गेंदे की खेती:- खेतो की बढ़ेगी रौनक,कमाई होगी करोडो में


यह भारत में आम उगाया जाने वाला फूल है। यह बहुत महत्तवपूर्ण फूल है क्योंकि यह व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। कीटों को पकड़ने के लिए भी इस फसल का प्रयोग किया जाता है। कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह भारत की लोकप्रिय फसल बन जाती है। गेंदे के फूल आकार और रंग में आकर्षित होते हैं। इसकी खेती आसान होने के कारण इसे व्यापक रूप से अपनाया जाता है। आकार और रंग के आधार पर इसकी दो किस्में होती हैं- अफ्रीकी गेंदा और फ्रैंच गेंदा। फ्रैंच गेंदे की किस्म का पौधा अफ्रीकी गेंदे के आकार से छोटा होता है। महांराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तामिलनाडू और मध्य प्रदेश भारत के मुख्य गेंदा उत्पादक राज्य है। दशहरा,नवरात्र और दीवाली मुख्य दो त्योहार हैं, जब इस फसल की मांग अधिक होती है।
जानें, किन बातों का रखें ध्यान और क्या बरते सावधानियां?
फूलों में गेंदे का भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। गेंदे की बाजार में साल भर मांग बनी रहती है। समाजिक एवं धार्मिक आयोजनों सहित शादी-विवाह मेें सजावट के काम में इका प्रयोग काफी किया जाने लगा है। इसके अलावा इसका प्रयोग औषधी निर्माण में होने से इसकी मांग काफी बढ़ती जा रही है। किसान फूलों की खेती करके खेतों की रौनक बढ़ाने के साथ ही अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। इसका वानस्पतिक नाम टेजेटेज है। गेंदे जिसे प्रचलित भाषा में गुल या हजारे का फूल भी कहते हैं। इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार:-
African Marigold:-
इस किस्म की फसल 90 सैं.मी. तक लम्बी होती है। इसके फूल बड़े आकार के और लैमन, पीले, सुनहरे, संतरी और गहरे पीले रंग के होते हैं। यह लम्बे समय की किस्म है। इसकी अन्य किस्में जैसे Giant Double African Orange, Crown of Gold, Giant Double African Yellow, Chrysanthemum Charm, Golden Age, Cracker Jack आदि हैं।
French Marigold:-
यह छोटे कद की जल्दी पकने वाली किस्में हैं। इसके फूल छोटे आकार के और पीले, संतरी, सुनहरे पीले, लाल जंग और महोगनी रंग के होते हैं। इसकी अन्य किस्में जैसे Rusty Red, Butter Scotch, Red Borcade, Star of India, Lemon drop आदि हैं।
Pusa Basanti Gainda:-
यह लम्बे समय की किस्म है। इसका पौधा 58.80 सैं.मी. लम्बा और गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फूल सल्फर पीले, दोहरे और कारनेशन किस्म के होते हैं।
Pusa Narangi Gainda:-
फूल निकलने के लिए 125-136 दिनों की आवश्यकता होती है। इसका पौधा लम्बा और कद में 73.30 सैं.मी. का होता है और पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फूल संतरी रंग के और कारनेशन किस्म के होते हैं फूल घने और दोहरी परत वाले होते हैं। इसके ताजे फूलों की पैदावार 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
फूलों की तुड़ाई:-
फूलों को तोडऩे से पहले खेत में हल्की सिंचाई करें, जिससे फूलों का ताजापन बना रहे। फूलों की तुड़ाई अच्छी तरह से खिलने के बाद ही करना चाहिए तथा फूल तोडऩे का श्रेष्ठ समय सुबह या शाम का होता है।
प्राप्त उपज:-
- अफ्रीकन गेंदा से 18-20 टन, फ्रेंच गेंदा से 10-12 टन प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती है, जो लगाए गए मौसम व कल्चरल क्रियाओं के अनुसार कम-ज्यादा भी प्राप्त हो सकती है।
- गेंदे के उत्पादन में ध्यान रखने वाली बातें
- गेंदे की बुवाई हेतु पुराने बीजों का प्रयोग नहीं करें।
- गेंदे की बीजों को बोने से पहले उपचारित करें।
- गेंदे के बीजों को लाइन में या छिडक़वां विधि से बुवाई करके गोबर की खाद से ढंककर झारे से पानी देते रहें। इस बात का ध्यान रखें कि नर्सरी में अधिक जल-भराव न हो पाए।
- गेंदे के पौधों की रोपाई हमेशा शाम के समय करें और रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें।
- जब गेंदे की फसल लगभग 45 दिन की हो जाए तो पौधे की शीर्ष कलिका को 2-3 सेंटीमीटर काटकर निकाल देना चाहिए। इससे अधिक फूल प्राप्त होते हैं।'
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