इस 10वीं पास इलेक्ट्रीशियन बनाया कई सुविधाओं वाला हॉस्पिटल बेड

25 Sep 2022 | others
इस 10वीं पास इलेक्ट्रीशियन बनाया कई सुविधाओं वाला हॉस्पिटल बेड

ऐसा ही एक मल्टीपर्पस बेड कोमा या एमर्जेन्सी के मरीज़ों के लिए तैयार किया गया है। यह बेड कई तरह की सुविधा से लैस है, इसमें पानी का कनेक्शन है और वॉश बेसिन और कमोड जैसी सुविधाएं भी हैं। मरीज़  इसमें आराम से बैठ भी सकता है, और सो भी सकता है।

यह आविष्कार आम आदमी के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है। 

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देश भले ही चाँद तक पहुँच जाए या बड़े से बड़ा रॉकेट बना ले। लेकिन जब तक सुविधाएं आम आदमी तक नहीं पहुँचतीं, तब तक किसी देश का विकास और प्रगति मुमकिन नहीं है। आम आदमी के जीवन को आसान बनाने का बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं,  तेलंगाना के 59 वर्षीय प्रभाकर अल्लादि। 

उन्होंने अपनी सूझ-बूझ का इस्तेमाल करके इस बेहतरीन मल्टीपर्पस बेड को तैयार किया है। प्रभाकर कोई बड़े इंजीनियर या साइंटिस्ट नहीं हैं, बल्कि वह एक 10वीं पास इलेक्ट्रीशियन हैं। लेकिन उन्होंने एक नहीं,  लगभग 20 ऐसे आविष्कार किए हैं,  जो आम लोगों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद हैं। 

मेटपल्ली (तेलंगाना) के रहने वाले प्रभाकर कहते हैं, “अभी भी मेरे दिमाग में 100 से ज़्यादा आईडियाज़ भरे हुए हैं। आम आदमी की मदद के लिए मैं और कई तरह की मशीनें बनाना चाहता हूँ।” 

वह ‘प्रभात इंडस्ट्रीज़’ नाम से एक कंपनी चलाते हैं और यहीं पर मशीन बनाने का काम भी कर रहे हैं। 

12 साल की उम्र से शुरू किया काम:

प्रभाकर एसी से लेकर जनरेटर तक, हर तरह के इलेक्ट्रिक उपकरण बनाने में माहिर हैं। उन्होंने यह हुनर अपने पिता से सीखा था। जब वह मात्र 12 साल के थे तब से वह अपने पिता के साथ काम पर जाया करते थे। वह बताते हैं, “मुझे यह काम बचपन से काफ़ी दिलचस्प लगता था। 10वीं पास करने के बाद मैंने खुद भी इलेक्ट्रीशियन की तरह काम करना शुरू कर दिया था।”

उस दौरान वह चित्तपुर में रहते थे लेकिन फिर मेटपल्ली आकर एक इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम करने लगे। यहाँ वह एक सिनेमा हॉल में भी काम किया करते थे।

उनके आविष्कार की शुरुआत भी इसी सिनेमा हॉल से हुई। साल 1986 में उन्होंने, एक ऑटोमैटिक जनरेटर स्टार्टर बनाया था। यह स्टार्टर बिजली जाने पर खुद ही जनरेटर को शुरू कर देता था।

प्रभाकर बताते हैं, “उस ज़माने में बिजली की समस्या एक आम बात थी। थिएटर में बिजली जाने पर शो रुक जाता था और जब तक कोई जनरेटर चालू न करे,  सभी को इंतज़ार करना पड़ता था। एक इंसान को तो बस जनरेटर चालू करने के लिए काम पर रखा जाता था।”

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