सबसे खुशहाल किसान किस देश में हैं? और भारत किस नंबर पर है?

14 Sep 2025 | NA
सबसे खुशहाल किसान किस देश में हैं? और भारत किस नंबर पर है?

"किसान खुश रहेगा, तभी देश आगे बढ़ेगा" – ये बात सिर्फ कहने की नहीं, समझने की है। आज जब पूरी दुनिया जलवायु संकट, बढ़ती आबादी और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों से जूझ रही है, तब ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि किस देश के किसान सबसे ज़्यादा संतुष्ट और खुश हैं। क्या भारत के किसान भी उन देशों के किसानों जैसे जीवन जी पा रहे हैं?

आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब, आसान भाषा में।

कौन-से देश हैं जहाँ किसान सबसे खुश हैं?

दुनिया में कुछ देश ऐसे हैं जहां खेती एक “सम्मानित पेशा” मानी जाती है। सरकारें अपने किसानों की न सिर्फ आर्थिक मदद करती हैं, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और आरामदायक जीवन भी देती हैं। इन देशों में किसान न तो कर्ज़ के बोझ से दबे होते हैं, न ही उन्हें मंडी में फसल बेचते वक्त धोखा झेलना पड़ता है।

Netherlands has the happiest farmers

टॉप 3 देश जहां किसान सबसे ज़्यादा खुश माने जाते हैं:

1. नीदरलैंड (Netherlands): छोटा देश है, लेकिन खेती में टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल करता है। किसान यहां कम जमीन में ज्यादा उत्पादन करते हैं, और उन्हें फसल का बढ़िया दाम भी मिलता है। खेतों में रोबोट, सेंसर्स, और ग्रीनहाउस फार्मिंग आम बात है।

2. डेनमार्क (Denmark): यहां किसान समाज में बहुत सम्मानित माने जाते हैं। खेती में आधुनिक मशीनों और सरकारी योजनाओं का अच्छा उपयोग होता है। हेल्थ, एजुकेशन और मार्केटिंग – हर चीज़ में सरकार किसानों का साथ देती है।

3. न्यूजीलैंड (New Zealand):  दूध, मांस और ऊन के लिए मशहूर। यहां का किसान पूरी तरह से प्रोफेशनल होता है और अपने काम से खुश रहता है। एक्सपोर्ट से अच्छी कमाई और सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है।

इन देशों में किसान सिर्फ खेतों में काम करने वाले नहीं हैं, बल्कि वे बिज़नेस मैन की तरह काम करते हैं। उन्हें किसी बात की चिंता नहीं करनी पड़ती – न मौसम की, न मंडी की, न कर्ज़ की।

Denmark has the happiest farmers


अब बात करते हैं भारत की – क्या यहां किसान खुश हैं?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा कृषि प्रधान देश है, लेकिन अफसोस कि यहां के किसान ज़्यादातर परेशान रहते हैं। 2025 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के अनुसार भारत 118वें नंबर पर है। यानी कि हमसे बेहतर हालत उन देशों की है जहां खेती का रकबा बहुत ही कम है।

भारत के किसानों की मुख्य परेशानियाँ:

1. कर्ज़ और महंगी खेती:  बीज, खाद, कीटनाशक सब महंगे हो गए हैं। आमदनी उतनी नहीं बढ़ी जितना खर्चा। कई किसान कर्ज़ के बोझ से परेशान होकर आत्महत्या तक कर लेते हैं।

2. मंडी में सही दाम नहीं: मेहनत से उपजाई गई फसल को जब मंडी में औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता है, तो दिल टूट जाता है।

3. सिंचाई और मौसम पर निर्भरता:  आज भी देश के 50% किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं। बिन मौसम बारिश, सूखा, ओलावृष्टि – इनका सीधा असर किसानों पर पड़ता है।

4. सरकारी योजनाओं का लाभ सब तक नहीं पहुंचता : PM-KISAN, फसल बीमा, MSP – ये सब योजनाएं तो हैं, लेकिन ज़मीन पर इनके लाभ सीमित लोगों तक पहुंचते हैं।

तो क्या भारत के किसान बिल्कुल भी खुश नहीं हैं?

ऐसा नहीं है। कुछ किसान, जो तकनीक से खेती कर रहे हैं, जैविक खेती अपना रहे हैं, या मल्टीक्रॉपिंग कर रहे हैं – वो अच्छा कमा भी रहे हैं और संतुष्ट भी हैं।

जैसे: हरियाणा के संदीप नरवाल – जो नींबू, अंजीर और बेर एक साथ उगाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं। यूपी के रामसरण वर्मा – जिन्हें पद्मश्री मिला, क्योंकि उन्होंने वैज्ञानिक खेती अपनाई और गांव में ही मॉडल फार्म बना दिया।

तो साफ है कि भारत में भी जो किसान नया सोच रहे हैं, तकनीक को अपना रहे हैं, वो खुशहाल हैं। लेकिन उनकी संख्या अभी बहुत कम है।

Minimum Support Price for farmers

 क्या किया जाए ताकि भारत के किसान भी दुनिया के सबसे खुश किसान बनें?

1. हर किसान तक योजनाओं का लाभ पहुंचे - PM-KISAN, बीमा, सब्सिडी – सब का फायदा हर गांव के किसान को मिलना चाहिए।

2. तकनीक को गांव तक पहुंचाना - ड्रिप इरिगेशन, मौसम की जानकारी, मोबाइल ऐप – इन सबका सही उपयोग किसानों को सिखाना होगा।

3. प्रशिक्षण और जागरूकता - खेती को बिजनेस की तरह सिखाना होगा। किसानों को बाजार, पैकेजिंग, ब्रांडिंग जैसी बातों की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

4. स्थिर आय की गारंटी - MSP (Minimum Support Price for farmers in india) को कानूनी रूप देना और खेती को घाटे का सौदा बनने से रोकना ज़रूरी है।

5. मानसिक स्वास्थ्य और सम्मान - किसानों को सिर्फ मुआवज़ा नहीं, इज्ज़त और समर्थन भी मिलना चाहिए। गांव में काउंसलिंग और किसान क्लब जैसी चीजें शुरू करनी होंगी।

निष्कर्ष – भविष्य कैसा हो सकता है?

भारत में 60% से ज्यादा आबादी खेती से जुड़ी है। अगर इन लोगों को हम खुश नहीं रख पाए, तो देश की खुशहाली अधूरी रह जाएगी। हमें डेनमार्क या नीदरलैंड नहीं बनना, लेकिन हमें भारत को ऐसा बनाना है जहां किसान आत्महत्या नहीं करता, कर्ज़ के बोझ से नहीं दबता, और अपनी मेहनत का पूरा फल पाता है। अगर देश का अन्नदाता मुस्कुरा रहा है, तो समझो देश की जड़ें मजबूत हैं। अब वक्त है किसानों को सिर्फ योजनाओं के नाम से नहीं, असल बदलाव से जोड़ने का। ऐसी जानकारी के लिए जुड़े रहे Hello Kisaan के साथ और ये जानकारी कैसे लगी कमेंट करके जरूर बताइये ।। जय हिंदी जय भारत ।।

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