एक करोड़ का कचरा बेच अमीर बन गई है यह औरत

01 Aug 2022 | others
एक करोड़ का कचरा बेच अमीर बन गई है यह औरत

लिफ़ाफ़ा की संस्थापक कनिका आहूजा कम उम्र में एक लैंडफिल पर जाने की अपनी यात्रा को याद करती हैं और कहती हैं वे उस पर चढ़ना चाहती थीं, जिसे उन्होंने एक छोटी सी पहाड़ी मान लिया था। उन्होंने उस क्षेत्र के और भी बहुत से बच्चों को वहाँ खेलते देखा। हालाँकि उन्हें ऐसा करने से मना किया गया था। उनसे कहा गया था कि अगर वा वहां खेलती हैं तो उन्हें चोट लग जाएगी या वे बीमार हो जाएंगी।

एक करोड़ का कचरा बेच अमीर बन गई है यह औरत_7349

लैंडफिल में बढ़ते कचरे की कल्पना को याद करते हुए कनिका ये भी याद करती हैं कि वे एक ऐसे घर में पली-बढ़ीं, जो इस बात पर बेहद सचेत रहता था कि उन्होंने कितना और क्या खाया। मगर यहीं से उनकी कामयाबी की राह निकली। आज वे करोड़ों रुपये कमा रही हैं।

पैरेंट्स ने बनाई एनजीओ:

1998 में, कनिका के माता-पिता, अनीता और शलभ आहूजा ने एनर्जी एफिशिएंसी पर केंद्रित एक एनजीओ, कंजर्व इंडिया की स्थापना की। उन्होंने अंततः प्लास्टिक के खतरे से निपटने के तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया। ये एक समस्या है जिससे दिल्ली तब और अब भी जूझ रही है। उनके माता-पिता इस एनजीओ को चलाने में व्यस्त थे, मगर वे कनिका के इस काम में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे।

कहां से की पढ़ाई:

उनके पिता खास कर नहीं चाहते थे कि कनिका इस कार्य में शामिल हों। इसलिए, उन्होंने कर्नाटक के मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर एसआरसीसी, दिल्ली से एमबीए किया।

एक करोड़ का कचरा बेच अमीर बन गई है यह औरत_7349

2015 तक वे एक मार्केट रिसर्च फर्म में शामिल हो गयीं। उस फर्म में कम के दौरान वे स्विच करना चाहती थीं और डेवलपमेंट सेक्टर का हिस्सा बनना चाहती थीं। इस तरह 2016 में वह अपने माता-पिता द्वारा स्थापित एनजीओ में शामिल हो गईं।

2017 में बनाया अपना ब्रांड:

एक रिपोर्ट के अनुसार एक समय ऐसा भी आया जब कंजर्व इंडिया जो काम कर रहा था, वह सिर्फ एक एक्सपोर्ट हाउस का था और तभी उन्होंने ब्रेक लिया और उस काम का पुनर्मूल्यांकन करने का फैसला किया जो वे कर रहे थे। इस ब्रेक के कारण 2017 में लिफ़ाफ़ा की शुरुआत हुई, जो एक ऐसा ब्रांड है जो भारत, अमेरिका और यूरोप में अपसाइकल किए गए प्लास्टिक उत्पादों का डिज़ाइन और मार्केटिंग करता है।

1 करोड़ रु टर्नओवर:

आज, लिफाफा में करीब 12 टन बेकार प्लास्टिक को सालाना वॉलेट, बैग, लैपटॉप स्लीव्स, टेबल मैट आदि में बदला जा रहा है, जो प्लास्टिक के लैंडफिल में खत्म होने से रोकता है। पिछले वित्तीय वर्ष में लिफाफा की इनकम 1 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गयी।

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About