कोरोना का नया रूप हो सकता है कितना घातक साबित, जानेंगे तो रहे जाएंगे हैरान


ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन (वायरस का नया रूप) ने दुनियाभर में हलचल पैदा कर दी है। इस नए स्ट्रेन को लेकर माना जा रहा है कि यह सार्स-सीओवी-2 के दूसरे प्रकारों के मुकाबले अत्यधिक संक्रामक है।
भारत समेत दुनियाभर के देशों ने इस नए स्ट्रेन को लेकर सतर्कता बरतते हुए कई प्रकार के प्रतिबंधों का एलान करना शुरू कर दिया है, ताकि इसके प्रसार पर रोक लगाई जा सके। दुनियाभर के देशों द्वारा यह कदम तब उठाया जा रहा है, जब कई देशों में टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है।
हालांकि, इस बात की भी पूरी संभावना है कि कोविड-19 का नया प्रकार उतना नुकसानदेह ना हो, जितना लोगों द्वारा माना जा रहा है। लेकिन कैसे? निश्चित रूप से B.1.1.7 या VUI-202012/01 के नाम से जाना जाने वाला नया वायरस का रूप सार्स-सीओवी-2 (कोरोना वायरस) का पहला म्युटेशन नही हैं, लेकिन यह जांच के दायरे में लाया गया पहला म्युटेशन जरूर है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में वायरोलॉजी के प्रोफेसर इयन जोन्स ने कहा, वायरोलॉजी में सामान्य नियम यह है कि जो वायरस जितनी तेजी से फैलता है, उससे जुड़ी बीमारी कम घातक होती है।
यह वास्तव में एक नई परिकल्पना नहीं है। दरअसल, यह 19 वीं सदी के चिकित्सक थेओबल्ड स्मिथ द्वारा प्रस्तावित 'वायरल में गिरावट के कानून' पर आधारित है। स्मिथ के अनुसार, एक रोगजनक और एक होस्ट के बीच एक नाजुक संतुलन है जो वायरस को कम घातक स्ट्रेन में विकसित होने की अनुमति देता है।
वायरोलॉजिस्ट कहते हैं कि यदि कोई वायरस अधिक घातक हो जाता है, तो संभावना है कि वह अपने होस्ट को मार डालता है, इससे पहले कि उसे दूसरों को संक्रमित करने और फैलने का अवसर मिले।
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