें चावल की पॉलिश तथा गुड का घोल डालकर 50 घंटे तक छोड़ देते हैं। उसके बाद एक किट द्वारा इसकी पीएच वैल्यू और ऑक्सीजन मापन समय-समय पर किया जाता रहता है। 

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


झींगा मछली का प्रजनन आमतौर पर गर्मियों में होता है। यह प्राकृतिक प्रजनन के लिए उपयुक्त तापमान और पर्यावरण स्थिति पर निर्भर करता है। मादा झींगा अंडे देती है, जिन्हें नर झींगा द्वारा निषेचित किया जाता है। एक मादा झींगा हजारों अंडे दे सकती है। रिसर्च सेंटर से ले गये मादा तथा नर झींगो की संख्या तालाब में डाली जाती है। झींगो की संख्या तालाब में ज्यादा नहीं रखनी चाहिए जैसे ही 15 से 20 ग्राम का झींगा हो तो उसे निकालकर बेच देना चाहिए। इससे ज्यादा प्रॉफिट होता है। वहीं ये 35 से 40 ग्राम तक के झींगा हो जाता है। अंडों को निषेचन के बाद उन्हें जल में रखकर 10 से 14 दिन के भीतर हैचिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में तापमान और ऑक्सीजन का स्तर ध्यान रखना आवश्यक है। हैचिंग के बाद युवा झींगा को नर्सरी तालाब में स्थानांतरित किया जाता है। यहां उन्हें उचित आहार और सुरक्षा प्रदान की जाती है, ये ताकि अच्छे से विकसित हो सके।

आहार और पोषण: 

झींगा मछली के लिए विशेष वाणिज्यिक पैड उपलब्ध होती हैं, जो प्रोटीन वसा और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर हो यदि संभव हो तो मछली को प्राकृतिक आहार जैसे कीड़े और अन्य समुद्री जीव भी दिए जा सकते हैं। इसी के साथ एक्वाकल्चर में प्रयुक्त उच्च प्रोटीन मात्रा से युक्त अनमोल कंपनी का फीड भी प्रयुक्त कर सकते हैं।

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


जल की गुणवत्ता और स्वच्छता:

झींगा मछली पालन के लिए पानी की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है। पानी का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए तथा जल की पीएच वैल्यू 7.5 से 8.5 के बीच होना आदर्श माना जाता है। इसी के साथ पानी में पर्याप्त ऑक्सीजन होना भी आवश्यक है, इसके लिए एयरेशन उपकरण जैसे एयर पंप का उपयोग किया जाता है। इसके जल में राइस पॉलिश और गुड का घोल डालकर जल का मटमैला सा रंग बनाते है तथा बाद में पानी के अंदर ही सीड छोड़े जाते हैं। और जल में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए दिन रात पंखे चलाए जाते हैं। 24 घंटे बिजली की आवश्यकता होती है, जिसके लिए इन्होंने सोलर पैनल तथा जनरेटर लगा रखे हैं।

झींगा पालन में राजकुमार जी का तजुर्बा:

राजकुमार जी बताते हैं कि 2016 में 4 तालाबों से झींगा मछली पालन की शुरुआत की तथा दूसरी साल ही 7 तालाब तथा वर्तमान में 9 तालाब बनाकर इस कृषि को बढ़ा लिया। जो 9 एकड़ के क्षेत्रफल में है तथा इनके अंदर करीब 15 लाख झींगा मछली है। अतः यह कृषि इन्हें अच्छा प्रॉफिट दे रही है। इनसे प्रेरणा तथा मार्गदर्शन पाकर राजस्थान तथा अन्य राज्यों के किसानों ने भी इस कृषि को सही विधि से शुरू किया, जिसका अच्छा परिणाम देखने को मिला।

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


बाजार में मांग स्तर:

झींगा मछली की मांग स्थानीय और क्षेत्र बाजार में भी अच्छी होती है, खासकर मछली के व्यंजनों की मांग वाले क्षेत्रों में तथा वैश्विक स्तर पर अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों में निर्यात करने के विकल्प मौजूद है। 

झींगा मछली से स्वास्थ्य लाभ:

