प्रॉन फार्मिंग : किसानों के लिए उभरता हुआ सुनहरा व्यवसाय


भारत की मिट्टी और पानी ने हमें हमेशा नई-नई खेती और पालन की राहें दिखाई हैं। पहले किसान केवल गेहूं, धान या गन्ने जैसी फसलों पर निर्भर रहते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ अब मत्स्य पालन और झींगा पालन (Prawn Farming) एक बड़ा अवसर बन चुका है।
झींगे (Prawns) दुनिया भर में प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इनकी मांग भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि कई राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केरल प्रॉन फार्मिंग में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

प्रॉन फार्मिंग क्यों है फायदेमंद?
1. उच्च बाजार मांग – प्रॉन का उपयोग घरेलू बाजार और निर्यात दोनों में होता है। 2. जलवायु अनुकूलता – भारत की जलवायु झींगा पालन के लिए बेहद उपयुक्त है। 3. कम समय में उत्पादन – 4 – 6 महीने में झींगे तैयार हो जाते हैं। 4. निर्यात से विदेशी मुद्रा – भारत से बड़ी मात्रा में झींगे विदेशों को भेजे जाते हैं। 5. अतिरिक्त आय का साधन – किसान इसे फसल के साथ जोड़कर भी कर सकते हैं।
प्रॉन फार्मिंग कैसे शुरू करें?
1. स्थान और तालाब का चयन : खेती के लिए ऐसा इलाका चुनें जहाँ खारा या अर्ध-खारा पानी उपलब्ध हो। तालाब का आकार 1–2 एकड़ होना अच्छा रहता है। पानी की गहराई 1–1.5 मीटर तक होनी चाहिए।
2. तालाब की तैयारी : सबसे पहले तालाब को सुखाकर उसमें चुना (Lime) डालें ताकि रोगाणु नष्ट हो जाएँ। पानी भरने से पहले उचित फिल्ट्रेशन सिस्टम लगाएँ। तालाब के किनारे पर जाल या बाड़ लगाना जरूरी है ताकि पक्षी या अन्य जीव नुकसान न पहुँचाएँ।
3. बीज (सीड) का चयन : बीज अच्छी क्वालिटी की हैचरी से ही खरीदें।
भारत में मुख्य रूप से दो प्रजातियाँ ज्यादा पाली जाती हैं – 1 - Macrobrachium rosenbergii (फ्रेश वाटर प्रॉन) 2 - Penaeus vannamei (व्हाइट लेग प्रॉन, निर्यात के लिए सबसे लोकप्रिय)
4. आहार (Feed) : झींगे को संतुलित आहार की जरूरत होती है। मछली का आटा, सोयाबीन, मिनरल और विटामिन मिलाकर तैयार फीड दिया जाता है। दिन में 2–3 बार निश्चित मात्रा में खिलाना चाहिए।
5. पानी का प्रबंधन : पानी का pH 7.5–8.5 होना चाहिए। ऑक्सीजन की मात्रा सही रखने के लिए एयरोटर मशीन का इस्तेमाल करना जरूरी है। हर 15–20 दिन पर पानी का आंशिक बदलाव करना चाहिए।
6. रोग प्रबंधन : झींगे जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। समय-समय पर पानी की जाँच करना जरूरी है। भीड़ ज्यादा न होने दें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।

लागत और मुनाफा
प्रॉन फार्मिंग की लागत तालाब के आकार और तकनीक पर निर्भर करती है। 1 एकड़ तालाब की अनुमानित लागत – 2 से 2.5 लाख रुपये (तालाब निर्माण, बीज, फीड और दवाइयों समेत)। उत्पादन – 1 एकड़ में लगभग 1500–2000 किलो झींगे तैयार किए जा सकते हैं। बाजार भाव – प्रॉन की कीमत 250 से 500 रुपये प्रति किलो तक मिल सकती है। कुल आय – 4 से 8 लाख रुपये प्रति साल। शुद्ध मुनाफा – 2 से 5 लाख रुपये तक (अच्छी देखभाल करने पर)।
सरकारी सहायता
भारत सरकार और राज्य सरकारें झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं – प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता – मत्स्य विभाग किसानों को ट्रेनिंग देता है। सब्सिडी – तालाब निर्माण और उपकरणों पर 40 – 60% तक सब्सिडी मिल सकती है। ऋण सुविधा – बैंक से आसान ब्याज दर पर लोन उपलब्ध होता है।
प्रॉन फार्मिंग से जुड़ी सावधानियाँ
1. हमेशा प्रमाणित हैचरी से ही बीज खरीदें। 2. तालाब की सफाई और पानी की क्वालिटी पर खास ध्यान दें। 3. जरूरत से ज्यादा झींगे न डालें, वरना बीमारी फैल सकती है। 4. फीड संतुलित मात्रा में ही दें। 5. बाजार और निर्यात कंपनियों से पहले से संपर्क बनाएँ।
भविष्य में प्रॉन फार्मिंग की संभावनाएँ
भारत जैसे देश में जहाँ पानी और मौसम दोनों ही अनुकूल हैं, प्रॉन फार्मिंग आने वाले समय में किसानों की अतिरिक्त आय का सबसे मजबूत साधन बन सकती है। दुनिया भर में सीफूड की डिमांड बढ़ रही है और भारत इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभा सकता है। छोटे किसान भी अगर तालाब बनाकर या सामूहिक रूप से यह काम करें, तो उन्हें अच्छी कमाई होगी। इसके अलावा, सरकार की योजनाओं और सब्सिडी से किसानों का खर्च भी कम होगा।
निष्कर्ष
प्रॉन फार्मिंग आज के समय में सिर्फ़ मत्स्य पालन नहीं बल्कि एक लाभदायक उद्योग बन चुका है। इसमें मेहनत, तकनीक और प्रबंधन की जरूरत है, लेकिन एक बार अगर किसान भाई इसे सही ढंग से सीख ले तो वह अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकता है। धान और गेहूं जैसी पारंपरिक खेती के साथ-साथ अगर किसान प्रॉन फार्मिंग अपनाते हैं, तो वे न सिर्फ़ अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं बल्कि भारत को सीफूड निर्यात में और भी मजबूत बना सकते हैं। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
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