सोने से भी महंगा है मधुमक्खी से उत्पादित बी-वेनम

21 Sep 2024 | NA
सोने से भी महंगा है मधुमक्खी से उत्पादित बी-वेनम

समय की नजाकत को देखते हुए नए-नए तरह की कृषि कर रहे हैं किसान। उसी श्रृंखला में एक किसान ने शुरू किया ऐसा कमाल का उत्पादन जिसकी बाजार में कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। वह है मधुमक्खी के डंक से निकलने वाले जहर का उत्पादन, जिसे बाजार में बी-वेनम या अपिटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है। यह प्राकृतिक पदार्थ है जो मधुमक्खी के द्वारा उत्पन्न होता है, इसमें बहुत सारे रासायनिक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी है मुख्यतः इसका प्रयोग दवाइयां बनाने में किया जाता है। जो किसान शहद के लिए मधुमक्खी पालन कर रहे हैं वे भी इससे दोहरा लाभ उठाते हैं। एक और तो शहद का उत्पादन तथा दूसरी और उनसे निकलने वाले विष का कलेक्शन कर मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी 1 ग्राम की कीमत ₹7000 अर्थात् 1 किलो 70 लाख रुपए तक बिक जाता है। इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी लेते हैं सुभाष जी से जो इस कार्य को वर्षों से कर रहे हैं। 

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बी-वेनम कलेक्शन:

मधुमक्खी के अंदर उपस्थित विष को निकाले जाने का तरीका बडा ही तकनीक और षड्यंत्र भरा है। इसके लिए एक आयताकार सीट जैसी मशीन को मधुमक्खी वाले बॉक्स में एक तरफ रख देते हैं। जिस पर शीशा लगा होता है, साथ ही इसमें बहुत सारे महीन तारों को भी भीतर की तरफ एडजस्ट किया हुआ होता है, जिनमें हल्का करंट रहता है। जैसे ही मधुमक्खियां शीशे पर बैठती है तो उन्हें करंट लगता है और वह विचलित होकर उस पर डंक मार के प्रहार करती है, जिस कारण उनका विष कांच पर लगा रह जाता है। इसी प्रकार जब बहुत सारी मधुमक्खियां अपने विष को कांच पर स्रावित कर देती है। यह मशीन 40 मिनट तक चलती है उसके बाद ऑटोमेटेकली बंद हो जाती है तथा 40 मिनट उपरांत कांच को निकाल कर उस बी-वेनम को शीशे की प्लेट से एक ब्लेड की मदद द्वारा खुरच कर कलेक्ट कर लिया जाता है‌ और किसी कांच की डार्क सीसी में स्टोर कर रख लेते हैं।मधुमक्खी के द्वारा डंक को शीशे पर मारने से उन्हें कोई नुकसान भी नहीं होता तथा उनका डंक भी नहीं टूटता है। यह प्रक्रिया एक मधुमक्खी हर सातवें-आठवें दिन दोहरा देती है।

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इस कृषि को करने में आने वाली चुनौतियां:

सुभाष जी बताते हैं की सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि बी-वेनम इकट्ठा करने की विधि बड़ी ही खर्चीली है। क्योंकि जिस मशीन पर मधुमक्खी विष छोड़ती है वह बहुत ही महंगी पड़ती है। एक मशीन की कीमत ₹12000 होती है और ऐसी मशीन मधुमक्खी के हर बॉक्स में रखी जाती है।दूसरी परेशानी मशीन पर वातावरण में उपस्थित डस्ट का जम जाना है, जिस कारण कई बार उच्च गुणवत्ता का प्योर विष प्राप्त नहीं होता, क्योंकि शीशे पर विष के साथ-साथ डस्ट के पार्टिकल भी जमा हो जाते हैं। इसलिए यह पालन पहाड़ी शांत क्षेत्र में किया जाना चाहिए।

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उत्पादन करने की जटिलता: 

बी-वेनम 100 बॉक्स से मात्र 2.5-3 ग्राम ही इकट्ठा हो पता है। इसलिए इसका उत्पादन बहुत जटिल भी माना जाता है। इनकी दो कंपनियां आपस में मिलकर भी 1 किलोग्राम विष उत्पादित नहीं कर पाई थी। इसी के साथ उच्च क्वालिटी का वेनम जमा करना भी बड़ी चुनौती है, क्योंकि पहली बार में तो मधुमक्खी अच्छा विष स्रावित करती है; परंतु बाद में उसकी क्वालिटी घटती चली जाती है। 1 किलो विष उत्पादन करने के लिए लगभग 4-5 हजार बॉक्स तथा 700-800 मशीन हो तब जाकर 1 केजी विष उत्पादित हो पाएगा।

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बी-वेनम का मार्केट:

इस उत्पादित किए गए विष की मार्केट की बात करें तो यह औबाजार में विशेष स्थान पर ही बिकता है। वैसे तो इसकी बहुत अधिक डिमांड है। बी-वेनम उत्पादक इसकी पूर्ति कर पाने में एक तरह से असफल ही है। बड़ी-बड़ी दवाई कंपनियां इसको अच्छे दाम पर खरीद लेती है। 

बी-वेनम का उपयोग:

इसका उपयोग आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में गठिया, रूमेटिज्स और ल्यूपस जैसी बीमारियों को कम करने में सहायक है। साथ ही यह सूजन-रोधी और दर्द निवारक गुण भी रखता है। कॉस्मेटिक उद्योग में एंटी-एजिंग क्रीम और सीरम उत्पादन में इस्तेमाल होता है, साथ ही यह त्वचा को पुनर्जीवित करने की भी शक्ति रखता है।बी वेनम के बायोटिक यौगिक पर अनुसंधान चल रहे हैं, जो कैंसर और एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी एक उपाय के रूप में उभर कर आ रहा है।

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बी-वेनम संग्रहण की प्रक्रिया:

जहर को संग्रहित और पैकेजिंग करने में 1 से 3 दिन लग जाते हैं। जहर को इकट्ठा कर इसे फिल्टर किया जाता है और अंत में सुखाकर पाउडर या लिक्विड फॉर्म में स्टोर कर लेते है। यह प्रक्रिया कुशल पेशेवर द्वारा की जाती है, ताकि जहर की गुणवत्ता और प्रभावशीलता बनी रहे।तो दोस्तों बी-वेनम एक मूल्यवान और लाभकारी पदार्थ है। जिसका उपयोग चिकित्सा और कॉस्मेटिक क्षेत्र में हो रहा है, जिसकी कीमत शुद्धता और बाजार की मांग पर निर्भर करती है। कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "हेलो किसान" के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥


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