यह मछली उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन प्रदान करती है, जो शरीर के ऊतकों की मरम्मत और वृद्धि के लिए आवश्यक है। इसमें विटामिन बी12, आयरन, सेलेनियम और जिंक जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। झींगा मछली की कम कैलोरी और उच्च प्रोटीन सामग्री वजन को नियंत्रित करने में भी सहायक है। इसमें मौजूद प्रोटीन और मिनरल्स पाचन स्वास्थ्य को भी बेहतर करते हैं। इसी कारण राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार पर इसकी मांग बनी रहती है।

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


झींगा पालन की शुरुआत करने में खर्च:

200 फीट लंबाई-चौड़ाई और 7 फीट गहराई का तालाब खुदाई में 50000 तक लग जाता है तथा ढाई लाख की पन्नी आती है, डेढ़ लाख का एरियेटर है, बाकी रस्सा केबल, जाली आदि के लिए 1 लाख तथा फिर सीड इत्यादि का खर्च भी आता है। इस प्रकार कुल मिलाकर एक पौंड बनाने में 4 से 5 लाख रुपए तक का खर्चा आ जाता है। इसके साथ बिजली का खर्च भी आता है। 

मुनाफा:

झींगा मछली आमतौर पर 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है। 14 से 15 ग्राम का झींगा 70 से 80 दिन में तैयार होता है तथा बड़े साइज का झींगा तैयार करने में 4 महीने तक भी लग जाते हैं। इस प्रकार गुणवत्ता के हिसाब से इनका मूल्य भी निर्धारित किया जाता है। झींगा मछली 500 से लेकर 350 रुपए प्रति किलोग्राम तक बाजार में बिकती है। और एक किसान एक एकड़ में 6 से 9 महीने के अंदर सही प्रक्रिया द्वारा 18 से 20 कुंतल मछली का उत्पादन कर सकता है। जिनकी कीमत लगभग 7 से 8 लाख रुपए हो सकती है। अतः एक बार पूंजी लगा देने के बाद इस पालन से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

झींगा मछली पालन से हो रही पैसों की बौछार_9381


सावधानियां: 

किसी भी खेती को सही मार्गदर्शन और सावधानी के साथ करें तो ही उसमें सफलता मिलती है। इस प्रकार झींगा पालन में भी उचित गहराई का ध्यान रखें, बीच में बनने वाली दीवारों को ढालदार न बनाकर सीधी खड़ी रखनी चाहिए, पानी भरने तथा वर्षा का अतिरिक्त पानी निकालने का उत्तम प्रबंध हो। इसी के साथ होने वाली बीमारियों के निदान के उपचार की भी जानकारी होनी अति आवश्यक है। समय-समय पर ऑक्सीजन और पीएच का मापन तथा उचित मात्रा में आहार उपलब्ध करते रहना चाहिए।तो दोस्तों इस प्रकार झींगा मछली का पालन एक लाभकारी और प्रभावी व्यवसाय हो सकता है। यदि सही प्रबंध और देखभाल से किया जाए, पानी की गुणवत्ता, उच्च आहार सहित तापमान को बनाए रखते हुए झींगा मछली का उत्पादन सुनिश्चित करें तो अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा। इसके अलावा झींगा मछली का बाजार बड़ा और विविध है, जो इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाता है। इसके साथ यह स्वास्थ्य लाभ में भी लोकप्रियता रखता है, इसलिए किसान भाई यह पालन करने की सोच सकते हैं। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही अदभुत जानकारी के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥


Share

Comment

Loading comments...

Also Read

पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा
पपीते की खेती – किसानों के लिए फायदे का सौदा

खेती किसानी में अक्सर किसान भाई यह

01/01/1970
एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं
एक्सपोर्ट के लिए फसलें: कौन-कौन सी भारतीय फसल विदेशों में सबसे ज्यादा बिकती हैं

भारत सिर्फ़ अपने विशाल कृषि उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया क

01/01/1970
एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ
एलोवेरा और तुलसी की इंटरक्रॉपिंग – कम लागत, ज़्यादा लाभ

आज के समय में खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही है। बदलत

01/01/1970
Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन
Bee-Keeping और Cross Pollination से बढ़ाएं फसल उत्पादन

खेती सिर्फ हल चलाने का काम नहीं, ये एक कला है और इस कला में विज्ञा

01/01/1970

Related Posts

Short Details About