आजकल बाजार में ऑर्गेनिक (जैविक) खेती और ऑर्गेनिक फूड की खूब चर्चा हो रही है। हर कोई कहता है कि ऑर्गेनिक खाना सेहत के लिए फायदेमंद है और यह पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ऑर्गेनिक खेती वाकई सेहत और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, या फिर ये सिर्फ़ ज्यादा पैसे कमाने का एक तरीका बन गया है? चलिए, इस पर गहराई से बात करते हैं।
ऑर्गेनिक खेती क्या है?
ऑर्गेनिक खेती का मतलब है ऐसी खेती जिसमें केमिकल वाली खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसमें प्राकृतिक खाद (जैसे गोबर, जैविक कंपोस्ट) और पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है।

क्या ऑर्गेनिक खाना सेहत के लिए ज़्यादा अच्छा है?
बहुत से लोग मानते हैं कि ऑर्गेनिक खाना ज्यादा पौष्टिक और सेहतमंद होता है। लेकिन वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ऑर्गेनिक और नॉर्मल खाने में पोषण के मामले में ज्यादा फर्क नहीं होता। हाँ, ऑर्गेनिक खाने में केमिकल वाले कीटनाशकों के अवशेष कम होते हैं, जो सेहत के लिए थोड़ा बेहतर हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नॉर्मल खाना नुकसानदायक है।
ऑर्गेनिक खेती की प्रमुख विशेषताएँ:
1. केमिकल फर्टिलाइज़र की जगह जैविक खाद का उपयोग (गोबर, हरी खाद, खाद का घोल)।
2. रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशक (नीम और गोमूत्र आधारित दवाएँ)।
3. बीजों का प्राकृतिक तरीके से संरक्षण किया जाता है
4. फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाया जाता है ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
5. पारंपरिक खेती की तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
ऑर्गेनिक खेती के फायदे
ऑर्गेनिक खेती के बहुत से फायदे बताए जाते हैं, लेकिन क्या वे सच में इतने प्रभावी हैं? आइए एक-एक करके इन्हें समझते हैं।
1. सेहत के लिए अच्छी होती है?
- ऑर्गेनिक फूड में रसायन नहीं होते, इसलिए इसे स्वस्थ और सुरक्षित माना जाता है।
- लेकिन वैज्ञानिक रिपोर्ट्स कहती हैं कि ऑर्गेनिक और सामान्य फूड में पोषण में बहुत बड़ा अंतर नहीं होता।
- कुछ मामलों में ऑर्गेनिक सब्जियाँ अधिक पोषक हो सकती हैं, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता।
2. पर्यावरण के लिए फायदेमंद?
- यह माना जाता है कि ऑर्गेनिक खेती से मिट्टी और जल प्रदूषण नहीं होता।
- क्योकि इसमें जैविक खाद और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, इसलिए यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है।
- लेकिन समस्या यह है कि ऑर्गेनिक खेती में पैदावार कम होती है, जिसके कारण अधिक जमीन की जरूरत पड़ती है, जिससे जंगलों की कटाई बढ़ सकती है।
3. किसान को अधिक लाभ होता है?
- ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमत सामान्य उत्पादों से 2 से 3 गुना ज्यादा होती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिल सकता है।
- लेकिन ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन लेने की प्रक्रिया महंगी और कठिन होती है, जिससे छोटे किसान पीछे रह जाते हैं।
- इसके अलावा, पैदावार कम होने के कारण छोटे किसानों के लिए यह नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।

ऑर्गेनिक खेती के नुकसान और समस्याएँ
अब सवाल उठता है कि अगर ऑर्गेनिक खेती इतनी अच्छी है, तो हर कोई इसे क्यों नहीं अपना रहा? इसकी कुछ मुख्य समस्याएँ हैं:
1. पैदावार कम होती है
- ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशक नहीं होते, जिससे फसल की पैदावार 20-50% तक कम हो सकती है।
- कम पैदावार का मतलब है कि किसान को अधिक जमीन की जरूरत होगी।
- यह भारत जैसे जनसंख्या वाले देश के लिए बड़ी समस्या बन सकती है।
2. महंगा होता है
- ऑर्गेनिक खेती में प्राकृतिक खाद, देसी कीटनाशकों और परंपरागत तरीकों का उपयोग होता है, जो महंगे पड़ सकते हैं।
- इसके अलावा, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया भी महंगी और लंबी होती है।
- यही कारण है कि ऑर्गेनिक उत्पाद आम जनता के लिए महंगे होते हैं
3. हर ऑर्गेनिक उत्पाद सच में ऑर्गेनिक नहीं होता
- बाजार में बिकने वाले कई उत्पाद सिर्फ ऑर्गेनिक टैग के साथ आते हैं, लेकिन असल में वे ऑर्गेनिक नहीं होते।
- कई कंपनियाँ सिर्फ मार्केटिंग के लिए ऑर्गेनिक शब्द का इस्तेमाल करती हैं और ग्राहकों से ज्यादा पैसे वसूलती हैं।
- सच्चाई यह है कि भारत में बिकने वाले ज्यादातर ऑर्गेनिक उत्पाद नकली हो सकते हैं।
सच्चाई:
- ऑर्गेनिक खेती प्राकृतिक और पर्यावरण के लिए बेहतर हो सकती है, लेकिन यह हर जगह और हर किसान के लिए उपयुक्त नहीं है।
- कुछ ऑर्गेनिक उत्पाद सच में अच्छे होते हैं, लेकिन हर ऑर्गेनिक लेबल वाला उत्पाद भरोसेमंद नहीं होता।
- कई कंपनियाँ ऑर्गेनिक के नाम पर लोगों को ज्यादा कीमत चुकाने पर मजबूर कर रही हैं।
निष्कर्ष: क्या ऑर्गेनिक खेती अपनानी चाहिए?
- ऑर्गेनिक खेती एक अच्छा तरीका हो सकता है, लेकिन यह हर बार फायदेमंद हो, ऐसा जरूरी नहीं है।
- सेहत के लिए इसका फायदा बहुत ज्यादा नहीं है।
- पर्यावरण के लिए इसके कुछ फायदे और कुछ नुकसान दोनों हैं।
- मार्केटिंग के नाम पर लोगों से ज्यादा पैसे लिए जा रहे हैं।
इसलिए, खाने का चुनाव करते समय सिर्फ "ऑर्गेनिक" लेबल पर निर्भर रहने के बजाय, ताजा, मौसमी और स्थानीय भोजन को अपनाना एक बेहतर और समझदारी भरी सोच हो सकती है।
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