घर के बर्तन में चिपके कैंसर से बचाव के लिए यह सावधानियां है जरूरी


आप जब भी किचन में बर्तन धोने के लिए डिटर्जेंट का इस्तेमाल करते हैं तो उसे साफ पानी से अच्छी तरह से धोना न भूलें। ये डिटर्जेंट आपकी जान के लिए खतरा बन सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक डिटर्जेंट में हानिकारक केमिकल होते हैं जो कि पेट में जाने से लिवर कैंसर का कारण बन सकते हैं। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों के शरीर के अंदर कैंसर घर के किचन से भी पहुंच रहा है। इसलिए उन्हें कई प्रकार का सावधानी रखनी चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग बर्तनों को धोने में लापरवाही करते हैं। इस वजह से उनमें कैंसर का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। अगर आप प्लास्टिक की चीजों को फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपकी सेहत पर और ज्यादा नुकसान हो सकता है। ये कैमिकल आज कल हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। ये है रिसर्च: अमेरिका के साउथ कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी ने ये रिसर्च 200,000 से अधिक लोगों के एक पूल पर की। इनमें से 50 लोग ऐसे थे जिन्हें लिवर कैंसर हो चुका था और उसकी तुलना 50 अन्य लोगों के साथ कि जिन्हें कैंसर नहीं था। शोधकर्ताओं ने कैंसर पीड़ित लोगों के डायग्नॉसिस से पहले उनके ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया। फिर इसकी तुलना उन लोगों के समूह से की, जिन्हें कभी ये बीमारी नहीं हुई थी। इसमें पाया गया कि जिन लोगों को कैंसर हुआ था, उनमें से कई लोगों के ब्लड में बहुत प्रकार के कैमिकल पाए गए। रिसर्चर्स का कहना है कि जिन भी साबुन और डिटर्जेंट को हम बर्तन धोने के लिए लाते हैं। उन्हें बारीकी और अच्छी तरह से धोना बहुत जरुरी होता है। वरना वे बर्तनों जैसे कटोरी, गिलास, चम्मच, थाली आदि में चिपके रह जाते हैं। और फिर जब हम इन्हीं बर्तनों में खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो वे केमिकल के कण हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं। जिससे वे लिवर में पहुंचकर शरीर को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। शरीर में पहुंचते है केमिकल: डॉक्टरों के मुताबिक शरीर में केमिकल के पहुंचने के बाद वे शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाते हैं। ये शरीर में ग्लूकोज के काम करने के तरीके को प्रभावित करते हैं। साथ ही लिवर में भी अमीनो एसिड को बदल देते हैं। इसके कारण लिवर के चारों ओर ज्यादा फैट बनने लगता है। जिससे इंसान को फैटी लिवर और बाद में लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट ने ये कहा: मैक्स हॉस्पिटल में गैस्ट्रो स्पेशलिस्ट डॉक्टर मानव मधवान कहते हैं, 'लोगों ने इन दिनों अपने कंफर्ट को सबसे पहले रखना शुरू कर दिया है। जिसके वजह से कई तरह की कैमिकल ट्रीटेड चीजों का इस्तेमाल बढ़ गया है। सिंथेटिक कैमिकल ना सिर्फ फूड पैकेजिंग में बल्कि हम जो स्टेन रेसिस्टेंट कपड़े पहनते हैं या फिर नल का पानी, शैंपू, प्लास्टिक वेसल में भी पाया जाने लगा है। ये चीजें हमारे शरीर में जाते ही डाइजेस्ट नहीं हो पातीं और शरीर के अंदर लंबे समय तक रहने के बाद बीमारी में तब्दील हो जाती है। इसके वजह से सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि और भी कई तरीके की घातक बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है। ये है चेतावनी: सिंथेटिक कैमिकल्स हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन इस बात की चेतावनी देता है कि ये रसायन हर जगह हैं। नॉन-स्टिक कुकवेयर से लेकर, नल के पानी से लेकर समुद्री खाने, वाटरप्रूफ कपड़े, क्लीनिंग प्रोडक्ट और शैंपू तक में ये पाए जाते है। ये अब हमारे एनवायरनमेंट में पूरी तरीके से शामिल हो चुके हैं। कई विशेषज्ञों का ऐसा भी मानना है कि अब इससे पीछा छुड़ाने में बहुत देर हो चुकी है।
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