गोबर पेंट सब बीमारी दूर


नालंदा में गाय के गोबर से पेंट बनाया जा रहा है। बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है जब गाय के गोबर का इस्तेमाल इस रूप में किया जा रहा है। इसकी शुरुआत नालंदा के एकंगरसराय प्रखंड स्तिथ तेलिया बीघा गांव निवासी संजय कुमार के द्वारा गांव में ही छोटा सा यूनिट लगाकर पेंट बनाने का काम किया जा रहा है। यह प्लांट खादी इंडिया द्वारा प्रधानमंत्री एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत जा रहा है। रूलर क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना के तहत लगाया गया है।

एक समय था, जब लोग गाय के गोबर (cow dung) की समस्या से परेशान होकर पशुपालन से नहीं जुड़ते थे। वहीं, कुछ लोग दूध देने वाली गायों को प्यार से रखते थे और जो गाय दूध नहीं देती थी, उसे सड़कों पर घूमने के लिए छोड़ देते थे।
लेकिन आज गोबर का उपयोग इतना बढ़ गया है कि लोग सिर्फ गोबर के लिए ही गाय पालने लगे हैं। गोबर से बने कागज और लकड़ियों के बाद, अब देशभर में गोबर से बना ईको-फ्रेंडली पेंट (cow dung paint) भी काफी बिक रहा है।
कहां से हुई पेंट की शुरुआत:
इसकी शुरुआत भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises) की ओर से की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य, ग्रामीण इलाकों में रोज़गार को बढ़ावा देना है, जिससे गांव में मौजूद संसाधन से ही उद्योग शुरू किए जा सकें। खादी इंडिया के ज़रिए गोबर से बनाए गए प्राकृतिक पेंट को बेचा जा रहा है।
इसके लिए आपको सरकार की ओर से ट्रेनिंग दी जाती है। फिलहाल, बिहार सहित कई राज्यों में गोबर पेंट के प्लांट लगाए जा रहे हैं। ओड़िशा में गोबर पेंट का सबसे पहला यूनिट डालने वाली 33 वर्षीया दुर्गा प्रियदर्शनी ने जयपुर से गोबर पेंट बनाने की ट्रेनिंग लेने के बाद, बिज़नेस की शुरुआत की है। इसके साथ ही वह लोगों में इस ईको-फ्रेंडली पेंट के प्रति जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही हैं।
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