केंचुआ पालन और वर्मी कंपोस्ट का सबसे सस्ता और सरल तरीका


किसानों का मित्र कहे जाने वाले केंचुए से बना खाद सर्वोत्तम माना जाता है। जिसका पालन किसान भाई भारी मात्रा में कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और केंचुए तथा उससे बना खाद बेचने के साथ-साथ इसका प्रयोग जैविक खेती में कर भी खूब लाभ उठाया जा रहा है। वर्मी कंपोस्ट को तैयार करने की विधि क्या है तथा इससे किस प्रकार लाभ कमाया जा सकता है? जानेंगे अमित जी से, जो इस कार्य को करीब 25 वर्षों से कर रहे हैं।

वर्मी-कंपोस्ट के गुण:
इसे एक प्राकृतिक और जैविक खाद के रूप में माना जाता है, जो जैविक पदार्थों से तैयार होता है। इसमें खासकर पृथ्वी के विभिन्न कीड़ों का उपयोग किया जाता है, जिनमें मुख्य रूप से केंचुए का प्रयोग करते हैं। यह जैविक खाद्य किसानों और बागवानी के लिए बेहद उपयोगी पदार्थ है। वर्मी कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरकता बढ़ता है, पानी की रोकथाम करता है और पौधे को आवश्यक पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम आदि को पर्याप्त मात्रा में प्रदान करता है।
केंचुआ पालन की विधि:
इसके पालन में सबसे पहले सही जगह का चयन आवश्यक है। उपरोक्त जगह पर पानी की उपलब्धता आसानी से होती है। जगह समतल हो तथा एक हल्का सा ढाल हो, जिससे बारिश का पानी एक जगह ना भरे बल्कि बहके नीचे आ जाए।सबसे पहले एक निश्चित आकार में ढाल युक्त 2.5 या 3 फीट गहरा तथा 30 फीट लंबा और 4 फीट चौड़ा गड्ढा खोदा जाता है। जिसकी अच्छे से लेवलिंग कर, इस बेड में प्लास्टिक की मोटी काली पन्नी बिछा देते है। इसे विंड्रॉम या कब्र नुमा मेथड कहते हैं। यह वर्मी कंपोस्ट बनाने का सबसे सस्ता, सुंदर, टिकाऊ और सरल तरीका है। पन्नी बिछा देने के बाद बेड में चारों तरफ ऊपर-नीचे ईंटे रखकर एक या दो रद्दे की कच्ची दीवार-सी बना देते हैं। इस प्रकार यह केंचुए का एक तरह से घर बन जाता है, जो इस बाउंड्री से बाहर नहीं निकल पाएगा और अंदर ही अंदर अपना रिप्रोडक्शन करता रहेगा।

गोबर डालने का तरीका:
गड्ढे में भरने के लिए ज्यादा पुराने गोबर का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि 10 से 15 दिन पुराना गोबर अच्छा माना जाता है। इस गोबर में 60 परसेंट गोबर तथा 40% कूड़ा-कचरा, घास-फूस आदि मिला सकते हैं। किंतु ध्यान रखने वाली बात यह है कि कूड़ा कचरा पूरी तरह से गल चुके हो अर्थात् वह छोटे-छोटे पदार्थ में अपना आकार ले चुकें हो। गड्ढे में गोबर गर्मियों में 1 या 1.25 फीट ऊंचा हो सकता है, ज्यादा ऊंचा करने पर गैस बनने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे केंचुए का प्रोडक्शन और विघटन अच्छे से नहीं हो पता तथा सर्दियों में गोबर की ऊंचाई 2 फीट तक रख सकते हैं।आमतौर पर हवा ईस्ट या वेस्ट ही चलती है, इसलिए बेड को नॉर्थ-साउथ दिशा में बनाना अधिक लाभदायक होता है। जिससे हवा पूरे बेड को सुचारू रूप से लगती है और कंपोजिशन की दर बढ़ जाती है।
केंचुए की ब्रीड:
केंचुए की लगभग 4500 प्रजातियां होती है, जिसमें सबसे अच्छी ऑस्ट्रेलियन ब्रीड की आईसीनिया फेटेडा मानी जाती है। इस ब्रीड का केंचुआ सिर्फ गोबर खाता है, जो उच्च गुणवत्ता का वर्मी कंपोस्ट तैयार करता है। लाल रंग का दिखाने के कारण इसे रेड वर्म भी कहा जाता है।

