चीनी: मांसाहारी या शाकाहारी?


चीनी एक ऐसी पदार्थ है, जो लगभग हर रसोई में पाया जाता है। यह मिठास प्रदान करने वाली एक आवश्यक सामग्री है, जिसे हम चाय, कॉफी, मिठाइयों, पेयों और कई अन्य व्यंजनों में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीनी शाकाहारी है या मांसाहारी? यह सवाल उस समय उभरता है जब हम चीनी के निर्माण की प्रक्रिया और उसमें इस्तेमाल होने वाली विधियों का अध्ययन करते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि चीनी मांसाहारी कैसे बन सकती है, चीनी का निर्माण किन-किन प्रक्रियाओं से होता है, और कौन-सी प्रक्रिया चीनी को मांसाहारी बना देती है।
चीनी का निर्माण:
चीनी का उत्पादन मुख्यतः दो स्रोतों से होता है, गन्ना और चुकंदर से। इन दोनों में से भी गन्ना चीनी का प्रमुख स्रोत है, जो गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है, जैसे कि भारत, ब्राजील, और अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में। दूसरी ओर चकुंदर का उपयोग यूरोप में अधिक होता है, जहां यह ठंडी जलवायु में उगाया जाता है। दोनों ही स्रोतों से प्राप्त चीनी के उत्पादन की प्रक्रिया एक जैसी होती है, जिसमें मुख्य रूप से चीनी निकालने और शुद्ध करने की प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।

चीनी बनाने की प्रक्रिया:
सामान्यत: चीनी बनाने प्रक्रिया में सबसे पहले गन्ने को हाथों से या मशीनों द्वारा काटा जाता है, फिर कटे हुए गन्ने को अच्छे से धोकर, उसे मिल में डालते है, जहां से उसका रस (जूश) निकाला जाता है। गन्ने का रस पहले हाइड्रोक्लोरिक एसिड और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड के साथ शुद्ध किया जाता है। इस प्रक्रिया में रस में उपस्थित अशुद्धियाँ (जैसे मिट्टी, गंदगी, आदि) हटाई जाती हैं। इसके उपरांत शुद्ध रस को उबालकर उसमें से पानी निकाला जाता है और चीनी के क्रिस्टल बनने लगते हैं। इस मिश्रण को मोलासेस कहा जाता है, जिसमें चीनी के क्रिस्टल और तरल रूप दोनों होते हैं। फिर इसे ठंडा किया जाता है और क्रिस्टलाइजेशन प्रक्रिया के बाद सफेद चीनी प्राप्त होती है। सफेद चीनी को और अधिक शुद्ध किया जाता है, जिससे यह बिल्कुल सफेद और शुद्ध रूप में तैयार हो जाती है।
चकुंदर से चीनी का निर्माण :
चुकंदर या beetroot को भी उसी प्रकार से काटा जाता है, जैसे गन्ना। इसे जमीन से उखाड़कर धोकर मशीनों के माध्यम से उसका रस निकाला जाता है और रस को शुद्ध करने के लिए कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग करते हैं, ताकि इसमें उपस्थित अशुद्धियाँ हट जाएं। इस रस को भी उबालकर उसमें से पानी निकाला जाता है और चीनी के क्रिस्टल बनते हैं। बाद में इसे ठंडा किया जाता है और हल्की लाल चीनी प्राप्त की जाती है।

चीनी मांसाहारी क्यों बन जाती है?
अब यह सवाल उठता है कि चीनी मांसाहारी कैसे बन सकती है? असल में, चीनी का उत्पादन करते समय जो कुछ प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं, उनमें से कुछ में मांसाहारी तत्व शामिल हो सकते हैं। खासकर, चीनी को सफेद बनाने की प्रक्रिया में कुछ रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल होता है, जो मांसाहारी हो सकते हैं।चीनी के शुद्धिकरण (refining) के दौरान कार्बन और चारकोल का उपयोग किया जाता है। बहुत से कारखानों में सफेद चीनी के शुद्धिकरण के लिए बोन चारकोल (bone char) का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि गाय या अन्य जानवरों की हड्डियों से तैयार होता है। इस चारकोल का उपयोग चीनी को सफेद बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि यह काले रंग के अणुओं को अवशोषित करने की क्षमता रखता है, जिससे चीनी का रंग हल्का हो जाता है।
यहां पर एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि बोन चारकोल (bone char) पूरी तरह से मांसाहारी है, क्योंकि यह जानवरों की हड्डियों से निकाला जाता है। इसका प्रयोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार की चीनी के शुद्धिकरण में हो सकता है, लेकिन जब यह प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो यह चीनी को मांसाहारी बना देती है।
मांसाहारी और शाकाहारी चीनी में अंतर:
चूंकि शुद्धिकरण के दौरान यदि बोन चारकोल का इस्तेमाल किया जाता है तो चीनी मांसाहारी हो जाती है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि चीनी मांसाहारी है या शाकाहारी, यह चीनी के शुद्धिकरण के तरीके पर निर्भर करता है। यदि चीनी का शुद्धिकरण बोन चारकोल के बजाय पॉलीमर रेजिन या चारकोल जैसे अन्य शाकाहारी विकल्पों का उपयोग करके किया गया हो, तो वह चीनी शाकाहारी मानी जाती है।
सामान्यत: बाजार में जो चीनी बिकती है, उसमें मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार की चीनी हो सकती हैं। कुछ चीनी निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया है, कि वे शाकाहारी तरीके से चीनी का शुद्धिकरण करें, जबकि अन्य निर्माता बोन चारकोल का उपयोग करते हैं।

मांसाहारी चीनी की पहचान:
मांसाहारी चीनी को पहचानने के लिए कुछ संकेत हो सकते हैं। जैसे जो चीनी प्राकृतिक तरीकों से बनाई जाती है उनमें चीनी उत्पादक कंपनियाँ अपने उत्पाद के लेबल पर यह जानकारी देती हैं कि उनका चीनी शुद्धिकरण किस प्रकार हुआ है। यदि बोन चारकोल का इस्तेमाल हुआ हो तो यह मांसाहारी चीनी हो सकती है।वहीं कुछ चीनी उत्पादकों ने प्रमाणित किया है कि उनकी चीनी शाकाहारी है, क्योंकि उनके शुद्धिकरण प्रक्रिया में हड्डी आधारित चारकोल का उपयोग नहीं किया गया है तो इसलिए वह शाकाहारी चीनी होती है।
चीनी मूलतः एक शाकाहारी उत्पाद है, क्योंकि इसका उत्पादन गन्ने या चुकंदर से होता है, जो पौधों से प्राप्त होते हैं। हालांकि, सफेद चीनी का शुद्धिकरण करने की प्रक्रिया में यदि बोन चारकोल का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह चीनी मांसाहारी बन जाती है। इसलिए, चीनी को मांसाहारी या शाकाहारी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए यह जरूरी है कि हम चीनी के शुद्धिकरण के तरीके को समझें। यदि आप शाकाहारी हैं और मांसाहारी चीनी से बचना चाहते हैं, तो आपको चीनी के लेबल को ध्यान से पढ़ने और उन ब्रांड्स को चुनने की जरूरत है, जो शाकाहारी तरीकों का पालन करते हैं।दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसी की जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ। धन्यवाद॥ जय हिंद,जय किसान॥
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