इस किसान ने तैयार किया नीले केले, नारंगी कटहल के साथ 1300 अद्भुत फलों का फ़ूड फॉरेस्ट

27 Aug 2022 | others
इस किसान ने तैयार किया नीले केले, नारंगी कटहल के साथ 1300 अद्भुत फलों का फ़ूड फॉरेस्ट

कर्नाटक के किसान राजेंद्र हिंदुमाने का खेत 1,300 प्रकार के फलों के पौधों, मसालों, मेडिकल जड़ी-बूटियों और कई दुर्लभ जंगली पौधों से भरा हुआ है।

वियतनाम से Gac, ब्राजील से Jaboticaba और Biriba, मलेशिया से Cempedak, इंडोनेशिया से Blue Java केला; ये कुछ विदेशी फलों के नाम हैं, जो राजेंद्र हिंदुमाने के हरे-भरे खेत में देखे जा सकते हैं।

लेकिन अगर आप इनके खेतों में उगने वाले पेड़-पौधों की गिनती करना शुरू करेंगे, तो यह संख्या करीब 1300 तक पहुंच जाएगी। इस फूड फॉरेस्ट में उगाए जाने वाले विभिन्न पौधों में फल, मसाले, औषधीय जड़ी-बूटियाँ और कुछ दुर्लभ जंगली पौधे शामिल हैं। लंबे सुपारी के ताड़ से घिरा यह खेत कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र में स्थित है।

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दरअसल, सुपारी और आम उगाने वाले 55 वर्षीय किसान, राजेंद्र की करीब 20 साल पहले इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, सत्यनारायण भट से मुलाकात हुई थी। तब से ही उन्हें दुर्लभ और विदेशी फलों को इकट्ठा करने का शौक़ हुआ। उनके साथी किसान अनिल बलंजा और प्लांट कलेक्टर मज्जिगेसरा सुब्रमण्या ने उन्हें इस काम के लिए काफ़ी प्रोत्साहित किया और अब उनके पास फलों और औषधीय पौधों का बेहतरीन संग्रह है, जिनमें से ज़्यादातर के बारे में शायद आपने सुना भी न हो।

कॉमर्स ग्रेजुएट राजेंद्र कहते हैं, “सुपारी, आम का अचार, लौंग और इलायची जैसे मसाले, कटहल के चिप्स आदि की बिक्री ने वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, ब्राजील, थाईलैंड, जापान, हवाई जैसी जगहों से आने वाले विदेशी फलों को उगाने के मेरे जुनून को बढ़ावा दिया।”

राजेंद्र कहते हैं कि यह एक बहुत महंगा जुनून है। ब्राजील से ब्लूबेरी के एक पौधे के लिए उन्हें 6,000 रुपये खर्च करने पड़े।

कई बार पौधे हुए खराब, लेकिन नहीं मानी हार:

राजेंद्र ने बताया कि नए आए अंकुर या बीज को पॉलीहाउस में रखा जाता हैं और खुले मैदान में लगाए जाने से पहले कई महीनों या कुछ मौसमों तक इसकी निगरानी की जाती है। उन्होंने कहा, “कई बार बेहतर प्रयासों के बावजूद पौधे मर गए, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और इससे जुड़ी और अधिक जानकारी इकट्ठी की, खेती से जुड़े कई गुण सीखे और उनका इस्तेमाल इन पौधों को उगाने में किया।”

राजेंद्र की जुड़वा बेटियों मेघा और गगन को भी विदेशी फलों को इकट्ठा करने में दिलचस्पी अपने पिता से विरासत में मिली है। राजेंद्र की दोनों बेटियां सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

दोनों ने अपने फूड फॉरेस्ट में उगाए जाने वाले पौधे और फलने के मौसम, उनके औषधीय गुणों, विशिष्टताओं आदि से जुड़ी जानकारियों के साथ एक डेटाबेस तैयार किया है।

स्थानीय रूप से ‘हलेगे हन्नू’ के नाम से जाने जाने वाली बेल को दिखाते हुए 25 वर्षीया मेघा कहती हैं, “इसका बॉटेनिकल नाम एलायग्नस कॉन्फर्टा है। इसका फल पकने पर नारंगी हो जाता है और स्वाद कुछ एसिटिक होता है।

इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं और इसका इस्तेमाल फेफड़े संबंधी शिकायतों के उपचार के लिए किया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है।”

आम की इस किस्म से बनाते हैं 150 किलो अचार:

राजेंद्र को मलेनाडु क्षेत्र के आम के अचार की एक ख़ास किस्म, अप्पेमिडी के संग्रह पर काफ़ी गर्व है। उनके पास अप्पेमिडी की 60 किस्में हैं और परिवार लगभग 150 किलो अचार बनाता है। वह बताते हैं, “दूसरों के विपरीत, यहाँ पूरे फल का अचार बनाया जाता है, जिसकी शेल्फ लाइफ छह साल है।”

राजेंद्र के अनुसार, जून से अगस्त के बीच के महीनों में, जब बारिश होती है, तो नेमाटोड और फंगस जैसी समस्याएं पौधों को प्रभावित करती हैं और जब फल पक जाते हैं, तो तने में छेद करने वाले कीड़ों के अलावा, मक्खियों का भी ज़ोखिम रहता है।

उनके खेत में, आप बनाना शुगरकेन (केला गन्ना) देख सकते हैं। यह एक लंबा बारहमासी पौधा है, जिसमें कई तने होते हैं और इसकी उपज अन्य उपलब्ध किस्मों की तुलना में लगभग तिगुनी होती है। इसके अलावा, खेत में पॉपोलु केला भी उगाया जाता है। यह मूलत: प्रशांत क्षेत्र (Pacific region) में पॉलिनेशियन द्वीपों का फल है।

यहां उडुरु बक्के किस्म का कटहल भी होता है, इसके फल एक बार पकने के बाद शाखाओं से अपने आप गिर जाते हैं। यहां अनंगी (ओरोक्सिलम इंडिकम) भी होता है, जिसके बड़े पत्ते के डंठल मुरझा जाते हैं और पेड़ से गिरकर, तने के पास इकट्ठा हो जाते हैं, जो टूटे हुए अंगों की हड्डियों के ढेर की तरह दिखाई देते हैं। इसकी पत्तियां, बीज और फल तीनों हा खाने योग्य होते हैं। इनका इस्तेमाल पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है।

खेत की देखभाल करना नहीं था आसान काम:

फूड फॉरेस्ट और हर्ब गार्डन कहे जाने वाले इस खेत में विविधता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यहां कई किस्मों के पेड़ हैं, जिनमें- आम (65), केला (40) शरीफा (30), कटहल (150), काजू, चीकू (20), चेरी (20), रामबूटन (15), एवोकैडो (18), सेब (23), अनानास (4), कॉफ़ी (4), बांस (20), जायफल (5), कुछ अमरूद के पौधे आदि शामिल हैं।

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