गोबर में केंचुआ डालने का तरीका:
इस 30×4 फीट के बेड में करीब 1500 किलो गोबर आता है तथा उसमें 30 किलो तक केंचुआ डाला जाता है। एक केंचुआ दिन में करीब 1 किलो गोबर खाता है। इस प्रकार 30 किलो केंचुए 1500 किलो गोबर को 50 दिनों में खाद के रूप में तैयार कर देते हैं। तथा इसी के साथ केंचुए के कूकम से बच्चे निकल कर इनकी संख्या भी दोगुनी कर देते हैं। इस तरह से 50 दिन में खाद भी तैयार हो जाता है और केंचुओं की संख्या भी दुगनी हो जाती है।
बेड में डाले गए गोबर पर पानी का अच्छे से छिड़काव करते हैं और केंद्र में केंचुए को रखकर बेड पर चारों तरफ फैला देते हैं। केंचुआ की संख्या पता करने के लिए निश्चित मात्रा में अनुमान के हिसाब से गोबर पर परत बिछा देते हैं, जिससे केंचुए गोबर खाना शुरू कर देते हैं और वर्मी कंपोस्ट बनकर तैयार होने लगता है। गोबर के ऊपर केंचुए डालने के बाद उसके ऊपर पुले या भूसा डालते हैं तथा एक बार फिर पानी का अच्छे से छिड़काव कर देते हैं। इसी प्रकार इस बेड पर 30 दिन तक लगातार पानी डालते हैं और 50 दिन में कंपोस्ट और केंचुए बनकर तैयार हो जाते हैं।

खाद की क्रॉपिंग:
50 दिन बाद पुले उतारते हैं और बेड को ऊपर से जमे हुए खाद को लकड़ी के फव्वाले से हल्का-हल्का छीलते हैं ताकि खाद उतार सके। खाद को इकट्ठा करके मशीन में डाल देते हैं जहां इसकी छनाई का कार्य होता है। इस प्रकार बेड पर से खाद की चार-पांच परत उतार लेते हैं तथा जो नीचे वाली परत बचती है उसमें दुगनी संख्या में केंचुए मौजूद होता है, जिसे दोबारा से नए बेड पर डालकर खाद तैयार करवा सकते हैं या इन केंचुआ को बाजार में बेच भी सकते हैं।
बाजार में केंचुए की कीमत:
मार्केट में लगभग 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम केचुआ वर्मी कंपोस्ट बनाने हेतु बिकता है। तथा इससे बना वर्मी कंपोस्ट 5 से 6 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिकता है।

सावधानियां:
गोबर में केंचुओं की निश्चित मात्रा ही डालनी चाहिए, क्योंकि कम रह जाने पर गोबर बासी हो जाता है और बासी गोबर को केंचुएं नहीं खाते, जिससे उनकी संख्या घटने लगती है, इसलिए केंचुआ और गोबर का अनुपात निश्चित रहना चाहिए।
वर्मी कंपोस्ट का अच्छा परिणाम प्राप्त करने के लिए उसे पत्तों या पूलों से अच्छे से ढक देना चाहिए।दोस्तों आज आपने जाना केंचुआ पालन तथा वर्मी-कंपोस्ट बनाने की संपूर्ण विधि के बारे में। केंचुआ को किसानों को सच्चा मित्र कहा जाता है, जो भूमि में नाइट्रोजन, पोटाश, फॉस्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम तत्वों को बढ़ाता है। यह भूमि की उर्वर शक्ति को भी बनाएं रखने के लिए आवश्यक है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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