खेत में बैल की जगह चलेगा इलेक्ट्रिक बैल


पेशे से इंजीनियर तुकाराम सोनवने और उनकी पत्नी सोनाली वेलजाली को भी वर्क फ्रॉम होम करने का मौका मिला तो उन्होंने अपने गांव जाने का फैसला किया। पिछले 14 साल से शहर में नौकरी कर रहे तुकाराम पहली बार पुणे से अपने पैतृक गांव अंदरसुल कुछ समय के लिए रहने आए थे। उनका यहां आना लोगों के लिए वरदान साबित हुआ।
तुकाराम पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने बताया कि पहले वे त्योहारों के समय एक-दो दिन के लिए गांव आते थे, इसकी वजह यह थी कि शहर में नौकरी होने के कारण वे ज्यादा समय गांव में नहीं दे पाते थे। कोरोना लॉकडाउन में जब घर से काम करने का मौका मिला तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया।
कुछ वक्त गांव में निवास करने के बाद तुकाराम ने अहसास किया कि गांव में कुछ विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। किसान अभी भी अच्छे उत्पादन लेने के हेतु परिश्रम कर रहे थे। खेती के हेतु अब भी मशीन का उपयोग कम हो रहा था एवं लोग खेती के कार्य के हेतु मवेशियों और श्रम पर आश्रित थे।
तुकाराम ने सोचा कि किसान, खेती और बेहतर उत्पादन के हेतु कई तरीकों की दिक्कतो का सामना कर रहे हैं। खेती के हेतु मशीन की अलावा, मवेशियों एवं श्रम का उपयोग हो रहा था, उसका सीधा प्रभाव किसानों की जेब पर पड़ रहा था। विषेश कर आधा एकड़ या 1 एकड़ जमीन वाले छोटे किसान सबसे अधिक प्रभावित थे। तुकाराम की धर्मपत्नी सोनाली एक इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं। दोनों ने अहसास किया कि मशीन का उपयोग न करने से पैदावार लागत बहुत अधिक हो रही थी।
Comment
Also Read

ट्रैक्टर पर सिर्फ 5
edhgmn,mngdfd

ग्लूटेन-फ्री आहार: किसके लिए ज़रूरी और क्यों?
ग्लूटेन-फ्री आहार (Gluten-Free Die

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

व्रत और उपवास में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ और उनका महत्व
भारत में व्रत और उपवास धार्मिक एवं

इंटरमिटेंट फास्टिंग का विज्ञान, लाभ और सावधानियाँ
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent
Related Posts
Short Details About