एक ऐसा कैफे जहाँ मिलते हैं भाऺग से बने स्नैक्स और आइसक्रीम !


पिछले साल FSSAI ने भारत में हेम्प यानी भांग के बीज और इससे बने तेल और आटे जैसी चीजों के उपयोग को पूर्ण रूप से मान्यता दे दी है, जिसके साथ ही देश भर में इसकी खेती और फ़ूड इंडस्ट्री में हेम्प सीड के उपयोग को भी काफी बढ़ावा मिला है।
दो दोस्तों को भी इसके साथ एक नया और सस्टेनेबल बिज़नेस करने का रास्ता मिल गया और उन्होंने एक ऐसे कैफे की शुरुआत की जहाँ भाऺग से बनाए जाते हैं स्नैक्स और आइसक्रीम।
केरल, कोड़िकोड के दो दोस्त मिधुन और डॉ. सुभाशीष दामोदर, एक सस्टेनेबल जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। सालों से वे पर्यावरण के अनुकूल बिज़नेस करने के लिए रिसर्च कर रहे थे और हाल में वे भांग के बीज से मिल्कशेक (Milkshake) बना रहे हैं। पढ़े उनके इस अनोखे कैफ़े के बारे में।

हालांकि वे काफी समय से भांग के बीज के फायदों पर रिसर्च कर रहे थे। वे पहले से ही हेम्प फाइबर से जुड़ा एक बिज़नेस चला रहे थे। लेकिन मिधुन को जैसे ही पता चला कि हेम्प (hemp) सीड को भी इस्तेमाल किया जा सकता है, उन्होंने इस पर ज्यादा रिसर्च करना शुरू कर दिया और आखिरकार उन्होंने हेम्प के बीजों से हेल्दी और प्लांट बेस दूध तैयार किया। बता देऺ की भाऺग को ही हिन्दी में हेम्प (hemp) कहा जाता है।
ये कैफ़े का नाम है:
हेम्प स्टेशन! यहाँ मिलते हैं भाऺग से बने स्नैक्स और आइसक्रीम।
हाल में वे दोनों कोड़िकोड (केरल) में ‘हेम्प स्टेशन’ नाम से एक कैफ़े चला रहे हैं। मिधुन बताते हैं, “लोगों के अंदर इस नाम से ही कई गलतफहमियां जुड़ी हुई हैं। हमें लोगों को समझाना पड़ता है कि असल में यह प्लांट बेस्ड दूध, किसी भी दूसरे दूध से कहीं ज्यादा हेल्दी है।”
ऐसे मिली हेम्प कैफे की प्रेरणा:
मूल रूप से त्रिवेंद्रम के रहनेवाले मिधुन पेशे से एक शेफ हैं। वह देश के कई शहरों में काम कर चुके हैं। जबकि उनके मित्र सुभाशीष एक होमियोपैथिक डॉक्टर हैं। अपने कुछ दोस्तों के कारण सालों पहले वे एक-दूसरे से मिले थे। उस समय से ही अपनी सस्टेनेबल जीवन शैली की सोच के कारण उन्होंने मिलकर काम करने का फैसला किया।
मिधुन कहते हैं, “हेम्प एक ऐसी फसल है, जो हमारे देश की कई समस्याओं का समाधान बन सकती है। फिर चाहे वह कृषि के क्षेत्र में हो या कुपोषण को कम करना हो। इसका एक पौधा कई तरह से हमारे लिए फायदेमंद है।
जिस तरह से ज़मीन का जल स्तर कम हो रहा है, ऐसे में हमें ऐसी फसलों पर ज़ोर देना चाहिए, जिसे कम पानी का उपयोग करके भी उगाया जा सके। हेम्प की बात करें, तो इसकी खेती में सामान्य गेंहू या चावल से 20 प्रतिशत कम पानी की खपत होती है।”
इतना ही नहीं इसके रेशे से बना हेम्प फाइबर भी प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प बन सकता है। मिधुन ने सालों पहले एक आर्टिकल में पढ़ा था कि अमेरिका के मशहूर कार निर्माता कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने 1940 में एक ऐसी कार बनाई थी, जो 80 प्रतिशत तक हेम्प फाइबर से बनी थी और उसे चलाने के लिए भी वह हेम्प ईंधन का उपयोग ही करते थे, जिसके बाद उनकी रुचि हेम्प के प्रति काफी बढ़ गई।
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