अब कम पानी में भी होगी धान की खेती


धान की खेती में सबसे अधिक पानी की जरूरत होती है, लेकिन धान की दूसरी कई ऐसी विधिया हैं, जिनसे खेती करने पर पानी भी कम लगता है और उत्पादन भी मिलता है। धान की खेती की ऐसी ही एरोबिक विधि है, जिसमें न तो खेत में पानी भरना पड़ता है और न ही रोपाई करनी पड़ती है। इस विधि से बुवाई करने के लिए बीज को एक लाइन में बोया जाता है।
क्या है एरोबिक विधि:-
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव बताते हैं, "देश के एक बड़े भाग में धान की खेती होती है, जहां पर सिंचाई का साधन नहीं वहां पर किसान धान की अच्छी खेती कर सकते हैं। कई विधियां हैं जिनसे धान की खेती करते हैं।" वो आगे कहते हैं, "किसानों के बीज धान की एरोबिक विधि भी काफी प्रचलित हो रही है, इस विधि से बुवाई करने में खेत भी तैयार नहीं करना होता है और पलेवा भी नहीं करना होता है। इसमें दूसरी विधियों के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत तक पानी की बचत हो जाती है। क्योंकि दूसरी विधि में पहले तो नर्सरी में ज्यादा पानी लगता है उसके बाद जब नर्सरी तैयार हो जाती है तो रोपाई के समय भी पानी भरना पड़ता है, जबकि इस विधि में कम पानी लगता है।"
एरोबिक धान लगाने के लिए किसान को खेत तैयार करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती। किसान को खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि रोपाई के समय सबसे ज्यादा पानी लगता है जो इस विधि में बच जाता है। एक एकड़ में धान की बुवाई के लिए 6 किलो बीज की जरूरत होती है। इसे सूखी जमीन पर भी लगाया जा सकता है। यह खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयुक्त माना जाता है। एरोबिक धान की फसल को 115 से 120 दिन के अंदर उत्पादन किया जा सकता है।
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