देशभर में जहां खेती किसानी के लिए डीजल-पेट्रोल वाले भारी-भरकम ट्रैक्टर की जरूरत मानी जाती है, वहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के गांव चंदपुरा से एक ऐसी तकनीकी क्रांति सामने आई है जो छोटे किसानों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरी है। यह है तीन फुट का इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर, जिसकी कीमत, संचालन खर्च और रखरखाव लगभग ना के बराबर है, लेकिन काम के मामले में किसी से कम नहीं।


डिज़ाइन और बनावट: छोटा पैकेट, बड़ा धमाका

यह ट्रैक्टर महज तीन फुट का है और इसे खासतौर पर छोटे किसानों के लिए तैयार किया गया है। जिन किसानों के पास दो-तीन गाय हैं या जिन्हें बुग्गी की ज़रूरत पड़ती है, उनके लिए यह ट्रैक्टर वरदान साबित हो सकता है। इसके अलॉय रिम्स 12 साइज के हैं, जो हल्के लेकिन मजबूत हैं।

इसमें जो लाइट्स लगाई गई हैं, वे केवल सजावट नहीं, बल्कि पूरी तरह फंक्शनल हैं। इसके हॉर्न, ऑन-ऑफ की, रेड पावर स्विच, हैंड ब्रेक, नॉर्मल ब्रेक, और हाई-लो गियर के लिए स्विच जैसी तमाम सुविधाएं इसमें दी गई हैं जो किसी बड़े ट्रैक्टर को टक्कर देती हैं।

पावर और मोटर: जबरदस्त प्रदर्शन

इस ट्रैक्टर में 700 वोल्ट से लेकर 2000 वोल्ट तक की मोटर लगाई जा सकती है। यह मोटर बैटरी से संचालित होती है और कोई पेट्रोल या डीजल की ज़रूरत नहीं होती। इसमें लिथियम बैटरी लगाई जाती है जिसकी कीमत लगभग 25,000 रुपए है। यह बैटरी मात्र 10 रुपए की बिजली खर्च कर 30 से 35 किलोमीटर तक चल सकती है। इसका मतलब है कि यह ट्रैक्टर खेतों में आसानी से काम कर सकता है और किसानों को डीजल के बढ़ते खर्च से भी राहत मिलती है।

ट्राली और लोड कैपेसिटी

इस ट्रैक्टर के साथ एक खास ट्राली भी तैयार की गई है जिसकी लोड क्षमता 4 से 5 क्विंटल है। यह चारा, खाद, या अन्य खेती से जुड़े सामान लाने-ले जाने में उपयोगी है। खास बात यह है कि इस पूरी यूनिट का मेंटिनेंस शून्य के बराबर है।

कीमत और लागत

इस इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर को बनाने में कुल लागत आती है:

  • बिना बैटरी के निर्माण लागत: 70,000 से 75,000 रुपए
  • बैटरी की कीमत: 25,000 रुपए
  • कुल लागत: करीब 1 लाख रुपए
  • ट्रॉली की कीमत अलग से 15,000 रुपए रखी गई है। यानी एक छोटे किसान के लिए यह एक सस्ता, टिकाऊ और भरोसेमंद समाधान है।


निष्कर्ष: गांव से निकली नवाचार की मिसाल

चंदपुरा, मेरठ के एक स्थानीय इनोवेटर ने यह ट्रैक्टर तैयार कर यह साबित कर दिया है कि तकनीक सिर्फ बड़े शहरों की बपौती नहीं, गांवों में भी नवाचार की ताकत है। यह ट्रैक्टर उन लाखों किसानों के लिए एक प्रेरणा है जो कम संसाधनों में बड़ा काम करना चाहते हैं। यदि यह मॉडल बड़े स्तर पर अपनाया जाए तो देश के छोटे किसानों के जीवन में एक सस्ती, स्वच्छ और सशक्त तकनीकी क्रांति लाई जा सकती है।