खुद मिट्टी बनाकर उगातीं हैं 70 तरह के पेड़-पौधे,ये ISRO की पूर्व-साइंटिस्ट


आज बहुत से लोग कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर खेती से जुड़ रहे हैं। ऐसे लोग खेती में नए मुक़ाम हासिल कर रहे हैं। साथ ही साथ वे किसानी करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं और दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं।
इसके साथ ही बड़े शहरों में गार्डनिंग को लेकर भी लोगों में काफी जागरूकता आई है। वहीं कुछ ऐसे शहरी भी हैं जिन्होंने गार्डनिंग के ज़रिए अपने उद्यमों की शुरूआत की है। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला उद्यमी से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं गुरुग्राम की 54 वर्षीय पूर्णिमा सावरगांवकर की। वह हमेशा से ही एक उत्साही प्रकृति प्रेमी, अर्बन गार्डनर और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल में भरोसा रखने वाली रहीं हैं। इसरो में काम कर चुकीं पूर्णिमा सावरगांवकर अपने घर में खुद पॉटिंग मिक्स तैयार करतीं हैं और लगभग 70 तरह के पेड़-पौधे उगा रही हैं।

किसानी को अक्सर एक ग्रामीण व्यवसाय माना जाता है, जो ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है। हालांकि, गुड़गांव की रहने वाली 54 वर्षीय पूर्णिमा सावरगांवकर के साथ ऐसा नहीं है। वह हमेशा एक उत्साही प्रकृति प्रेमी, एक शहरी माली और स्थायी जीवन की हिमायती रही हैं।
उन्होंने बताया, “मेरे माता-पिता अहमदाबाद में रहते थे, और बागवानी के बहुत शौकीन थे। हर हफ्ते वह यह सुनिश्चित करते थे कि कम से कम एक भोजन तो हमारा पूरा गार्डन से आए।
यहाँ तक कि किराए के घर में भी मेरे पिता फूलों के पौधे उगा लेते थे, माँ फल या सब्ज़ियां लगातीं थीं। जब मैं कॉलेज के समय हॉस्टल में थी तब भी मेरी डेस्क पर हमेशा मनी प्लांट का पौधा होता था।”
पूर्णिमा 2003 तक इसरो, अहमदाबाद में काम करतीं थीं। फिर पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह गार्डनिंग करने लगीं और वहीं से उनके उद्यम की भी शुरुआत हुई।
आज वह ‘Enriched Soil and Soul’ चला रहीं हैं, जिसके ज़रिए वह 7 तरह के पॉटिंग मिक्स की बिक्री कर रही हैं। इन पॉटिंग मिक्स को वह पराली और अन्य जैविक कचरा मिलाकर बनातीं हैं।
साथ ही, वह अपने 300 स्क्वायर फ़ीट टैरेस गार्डन में 70 तरह के फल-फूल और सब्ज़ियां उगा रहीं हैं। उनके बगीचे में स्ट्रॉबेरी, अनार, जामुन और पपीते के साथ मूली, गाजर, टमाटर और शिमला मिर्च जैसी सब्जियां शामिल हैं। इसमें तुलसी, अजवायन और मोरिंगा जैसी जड़ी-बूटियां भी हैं।
लॉकडाउन में बनाया खुद का YouTube चैनल:
लॉकडाउन के दौरान, उन्होंने अपना YouTube चैनल शुरू किया ताकि वह अपने टैरेस गार्डन के साथ-साथ दूसरों को प्रेरित करें और उनकी मदद करें। वह गार्डनिंग पर लाइव सेशन करतीं हैं और हिंदी में भी समझातीं हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक उनकी बात पहुंचे।
जब पूर्णिमा ने छत पर बागवानी शुरू की, तो उन्होंने देखा कि इंटरनेट पर बहुत सारे विकल्प हैं कि किस तरह की मिट्टी का उपयोग किया जाए और उसमें क्या पौधे उगाए जाएं।
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