भारत में जैविक खेती: लाभ और चुनौतियाँ


जैविक खेती (Organic Farming) एक पारंपरिक और प्राकृतिक कृषि पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय जैविक खाद, गोबर, हरी खाद और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है। आधुनिक समय में जब कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग हो रहा है, जैविक खेती एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रही है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होती है। भारत में जैविक खेती का विस्तार तेजी से हो रहा है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं।
जैविक खेती के लाभ
1. मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
जैविक खेती में प्राकृतिक खाद और जैविक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। यह मिट्टी के सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाकर उसकी गुणवत्ता में सुधार करती है।
2. पर्यावरण के लिए अनुकूल
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आती है। जैविक खेती से पर्यावरण को कम नुकसान होता है और जैव विविधता बनी रहती है।
3. स्वास्थ्यवर्धक और पोषक तत्वों से भरपूर उत्पाद
जैविक खेती में उगाई गई फसलें केमिकल-फ्री होती हैं, जिससे वे स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक होती हैं। इन उत्पादों में प्राकृतिक पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।

4. जल संरक्षण में मददगार
जैविक खेती में मिट्टी की संरचना बेहतर बनी रहती है, जिससे जल धारण क्षमता बढ़ती है और पानी की बचत होती है। साथ ही, ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग तकनीक से पानी का कुशल प्रबंधन किया जाता है।
5. जैव विविधता का संरक्षण
जैविक खेती में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिससे कृषि जैव विविधता बनी रहती है। यह पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है और पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाती है।
6. किसानों की आय में वृद्धि
आजकल जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। जैविक खेती करने वाले किसानों को उनके उत्पाद का अधिक मूल्य मिलता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
7. निर्यात की संभावनाएँ
भारत में उत्पादित जैविक खाद्य पदार्थों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। जैविक खेती करने वाले किसानों को अपने उत्पादों को विदेशों में निर्यात करने का अवसर मिलता है, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा हो सकता है।
जैविक खेती की चुनौतियाँ
1. पैदावार में कमी
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे शुरुआती वर्षों में फसलों की पैदावार पारंपरिक खेती की तुलना में कम हो सकती है। हालांकि, लंबे समय में यह लाभदायक साबित होती है।
2. जैविक खाद और कीटनाशकों की उपलब्धता
रासायनिक उर्वरकों की तुलना में जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों की उपलब्धता सीमित होती है। किसानों को इनके लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है और कभी-कभी ये महंगे भी होते हैं।
3. जैविक खेती का ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी
कई किसान अभी भी जैविक खेती की तकनीकों और लाभों से परिचित नहीं हैं। इसके लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है, जिससे अधिक किसान इसे अपना सकें।
4. जैविक उत्पादों की मार्केटिंग और उचित मूल्य निर्धारण
हालांकि जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, लेकिन किसानों को इनका सही मूल्य नहीं मिल पाता। बाजार में पारंपरिक उत्पादों की तुलना में जैविक उत्पादों की पहचान करना और बेचना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

5. जैविक प्रमाणन प्रक्रिया जटिल और महंगी
जैविक खेती करने वाले किसानों को अपने उत्पादों के लिए प्रमाणपत्र (Organic Certification) लेना पड़ता है, जो महंगा और जटिल होता है। कई छोटे किसान इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाते, जिससे वे जैविक उत्पादों के उचित मूल्य से वंचित रह जाते हैं।
6. कीट और बीमारियों का नियंत्रण
रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैविक कीटनाशकों का असर धीमा होता है, जिससे किसानों को कीटों और फसल बीमारियों से निपटने में अधिक समय और मेहनत लगती है।
7. जलवायु परिवर्तन और जैविक खेती
जलवायु परिवर्तन के कारण फसलें अनिश्चित मौसम का सामना कर रही हैं। जैविक खेती में फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन अनियमित बारिश और तापमान में बदलाव के कारण कई चुनौतियाँ आती हैं।
सरकार की पहल और योजनाएँ
भारत सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है, जिनमें शामिल हैं:
1 परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) – जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना।
2 राष्ट्रीय जैविक कृषि मिशन (NMSA) – किसानों को जैविक खेती से जोड़ने और उनकी सहायता के लिए।
3 जैविक खेती प्रमाणन योजना – किसानों को प्रमाणन प्राप्त करने में सहायता करने के लिए।
4 राज्यों में जैविक खेती प्रोत्साहन योजनाएँ – कई राज्य सरकारें भी किसानों को जैविक खेती के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं।

भविष्य में जैविक खेती की संभावनाएँ
भारत में जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल है। जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, और उपभोक्ता स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं। यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए निवेश करें और किसानों को बेहतर प्रशिक्षण व बाजार मुहैया कराएँ, तो यह भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
निष्कर्ष
जैविक खेती पर्यावरण के अनुकूल, स्वास्थ्यवर्धक और दीर्घकालिक रूप से लाभदायक है। हालांकि, इसे अपनाने में कई चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें सरकार, वैज्ञानिकों और किसानों के सहयोग से दूर किया जा सकता है। यदि जैविक खेती को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए, तो यह किसानों की आय बढ़ाने, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और भारत को एक स्वस्थ और सतत कृषि प्रणाली की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
टिप: अगर आप जैविक खेती शुरू करना चाहते हैं, तो पहले छोटे स्तर पर शुरुआत करें और धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाएँ। सही जानकारी और संसाधनों के साथ यह एक फायदेमंद खेती साबित हो सकती है।
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