कृषि उत्पादन को बढ़ाने और मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाए रखने के लिए खाद का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। खाद मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- रासायनिक खाद और जैविक खाद। दोनों के अपने-अपने लाभ और विशेषताएँ हैं। इस लेख में हम विभिन्न प्रकार के रासायनिक खादों, उनके निर्माण की प्रक्रिया, उपयोग और जैविक खादों की तैयारी के तरीके पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
रासायनिक खाद:
फसल की उत्पादकता और त्रीव वृद्धि करने वाले रासायनिक खाद मुख्यतः तीन प्रमुख पोषक तत्वों पर आधारित होते हैं। पहला नाइट्रोजन(N) खाद, जैसे यूरिया, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम नाइट्रेट। दूसरा फास्फोरस (P) खाद, जैसे सुपरफॉस्फेट, डाई कैल्शियम फॉस्फेट तथा तीसरा पोटाश(K) खाद, जैसे पोटाश सल्फेट का रासायनिक खाद में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। इनके अलावा, मिश्रित रासायनिक खाद भी उपलब्ध हैं, जैसे NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश) खाद।
निर्माण प्रक्रिया:
- रासायनिक खादों को प्रयोगशालाओं में विभिन्न प्रयोगों द्वारा खाद में परिवर्तित किया जाता है, इसमें नाइट्रोजन फास्फोरस तथा पोटेशियम खाद को बनाने की प्रक्रिया निम्नवत् है।
- नाइट्रोजन खाद- इसे हाइड्रोजन और नाइट्रोजन के संयोजन से तैयार किया जाता है। नाइट्रोजन को हवा से अलग करके अमोनिया में बदल जाता है, जिससे नाइट्रोजन खाद प्राप्त होता है।
- फास्फोरस खाद- फास्फोरस अयस्क को सल्फ्यूरिक एसिड के साथ मिलाकर सुपरफॉस्फेट बनाया जाता है। यह प्रक्रिया उच्च तापमान पर होती है, जिससे फास्फोरस घुलनशील रूप में बनकर खाद के रूप में इस्तेमाल हेतु प्राप्त होता है।
- पोटाश खाद- पोटाश को खनिजों से निकाला जाता है और इसे शुद्ध करके विभिन्न रूपों में तैयार किया जाता है, जैसे पोटाश सल्फेट।
यूरिया खाद का निर्माण:
यूरिया एक नाइट्रोजन युक्त प्रमुख रासायनिक खाद है, जिसका उपयोग कृषि में व्यापक रूप से किया जाता है। इसका निर्माण एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें मुख्य रूप से मीथेन तथा बाह्य रूप से नाइट्रोजन के उपयोग से प्रयोगशाला में बनाया जाता है।
उपयोग:
यदि सीमित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग फसल में किया जाए तो फल भी स्वस्थ और कीटों से मुक्त होता है। इसी के साथ रासायनिक खाद मिट्टी की उर्वरता को तुरंत बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती हैं, जिससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है। इनका प्रभाव जल्दी होता है, जिससे किसान जल्दी परिणाम देख सकते हैं। यह निश्चित मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती हैं, जिससे फसल की विशेष जरूरतें पूरी होती हैं।
जैविक खाद:
जैविक खाद, जिसे कार्बनिक खाद भी कहा जाता है, ये प्राकृतिक स्रोतों से बनाया जाता है और इसमें हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं होता। यह रासायनिक खाद की अपेक्षा अधिक गुणकारी और प्रदूषण मुक्त माना जाता है। इसके प्रयोग द्वारा उगाई गई फसल अपने गुणों के कारण बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है।
प्रकार:
- यह भी कितने प्रकार की होती है जिसे प्राकृतिक रूप से प्राप्त किया जाता है, जिसमें कंपोस्ट जो सड़ी हुई जैविक सामग्री होती है। वहीं गौ-मूत्र और पशुओं के गोबर से प्राप्त जैविक सामग्री भी खाद्य के रूप में अच्छा कार्य करती है।
- इसके अलावा बड़े पेड़ों की जड़ों में विभिन्न प्रकार के छोटे पौधों को उगाकर तथा उन्हें बाद में काटकर मिट्टी में मिला देते हैं, जो कुछ दिन में गल कर खाद का कार्य करते हैं।
- इनके अलावा वर्मी कंपोस्ट भी जैविक खाद के रूप में आता है। जिसमें खाद को कीड़ों द्वारा जैविक पदार्थ के अपघटन से प्राप्त किया जाता है।
कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया:
सूखी पत्तियाँ, घास, रसोई के अवशेष, और अन्य जैविक सामग्री को छोटे टुकड़ों में काटकर एक स्थान पर इकट्ठा किया जाता है। सामग्री को परत दर परत मिलाया जाता है, जिसमें हरी और भूरी सामग्री का अनुपात 1:3 होना चाहिए। सामग्री को नमी प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वह सड़ सके। समय-समय पर सामग्री की घुड़ाई करनी चाहिए ताकि ऑक्सीजन मिल सके। 2-3 महीनों में, जब तापमान बढ़ता है, तो खाद तैयार हो जाती है।
वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया:
फल, सब्जियों के अवशेष, पत्तियाँ और अन्य जैविक सामग्री को एक बगीचे या कंटेनर में 2-3 फीट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें विशेष प्रकार के कीड़े जैसे एरिथ्रेन और कम्पोस्टिंग वर्म्स या केंचुए का उपयोग करते हैं। इसमें जैविक सामग्री को वर्म्स के साथ मिलाकर डालते हैं और समय-समय पर पानी देते हैं और सामग्री को घुमाते हैं। इस प्रकार लगभग 6-8 सप्ताह में, वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाती है।
उपयोग:
जैविक खाद मिट्टी की संरचना को सुधारता है और इसे अधिक उर्वर बनाता है। यह धीरे-धीरे पोषक तत्व छोड़ता है, जिससे फसल की आवश्यकता के अनुसार पोषण मिलता है। जैविक खादों के उपयोग से मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जो पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
रासायनिक और जैविक खाद दोनों का उपयोग कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण है। रासायनिक खाद तात्कालिक परिणाम देता है, जबकि जैविक खाद दीर्घकालिक फायदों का स्रोत है। किसानों को दोनों प्रकार की खादों का संतुलित उपयोग करना चाहिए ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और मिट्टी की स्वास्थ्य को भी बनाए रख सकें। इस प्रकार, खाद का सही उपयोग न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने कृषि संसाधनों का उपयोग जिम्मेदारी से करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी कृषि प्रणाली बनाई जा सके। तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ धन्यवाद॥ जय हिंद, जय किसान॥
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