मिलों में चीनी बनाने की आधुनिक तकनीक

11 Nov 2024 | NA
मिलों में चीनी बनाने की आधुनिक तकनीक

चीनी की उत्पत्ति लगभग 5000 साल पहले भारत और चीन में हुई थी। प्राचीन भारतीय और चीनी सभ्यताओं ने गन्ने से चीनी बनाने की प्रक्रिया को विकसित किया। वर्तमान में चीनी का उपयोग खाद्य पदार्थों में स्वीटनर के रूप में तथा धार्मिक अनुष्ठानों और चिकित्सा में भी किया जाता था। समय के साथ, यह प्रक्रिया विकसित हुई और चीनी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा। आज भारत सबसे ज्यादा चीनी मिलों की संख्या रखने के साथ चीनी उत्पादन में भी विश्व में दूसरा स्थान भी रखता है। आज हम जानेंगे चीनी का किस प्रकार उत्पादन होता है और इसमें कौन-कौन से केमिकल प्रयोग होते हैं।


गन्ने की खेती:

चीनी बनाने की प्रक्रिया खेतों से गन्ना काटने से शुरू होती है। गन्ना एक उष्णकटिबंधीय फसल है, जिसे गर्म जलवायु में उगाया जाता है। गन्ने के बीज को खेत में बोते हैं। बीज अंकुरित होते हैं और एक स्वस्थ गन्ने के पौधे का निर्माण करते हैं। उर्वरक और कीटनाशकों का सही उपयोग गन्ने की अच्छी उपज के लिए आवश्यक है। गन्ना आमतौर पर 10 से 18 महीने में पकता है। जब गन्ने के पौधे में मिठास अधिक हो जाती है, तब इसे काटते हैं और आगे की प्रक्रिया हेतु मिलोन में ले जाते हैं। 

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चीनी मिलों में गन्ने का प्रसंस्करण:

गन्ना काटने के बाद उसे शीघ्र ही चीनी मिलों में भेजा जाता है। गन्ने को साफ किया जाता है ताकि मिट्टी और अन्य अशुद्धियाँ हटाई जा सकें। साफ गन्ने को मशीनों में डालकर क्रश किया जाता है, जिससे उसका रस निकाला जाता है। गन्ने के रस को निकालने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ग्रेविटी सेट्टलिंग। गन्ने का रस एक गंदे तरल की तरह होता है, इसलिए इसे शुद्ध करना आवश्यक है।


शुद्धिकरण:

रस में से अशुद्धियों को हटाने के लिए इसे चूने और गर्म पानी के साथ मिलाया जाता है। इससे एक साफ तरल प्राप्त होता है। शुद्ध रस को उबाला जाता है, जिससे पानी वाष्पित होता है और घनत्व बढ़ता है। रस को उबालने के बाद, उसे और अधिक गाढ़ा किया जाता है। इसे विभिन्न तापमानों पर उबालते है, जिससे चीनी के क्रिस्टल बनने के लिए आवश्यक स्थिति उत्पन्न होती है।

क्रिस्टलाइजेशन: जब गाढ़ा रस ठंडा होता है, तो उसमें चीनी के क्रिस्टल बनना शुरू हो जाते हैं। बने हुए क्रिस्टल को छानकर शुद्ध किया जाता है। फिर इसे सुखाने के बाद सफेद चीनी के रूप में परिवर्तित किया जाता है। तैयार चीनी को विभिन्न पैकेजिंग में भरा जाता है और फिर मार्केट में भेजा जाता है।


रासायनिक प्रयोग:

गन्ने के रस से चीनी बनाने में विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं और यौगिकों का उपयोग किया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से चूना (Calcium Hydroxide) गन्ने के रस में उपस्थित अशुद्धियों को बंधित करता है, जैसे कि गंदगी और प्रोटीन, जिससे इनका निकास आसान हो जाता है। वहीं कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) चूने के साथ प्रतिक्रिया कर कार्बनेटेड मिश्रण बनाती है, जो अशुद्धियों को दूर करता है।

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फास्फोरिक एसिड (Phosphoric Acid) भी अशुद्धियों को हटाने में मदद करता है और शुद्ध रस की गुणवत्ता बढ़ाता है।  सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) रस को सुरक्षित रखने और शुद्ध करने के लिए एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है, जो रस को ऑक्सीडेशन से बचाता है और इसके रंग को हल्का करता है।सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium Bicarbonate) यह भी अशुद्धियों को हटाने और रस के pH स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। इनके अलावा प्रमुख एंजाइम्स और एसिड का प्रयोग भी गन्ने के रस को बेहतर ढंग से शुद्ध करने में किया जाता है। एसीड जैसे HCl इसके pH को संतुलित करने और शुद्धता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।


नई तकनीकें:

  • वर्तमान में स्वचालित मशीनों का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है और मानक बनाए रखना आसान होता है।
  • जीन संवर्धन तकनीक का उपयोग करके गन्ने की उपज और मिठास बढ़ाई जा सकती है।
  • आधुनिक शुद्धिकरण तकनीक में मेम्ब्रेन का उपयोग किया जाता है, जो कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी है।
  • चीनी उत्पादन में बायोमास का उपयोग किया जाता है, इससे ऊर्जा की लागत कम होती है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इस प्रकार चीनी बनाने की प्रक्रिया बहुत पुरानी है, लेकिन आधुनिक तकनीकों ने इसे अधिक कुशल और पर्यावरण अनुकूल बना दिया है। गन्ना से लेकर चीनी के पैकेजिंग तक का यह सफर न केवल कृषि विज्ञान का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह उद्योग के विकास का भी प्रतीक है। इस क्षेत्र में नई तकनीकों का प्रयोग करते हुए, हम न केवल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, बल्कि सतत विकास की ओर भी बढ़ सकते हैं। गन्ने की कटाई से लेकर अंतिम उत्पाद के वितरण तक के सभी चरण दर्शाते है कि कैसे एक साधारण कृषि उत्पाद आधुनिक उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया तथा रसायनों का उपयोग गन्ने के रस को शुद्ध करने, उसकी गुणवत्ता बढ़ाने और अंततः सफेद चीनी प्राप्त करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। हालांकि, इन रसायनों का सही मात्रा में उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा बनी रहे। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही अन्य रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥


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