कम निवेश पर धूपबत्तियां और अगरबत्तीयों से कमाने के शानदार अवसर


छोटी शुरुआत करते-करते ही एक दिन बड़े मुकाम पर पहुंचा जाता है। ऐसे ही बहुत कम निवेश पर यह भाई बना रहे कमाल का प्रोडक्ट जिसकी डिमांड बढ़ती ही जाती है। यह एक ऐसा उद्योग जिसको छोटी जगह में भी शुरू किया जा सकता है। आईए जानते हैं इन भाई से कैसे बनाते हैं यह विभिन्न प्रकार की धूपबत्तियां और अगरबत्तियां -

धूपबत्तियों का निर्माण:
इसमें प्रयोग होने वाले पदार्थों में सर्वप्रथम है- वुड पाउडर जो विभिन्न सुगंधित लकड़ियों का सुखा बारिक पाउडर है। इसके अलावा एक बाइंडिंग एजेंट जिसमें पहले से ही इत्र तथा वुड पाउडर को जोड़ने वाला पदार्थ मिला रहता है। वुड पाउडर और बाइंडिंग एजेंट में तेल मिलाकर एक मशीन द्वारा इसे अच्छे से मथ लिया जाता है। एक घंटा गुथने के बाद इसे कटिंग मशीन पर ले जाते है, जिसमें हाइड्रोलिक मशीन भी अटैच होती है। जिसके अंदर से इस मिक्सचर पदार्थ को निकाला जाता है और वह इसे धूपबत्ती स्टिक का रूप देता है और ये एक प्लेट में इकट्ठा हो जाता है। जिसे दूसरी मशीन से निश्चित लंबाई में काट लेते हैं। अब इन कटे हुए बंच को बटर पेपर में लपेटकर बॉक्स में रखकर पैक कर दिया जाता है।

अगरबत्तियों का निर्माण:
सबसे पहले वुड पाउडर और बाइंडिंग पाउडर को एक मशीन में डाला जाता है उसके बाद इसमें पानी मिलाकर 15 से 20 मिनट मिक्स करते है। मिक्स होने के बाद फिर इसे निकालकर एक मशीन में ले जाते हैं जिसमें पहले से ही बारिक लकड़ी की डांडिया लगी होती है। यह मशीन फुल ऑटोमेटिक होती है जो डंडियों को सेंसर द्वारा पिक करके उसे पर मिक्सचर का मसाला गोल-गोल लगती है और एक करैट में इकट्ठा कर देती है। यह अभी गीली है इसलिए इनको सूखने के लिए एक ड्रायर में शिफ्ट किया जाता है। यह ड्रायर एक प्रकार का कूलर है जिसकी तीनों साइड खुली रहती है। कूलर के अंदर सभी स्टिकों को रख कर पूरी रात के लिए चलाया जाता है जो मॉइश्चर निकालकर इन्हें सुखाकर तैयार कर देता है। अब इन्हें भी पैक करके बाजार में सेल करने हेतु तैयार कर देते हैं। इसी प्रकार मिक्सर में अन्य पदार्थ मिलाकर अगरबत्तियों का फ्लेवर भी बदल सकते हैं। क्योंकि आजकल अगरबत्तीयों का प्रयोग मच्छरों को भगाने के लिए भी किया जाता है तो उसके लिए मिक्चर में नीम पाउडर आदि जैसे पदार्थ मिला देते हैं।

कोन के आकार की धूपबत्ती:
इसी प्रकार तैयार मिक्सर को हाइड्रोलिक मशीन में डालकर उसे निश्चित आकार दिया जाता है। इस मशीन में आगे-पीछे दो सेंसर लगे होते हैं। जो मिक्सर को आगे धकेलते हैं तथा जहां कोन के आकार का फर्मा लगा होता है। जो इसे कोन बत्ती का आकार देता है वहां ये एयर कंप्रेसर की मदद से नीचे कट-कट कर गिरते रहते हैं और उन्हें इकट्ठा कर, सुखाकर पैक कर दिया जाता है। सभी पदार्थ का मूल्य क्वालिटी के अनुसार अलग-अलग होता है जो लगभग 80 से 90 रुपए प्रति किलो है।
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