मशरूम की खेती आज के समय में एक लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है। हरियाणा के सोनीपत जिले में ब्रिंजडेर धनकर जी ने 10 एकड़ के क्षेत्र में मशरूम फार्मिंग का एक बड़ा प्लांट स्थापित किया है। उनकी खेती दो अलग-अलग तरीकों से होती है—हर्ट (Hut) सिस्टम और एसी (AC) प्लांट सिस्टम।

हर्ट सिस्टम में मशरूम की खेती

इस प्रणाली में बांस की बनी हुई झोपड़ियों (हर्ट) का उपयोग किया जाता है। एक एकड़ में लगभग 10 से 12 हर्ट बनाई जाती हैं। प्रत्येक हर्ट की लंबाई 60 फीट और चौड़ाई 30 फीट होती है, और इनके बीच में 6 फीट का अंतर रखा जाता है ताकि हवा का उचित संचार बना रहे।

हर्ट की संरचना

1. हर्ट में नीचे प्लास्टिक (पोलिथीन) की परत बिछाई जाती है।

2. ऊपर से पुल्ली (लकड़ी के तख्ते) रखे जाते हैं।

3. एक हर्ट में तीन स्तर (लेयर) में बेड बनाए जाते हैं।

4. निचली परत में भूसा खाद के रूप में डाली जाती है, जिसकी मोटाई 5-6 इंच होती है।

5. इसके ऊपर केसिंग सॉइल डाली जाती है, जो गोबर, नारियल के बुरादे और मिट्टी का मिश्रण होती है।

सिंचाई और देखभाल

पानी देने के लिए शॉवर सिस्टम का उपयोग किया जाता है ताकि नमी बनी रहे लेकिन अधिक पानी न डाला जाए। केसिंग करने के 12 से 15 दिन बाद मशरूम की कटाई शुरू हो जाती है। सितंबर से फरवरी तक हर्ट सिस्टम में मशरूम उगाने का सबसे अच्छा समय होता है।

लागत और उत्पादन

एक हर्ट की लागत करीब 1.5 लाख रुपये आती है, जिसमें खाद, केसिंग, बीज और मजदूरी शामिल होती है।

एक हर्ट से 30 से 40 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता है।

एसी (AC) प्लांट में मशरूम की खेती

यह एक आधुनिक प्रणाली है जिसमें पूरे साल किसी भी मौसम में मशरूम उगाए जा सकते हैं। इसमें 10 किलो की थैलियों (बैग) का उपयोग किया जाता है।

AC प्लांट की संरचना

खेती 18×70 फीट के कमरे में की जाती है। इस कमरे में करीब 3000 बैग रखे जाते हैं। प्रत्येक बैग में 1.5 इंच की केसिंग परत डाली जाती है 15 से 20 दिन में मशरूम उगने लगती है।

लागत और उत्पादन

एक बैग से लगभग 2 किलो मशरूम का उत्पादन होता है। यह प्रणाली पूरी तरह से ऑटोमेटिक होती है जिससे तापमान और नमी को नियंत्रित करना आसान हो जाता है।

मशरूम खाद बनाने की प्रक्रिया

मशरूम के लिए खाद तैयार करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें गेहूं का भूसा, मुर्गी खाद, यूरिया, एल्युमिनियम सल्फेट और जिप्सम का उपयोग किया जाता है।

खाद बनाने की प्रक्रिया

1. सभी सामग्रियों को JCB मशीन से मिलाया जाता है।

2. इसे पहले फेज-1 में 2 दिन रखा जाता है।

3. फिर टर्नल में भेजा जाता है और 6-7 दिन तक प्रोसेसिंग की जाती है।

4. अंत में 24 घंटे में खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है।

मदर स्पॉन और लैब में तैयारी

मशरूम के बीज (स्पॉन) तैयार करने के लिए लैब में कल्चर तैयार किया जाता है।

प्रक्रिया

1. मदर स्पॉन तैयार किया जाता है और इसे 30-35 दिन तक रखा जाता है।

2. इसके बाद स्पॉन पूरी तरह तैयार हो जाता है और इसे खेती के लिए उपयोग किया जाता है।

मशरूम की पैकिंग और मार्केटिंग

मशरूम की कटाई के बाद इसे बाजार में बेचने के लिए फैक्ट्री में प्रोसेस किया जाता है।

प्रक्रिया

1. मशरूम को अच्छी तरह धोया जाता है।

2. फिर इन्हें पैकेट में पैक किया जाता है।

3. इसके बाद इसे बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है।

निष्कर्ष

ब्रिंजडेर धनकर जी का मशरूम फार्म आधुनिक और पारंपरिक दोनों तरीकों से मशरूम उत्पादन करता है। हर्ट सिस्टम और एसी प्लांट दोनों के अपने फायदे हैं। हर्ट सिस्टम कम लागत में मशरूम उगाने का तरीका है, लेकिन यह सिर्फ सर्दियों के मौसम में संभव होता है। एसी प्लांट सिस्टम में मशरूम पूरे साल उगाए जा सकते हैं, लेकिन इसकी लागत अधिक होती है। मशरूम की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है, और इसका भविष्य उज्ज्वल है।

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