इस तकनीक से बनेगी अब बंजर जमीन भी उपजाऊ

07 Jan 2021 | others
इस तकनीक से बनेगी अब बंजर जमीन भी उपजाऊ

क्या है नैनोक्ले तकनीक?

इस तकनीक का विकास नॉर्वे की कंपनी डेज़र्ट कंट्रोल द्नारा किया गया है। इसके मुख्य कार्यकारी ओले सिवर्त्सेन का कहना है कि यह वैसा ही है, जैसा आप अपने बगीचे में देख सकते हैं। किसान हजारों साल से कीचड़ का इस्तेमाल करके पैदावार बढ़ा रहे हैं, लेकिन भारी, मोटी मिट्टी के साथ काम करना ऐतिहासिक रूप से बहुत श्रम-साध्य रहा है। इससे भूमिगत पारिस्थिति को काफी नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि हल जोतने, खुदाई करने और मिट्टी पलटने से भी पर्यावरण को नुकसान होता है।

ऐसे काम करती है नैनो क्ले तकनीक 

इस तकनीक में फफूंद मिट्टी के खनिज कणों से जुड़ते हैं, साथ ही वह मृदा संरचना बनाए रखते हैं और क्षरण सीमित करते हैं। जब मिट्टी खोदने से संरचनाएं टूट जाती हैं और उन्हें दोबारा तैयार होने में समय लगता है, तब तक मिट्टी को नुकसान पहुंचने और पोषक तत्व ख़त्म होने की आशंका रहती है। इसके अलावा रेत में कच्ची मिट्टी का घोल कम मिलाएं, तो उसका प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन अगर इसे अधिक मिला दें, तो मिट्टी सतह पर जम सकती है। परीक्षण के बाद एक सही मिश्रण तैयार किया गया, जिसे रेत में मिलाने से जीवन देने वाली मिट्टी में बदल जाती है। उनका कहना है कि हर जगह एक ही फॉर्मूला नहीं चलता। हमें चीन, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान में 10 साल के परीक्षण ने सिखाया है कि हर मिट्टी की जांच कराना ज़रूरी है, ताकि सही नैनो क्ले का नुस्खा आजमा जा सके।

मिट्टी के घोल का संतुलन 

नैनो क्ले रिसर्च द्वारा एक ऐसा संतुलित तरल फॉर्मूला तैयार किया गया है, जिससे स्थानीय मिट्टी के बारीक कणों में रिसकर पहुंच सके। मगर वह इतनी तेज़ी से न बह जाए, कि पूरी तरह खो जाए। इसका उद्देश्य पौधों की जड़ से 10 से 20 सेंटीमीटर नीचे की मिट्टी तक पहुंचना होता है। खास बात है कि इस तकनीक की मदद से करीब 47 प्रतिशत तक पानी की बचत हो पाएगी।


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