इस इंजीनियर के बनाये बर्तन से हो रहा लाखों का बिज़नेस

23 Sep 2022 | others
इस इंजीनियर के बनाये बर्तन से हो रहा लाखों का बिज़नेस

प्लास्टिक की बोतल और नॉन स्टिक बर्तनों से होते नुक़सान को जानने के बाद बाज़ार में मिट्टी के बने बर्तन, कुकवेयर और बोतल जैसी चीज़ें काफ़ी बिकने लगी हैं। हम सभी इसे अपनी सेहत के लिए फ़ायदेमंद मानकर खरीदते हैं, और इस्तेमाल भी करते हैं। लेकिन जब आपको पता चले कि ये मिट्टी के बर्तन आपके नार्मल प्रोडक्ट्स से भी ज़्यादा ख़तरनाक हैं तो?

जी हाँ, बाज़ार में मिट्टी के बर्तनों की मांग जितनी बढ़ती जा रही है, इसे बनाने का बिज़नेस भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रहा है। लेकिन देश की ज़्यादातर जगहों में बन रहे मिट्टी के इन बर्तनों को कोई कुम्हार नहीं, बल्कि मशीन तैयार कर रही है।  

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डाई मोल्ड और केमिकल कोटिंग के साथ काफ़ी फैंसी मिट्टी के बर्तन तैयार किए जाते हैं। मिट्टी के बर्तनों की इसी सच्चाई को जानने के बाद, झज्जर (हरियाणा) के डावला गाँव के रहनेवाले नीरज शर्मा को ‘मिट्टी, आप और मैं’ नाम से अपना बिज़नेस शुरू करने की प्रेरणा मिली।  

नीरज वैसे तो एक इंजीनियर हैं, लेकिन पिछले दो सालों से वह अपने गाँव में रहकर ही काम कर रहे हैं। वह केमिकल और डाई मोल्ड के बिना, पारम्परिक चाक में बर्तन तैयार करते हैं और इसे ऑनलाइन देशभर में बेच रहे हैं। अपने गाँव के दो कुम्हारों के साथ उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी। आज उनके साथ आठ से ज़्यादा कुम्हार काम कर रहे हैं। 

छोड़ दी शहर की नौकरी:

नीरज के पिता बिजली विभाग में काम करते थे और साथ ही उनकी पुश्तैनी खेती भी थी। नीरज का पूरा बचपन गाँव में ही बीता है। बाद में उन्होंने साल 2016 में रोहतक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और नौकरी करने के लिए गुड़गांव चले गए।

नीरज कहते हैं, “मुझे शहर में कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्क़तें होती थीं। सिर्फ़ एक साल शहर में रहकर ही मैंने मन बना लिया था कि मुझे गाँव वापस जाकर अपना कुछ काम करना है।”

हालांकि, उनके परिवारवालों को उनका यह फैसला ग़लत लग रहा था। इसलिए नीरज ने घर पर रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी करना शुरू कर दिया।  

वह गाँव में किसी बिज़नेस की तलाश में भी थे। उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके घर में जिन मिट्टी के बर्तनों में खाना बन रहा है,  एक दिन वह उसी का बिज़नेस करेंगे। 

बिजनेस आइडिया:

अभिनव बताते हैं कि पहले से हमारा इस तरह का कोई बिजनेस प्लान नहीं था। हमें कॉलेज में ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने का प्रोजेक्ट वर्क मिला था। तब ज्यादातर स्टूडेंट्स मार्केट में उपलब्ध प्रोडक्ट्स को लेकर ही प्लेटफॉर्म डेवलप कर रहे थे, लेकिन मैंने कुछ नया करने का सोचा। चूंकि मैंने बचपन से ही मिट्टी से बर्तन तैयार करने वाले कारीगरों की परेशानियों को देखा था। इसलिए हमने तय किया कि उनके प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए हम एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डेवलप करेंगे।

साल 2020 में अभिनव और मेघा ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले राजस्थान के स्थानीय कारीगरों से मिलना शुरू किया। उनके काम और उनकी दिक्कतों को समझा। रिसर्च के बाद वे अपने प्लेटफॉर्म पर उनके प्रोडक्ट लिस्ट करने लगे।

अभिनव कहते हैं कि कॉलेज में हमारे प्रोजेक्ट की तारीफ की गई। हमारे रिलेटिव्स ने भी हमारे आइडिया को सपोर्ट किया। तब हमें रियलाइज हुआ कि इस प्रोजेक्ट वर्क को स्टार्टअप के रूप में तब्दील किया जा सकता है।

गाँव के कुम्हारों को दिया रोज़गार:

उन्होंने दो कुम्हारों की मदद से अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन बेचना शुरू किया। देखने में भले ही उनके ये बर्तन ज़्यादा रंगीन और चमकीले नहीं थे लेकिन गुणवत्ता में सबसे अच्छे थे। वह बताते हैं कि जैसे ही लोगों को पता चला कि यहाँ केमिकल के बिना सिर्फ़ मिट्टी से बनी चीज़ें बन रही हैं, कई लोग उनका काम देखने आने लगे।  

नीरज ने अपने प्रोडक्ट्स की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए फेसबुक और यूट्यूब का सहारा लिया।  

उन्होंने बताया, “पहले मैंने Amazon पर अपने प्रोडक्ट्स बेचना शुरू किया था लेकिन वहाँ मुझे ज़्यादा सफलता नहीं मिली। ज़्यादातर लोग चमकदार बर्तन ही ख़रीदते थे।”

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