अब गेहूँ की इस किस्म पर नहीं पड़ेगा गर्मी का कोई असर

20 Jan 2021 | others
अब गेहूँ की इस किस्म पर नहीं पड़ेगा गर्मी का कोई असर

गेहूं (Wheat) दुनिया की एक तिहाई आबादी की भोजन की जरूरतों को पूरा करने वाला अनाज है। इसकी पैदावार और गुणवत्ता गर्म मौसम के कारण बुरी तरह से प्रभावित होती है। लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा। मूलत: सर्दी की फसल मानी जाने वाली गेहूं आने वाले समय में गर्मी के मौसम में भी बंपर पैदावार देगी।

जी हां! हमें जल्दी ही गेहूं की ऐसी किस्म मिल जाएगी जिस की पैदावार गर्म मौसम में भी प्रभावित नहीं होगी। इन चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक वैज्ञानिक डॉ विजय गहलोत गेहूं की ऐसी ही किस्म विकसित करने में जुटे हैं। गेहूं की यह किस्म गर्म मौसम में भी अच्छी पैदावार देगी।

ऐसे हो रही है किस्म तैयार-

पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायो रिसोर्सेज टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ विजय अनुवांशिक रूप से संवर्धित गेहूं की ऐसी किस्म की संभावनाएं तलाश रहे हैं जो गर्म मौसम को सह सके लेकिन उसके डीएनए क्रम में कोई मूल बदलाव ना हो।

इसके लिए वह गर्मी सह सकने वाली गेहूं की किस्म में दाने आने के विभिन्न चरणों के दौरान डीएनए मिथाइलेशन की भूमिका का अध्ययन करेंगे। मिथाईलेशन प्रक्रिया दरअसल एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें मिथाइल समूहों को डीएनए के अणुओं के साथ जोड़ा जाता है।

रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुई है स्टडी

डॉ विजय ने इसके लिए एपीजेनामिक मैपिंग प्रकिया अपनाने का प्रस्ताव दिया है। यह प्राकृतिक रूप से होने वाले एपीजेनेटिक बदलाव को पहचानने में मदद करेगी। एपीजेनामिक रिसर्च जर्नल में हाल में प्रकाशित उनके एक अध्ययन में इस बारे में बताया गया है कि किस तरह से गर्म मौसम में गेहूं के सी5 एमटेस जीन में बदलाव देखने को मिलता है।

मिथाइलेशन प्रक्रिया के जरिए गेहूं के एक समान जीनों को परिवर्तित रूप में इस्तेमाल करने के उनके अध्ययन से गेहूं की ऐसी किस्म विकसित करने में मदद मिलेगी जो गर्म जलवायु में भी अच्छी पैदावार दे सकेगी।

गेहूं के लिए अनुकूल नहीं होता गर्मी का मौसम

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की फसल के लिए गर्मी का मौसम अनुकूल नहीं होता है। तापमान बढ़ने पर समय से पहले फूल आने लगते हैं और इसका प्रभाव पैदावार पर पड़ता है। कई बार तो एक चौथाई से भी कम उत्पादन होता है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक, गेहूं के लिए न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, जबकि अधिकतम तापमान 18-22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। हालांकि भौगोलिक स्थिति भी मायने रखती है। तापमान में उतार-चढ़ाव से पैदावार पर असर पड़ता है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट

कुछ साल पहले आई स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक सर्वे बताती है कि गेहूं की फसल पर गर्मी के मौसम का व्यापक असर पड़ता है। नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक गेहूं जल्दी पकने लगेगा तो 20 प्रतिशत कम वक्त ही लगता है और फसल अच्छी नहीं होती।

इस मुद्दे पर रिसर्च करने के लिए डेविड लोबेल और उनके साथियों ने लगभग नौ साल तक गेहूं की फसलों की सैटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया था। उन्होंने 34 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर उग रहे गेहूं की तस्वीरें ली थी और इस नतीजे पर पहुंचे थे।

भविष्य के लिए सावधान कर चुका है UN

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि पूरी दुनिया में बढ़ते तापमान का असर होने वाला है और फसलें भी इससे अछूती नहीं रह सकेंगी। दुनिया भर में मक्का के बाद गेहूं सबसे ज्यादा उगाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि विभाग बहुत पहले चेता चुका है कि अगर 2050 में दुनिया की आबादी को खाना खिलाना है, तो मौजूदा वक्त से 70 फीसदी ज्यादा फसल उगानी होगी। ऐसी चेतावनी के बीच डॉ विजय द्वारा विकसित की जा रही गेहूं की किस्म राहत लेकर आएगी।

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