बकरी पालन में सफलता की कहानी: पंकज कुमार सैनी, मुज़फ्फरनगर


आज हम आपको उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के एक ऐसे किसान की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने सिर्फ 2 बकरियों से शुरुआत की और आज उनके पास 200 से ज्यादा बकरियाँ हैं। इनका नाम है पंकज कुमार सैनी, और ये पिछले डेढ़ साल से बकरी पालन का काम कर रहे हैं। पंकज जी की लगन और मेहनत ने आज उन्हें इस क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है।

कैसे की शुरुआत?
शुरुआत में पंकज जी के पास केवल 2 बकरियाँ थीं। धीरे-धीरे उन्होंने 10, फिर 20 और आज 200 बकरियाँ पाल रखी हैं। उनके पास बिटल, बर्बरी और टापरी नस्ल की बकरियाँ हैं। बिटल नस्ल की बकरी अपने लंबे कान, तोते जैसी नाक, सफेद आंखें और काले रंग के कारण बहुत मशहूर है। वहीं, उन्होंने खास तौर पर सफेद रंग की हैदराबादी बिटल भी पाल रखी है जिसके कान गुलाबी हैं।
फार्म का स्ट्रक्चर
पंकज जी का बकरी फार्म 4 बीघा जमीन में फैला है। इस फार्म में हर बकरी के लिए अलग-अलग केबिन बनाए गए हैं ताकि उन्हें पर्याप्त जगह मिल सके।
- अंदर का एरिया: 30 बाय 60 फीट
- बाहर का एरिया: 30 बाय 90 फीट
- कुल खर्चा: करीब 40 से 45 लाख रुपए
- ज़मीन का निचला हिस्सा कच्चा ही रखा गया है ताकि बकरियाँ आराम से रह सकें।
बकरियों की देखभाल और दिनचर्या
पंकज जी के फार्म पर 100 मेल और 100 फीमेल बकरियाँ हैं। हर केबिन में करीब 50 बकरियाँ आराम से रह सकती हैं और वहीं 100 बच्चे भी रखे जा सकते हैं।
रोज़ का शेड्यूल कुछ इस तरह है:
सुबह 8 बजे: बकरियों को बाहर छोड़ा जाता है
12-1 बजे: पानी पिलाया जाता है
2 बजे: भूसा दिया जाता है
4 बजे: दाना खिलाया जाता है
फिर बकरियों को केबिन में वापस लाया जाता है
फीड में उपयोग होने वाली चीजें:
- ग्वार का भूसा
- चोकर
- छिलका
- बाजरा
- इन सभी को मिक्स करके ड्रम में डाला जाता है। ये ड्रम पंकज जी ने खुद डिज़ाइन किए हैं ताकि बकरियाँ ड्रम में घुस न सकें और खाना ऊपर से ही डाला जा सके।
नस्लों की खासियत
- बिटल बकरी: दूध और घी के लिए बेहतर, बड़ी कद-काठी वाली
- बर्बरी बकरी: छोटी होती है, दूध कम देती है, लेकिन तेजी से बच्चे देती है
मौसम और देखभाल
मार्च से अक्टूबर तक मौसम बकरियों के लिए अनुकूल रहता है। ठंड के समय में बस खास ध्यान देना होता है ताकि बकरियाँ सर्दी और ज़ुकाम से बच सकें। सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, समय-समय पर स्प्रे किया जाता है, जिससे फार्म में दुर्गंध बिलकुल नहीं होती।

लागत और मुनाफा
- एक बच्चे को पालने में 6-7 महीने लगते हैं
- खर्चा आता है: ₹10,000 से ₹15,000
- बिक्री मूल्य: ₹50,000 से ₹60,000
- बड़ी बकरी के फीड पर रोज़ ₹25 तक का खर्च आता है
नए किसानों के लिए सुझाव
पंकज जी कहते हैं कि कोई भी किसान भाई अगर बकरी पालन शुरू करना चाहता है तो सिर्फ 10 बकरियों से शुरुआत कर सकता है। इसके लिए लगभग ₹1 लाख का खर्च आएगा। अगर नियमित सफाई, सही खानपान और देखभाल की जाए तो ये काम बहुत ही लाभदायक हो सकता है।
निष्कर्ष
पंकज कुमार सैनी की यह कहानी एक प्रेरणा है उन सभी लोगों के लिए जो खेती-किसानी से जुड़कर कुछ नया करना चाहते हैं। मेहनत, योजना और सही दिशा में काम करके कोई भी किसान बकरी पालन से अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
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