संदीप नरवाल की मल्टीक्रॉप फार्मिंग

27 Apr 2025 | NA
संदीप नरवाल की मल्टीक्रॉप फार्मिंग

खेती अब सिर्फ गेहूं-धान तक सीमित नहीं रही। देश के जागरूक किसान आज नए प्रयोगों और टिकाऊ तकनीकों की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं संदीप नरवाल, जो हरियाणा के करनाल जिले के गांव खेड़ी नरू में रहते हैं। उन्होंने अपनी 8 बीघा ज़मीन पर नींबू, अंजीर, मौसम्बी और एप्पलबेर की मल्टीक्रॉपिंग कर एक अनोखा मॉडल तैयार किया है, जो न केवल लाभदायक है बल्कि दूसरों के लिए सीख का विषय भी है।

कैसे की मल्टीक्रॉपिंग की शुरुआत?

संदीप नरवाल पिछले 5 सालों से बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने अपनी ज़मीन को दो हिस्सों में बाँटा है 4 बीघा में नींबू की खेती और 4 बीघा में अंजीर, एप्पलबेर और मौसम्बी की मल्टीक्रॉपिंग उनकी मल्टीक्रॉप प्रणाली इतनी बेहतरीन है कि एक पौधे की क्रिया दूसरे पौधे को प्रभावित करती है और सभी मिलकर एक संतुलित और लाभकारी खेती का ढांचा बनाते हैं।

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नींबू की खेती – ‘करण सम्राट’ वैरायटी

नींबू की करण सम्राट वैरायटी उन्होंने लगाई है जिसे दिसंबर और जून छोड़कर कभी भी लगाया जा सकता है। इस किस्म की खासियत है कि पहले ही साल से फल देना शुरू कर देती है। इनके पास एक 4.5 साल पुराना पौधा है जिससे 70 किलो तक नींबू निकल चुके हैं। इसकी फ्रूटिंग जुलाई से अप्रैल तक चलती है। यदि इसे ऑर्गेनिक तरीके से मेंटेन किया जाए, तो यह पौधा 25 साल तक उत्पादक रह सकता है।

खेत की संरचना

  • पौधे-पौधे की दूरी – 10 फीट
  • लाइन-लाइन की दूरी – 12 फीट
  • एक लाइन में 17 पौधे और कुल 20 लाइनें = 340 पौधे

नींबू के पौधे नालियों के ऊपर लगाए गए हैं और पहले तीन साल तक पानी नाली के माध्यम से दिया गया। इसके बाद संदीप जी गैस से हवा भरते हैं और फ्लूइड इरिगेशन तकनीक अपनाते हैं।

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अंजीर और एप्पलबेर की मल्टीक्रॉपिंग

इनके खेत के दूसरे हिस्से में 200 एप्पलबेर और 100 अंजीर के पौधे लगे हुए हैं। खास बात यह है कि उन्होंने पौधों की क्रॉस इंटरेक्शन प्रणाली विकसित की है जब एप्पलबेर की कटिंग होती है, तो अंजीर में फुटाव आता है, और जब अंजीर की कटिंग होती है तो एप्पलबेर में फुटाव बढ़ता है। यह नेचुरल ग्रोथ प्रमोशन का बेहतरीन उदाहरण है।

प्राकृतिक तरीकों का अनोखा उपयोग

संदीप नरवाल जैविक तरीकों से खेती को आगे बढ़ा रहे हैं। जो नींबू फट जाते हैं उन्हें एक ड्रम में डालकर एंजाइम बना लिया जाता है, जो अंजीर और एप्पलबेर पर स्प्रे के रूप में काम करता है। इसी तरह, अंजीर का एमजीएम (ग्रोथ एन्हांसर) नींबू पर असर करता है। नीम की निम्बोली का भी इस्तेमाल करते हैं कीट नियंत्रण के लिए। एक साउथ कोरियन रेसिपी से ग्रोथ रेगुलेटर भी तैयार किया है जो फसल की मजबूती और उत्पादन में सहायक है।

खेती ही नहीं, पौधों की नर्सरी भी चलाते हैं

संदीप जी केवल खुद की खेती तक सीमित नहीं हैं। वे इन पौधों की रूट स्टॉक तैयार कर अपने किसान साथियों को भी पौधे उपलब्ध कराते हैं। इससे अन्य किसान भी प्रेरित होकर आधुनिक और मिश्रित खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

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निष्कर्ष:

संदीप नरवाल की यह खेती पद्धति इस बात का प्रमाण है कि एक सामान्य किसान भी सोच और मेहनत से असाधारण बन सकता है। नींबू, अंजीर, मौसम्बी और एप्पलबेर की यह संगठित और टिकाऊ मल्टीक्रॉपिंग प्रणाली न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभदायक है। उनकी खेती एक मॉडल है जो पूरे देश के किसानों को प्रेरणा देती है अगर सोच हो अलग, तो खेती बनती है कमाई का बेहतरीन जरिया।


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