अमेरिकी कृषि बाज़ार खुलने पर किसानों पर असर?


भारत की पहचान एक कृषि प्रधान देश के रूप में है। यहाँ गाँव-गाँव में किसान खेतों में पसीना बहाकर अनाज, फल, सब्ज़ियाँ और मसाले उगाते हैं। किसान ही हैं जो पूरे देश का पेट भरते हैं। लेकिन आज के दौर में एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर विदेशी बाज़ार पूरी तरह किसानों के लिए खोल दिए जाएँ तो इसका उन पर क्या असर पड़ेगा। भारत के किसान वैसे ही कई मुश्किलों से जूझ रहे हैं – कभी बारिश का संकट, कभी महंगे खाद और डीज़ल का बोझ, और कभी फसल की सही कीमत न मिलना। ऐसे में अगर विदेशी बाज़ार, खासकर अमेरिका जैसा बड़ा देश, भारत में पूरी तरह खुल गया तो यह किसानों की हालत और भी खराब कर देगा। बाहर से आने वाले सस्ते उत्पाद हमारे किसानों की मेहनत का दाम गिरा देंगे और वे और ज्यादा परेशान हो जाएँगे।

अमेरिका क्यों चाहता है अपना बाज़ार खोलना
अमेरिका की खेती पूरी तरह आधुनिक तकनीक पर आधारित है। वहाँ किसानों को भारी सब्सिडी मिलती है, मशीनों से खेती होती है और उत्पादन बहुत सस्ता पड़ता है। इसलिए अमेरिका चाहता है कि भारत जैसे बड़े देश का बाज़ार उसे मिले, ताकि वह अपने उत्पाद यहाँ बेच सके।
लेकिन असली सवाल यह है कि अगर अमेरिका का सामान भारतीय बाजार में उतर गया तो हमारे किसानों का क्या होगा?
किसानों पर पड़ने वाले नकारात्मक असर
1. दाम गिर जाएंगे
अमेरिकी किसान सरकार से सब्सिडी पाकर अपनी उपज बहुत कम दाम में बेच सकते हैं। अगर वही उत्पाद भारत के बाज़ार में आएगा, तो यहाँ के किसानों की फसल की कीमत अपने आप कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए – अगर अमेरिका से सस्ता मक्का, सोयाबीन या गेहूँ भारत में आने लगे, तो हमारे किसान को उसकी आधी कीमत भी नहीं मिलेगी।
2. घाटे में जाएंगे भारतीय किसान
हमारे किसान पहले ही लागत और कमाई के बीच फँसे हुए हैं। बीज, खाद, कीटनाशक और डीज़ल सब महंगा है। अगर उनकी उपज का भाव गिर गया तो वे और गहरे घाटे में चले जाएँगे।
3. आत्मनिर्भरता पर खतरा
भारत हमेशा से खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर रहा है। अगर विदेश से सस्ता अनाज आने लगा, तो धीरे-धीरे किसान खेती छोड़ने लगेंगे। इसका सीधा असर हमारी खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।
4. छोटे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित
भारत के ज्यादातर किसान छोटे और सीमांत हैं। उनके पास न तो ज्यादा ज़मीन है, न आधुनिक साधन। वे बड़े अमेरिकी किसानों से कभी प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनकी हालत और खराब होगी।

5. किसान की मानसिक स्थिति
जब मेहनत से उगाई फसल का दाम ही न मिले तो किसान का मनोबल टूटता है। यही कारण है कि कई बार किसान कर्ज़ और घाटे से परेशान होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं। अगर बाज़ार खुला तो यह समस्या और बढ़ सकती है।
क्यों यह भारतीय किसानों के लिए संकट है?
अमेरिका का मकसद साफ़ है – वह भारत को अपने कृषि उत्पादों का बड़ा बाज़ार बनाना चाहता है। लेकिन भारतीय किसान न तो इतनी सब्सिडी पाते हैं और न ही उनके पास उतनी तकनीक है।
हमारे किसानों की लागत अधिक है, लेकिन दाम कम मिलेंगे। अमेरिका का सस्ता माल यहाँ बिकेगा और हमारी उपज की कोई खरीदी नहीं होगी। धीरे-धीरे किसान खेती छोड़ देंगे और देश आयात पर निर्भर हो जाएगा।
किसानों की हालत कैसे बचाई जा सकती है?
अगर सच में बाजार खुलता है, तो सरकार और समाज दोनों को कदम उठाने होंगे।
1. किसानों को सुरक्षा – सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी होंगी जिससे विदेशी उत्पाद पर टैक्स या टैरिफ लगे और भारतीय किसान सुरक्षित रहें।
2. सपोर्ट प्राइस – न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मजबूत करना होगा ताकि किसानों को उनकी फसल का निश्चित दाम मिले।
3. आधुनिक खेती – किसानों को नई तकनीक, बेहतर बीज और खेती के साधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि उनकी लागत घटे और पैदावार बढ़े।
4. स्थानीय ब्रांडिंग – हमारे किसान अगर अपने उत्पाद को ब्रांड बनाकर बेचेंगे तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा, जैसे बासमती चावल, हल्दी, आम आदि।

निष्कर्ष
अगर अमेरिका ने भारत में अपना बाज़ार पूरी तरह खोल दिया तो सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय किसानों को होगा। उनकी फसल का भाव गिर जाएगा, खेती घाटे का सौदा बन जाएगी और किसान परेशान हो जाएंगे। छोटे किसान तो इस प्रतिस्पर्धा में टिक ही नहीं पाएंगे। इसलिए ज़रूरी है कि सरकार और नीतिनिर्माता अमेरिकी दबाव के आगे न झुकें और किसानों के हित में मजबूत फैसले लें। वरना यह खुला बाज़ार भारत के लिए अवसर नहीं, बल्कि किसानों के लिए संकट बन जाएगा। ऐसी अमेजिंग जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट कर के जरूर बताइये ।। जय हिन्द जय भारत ।।
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